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________________ झड-झाण लिए चांडाल लोग जो लकड़ी अपने पास रखते हैं वह । झड अक [शद् ] पत्रे फल आदि का गिरना, टपकना । हीन होना । सक. झपट मारना, गिराना । झडत्ति अ [झटिति ] शीघ्र । झडप अ [ दे] जल्दी | झडप सक [ आ + छिद्] छीनना । झडप्पड न [ दे] झटपट । झड अ [झटिति] तुरन्त । झडिअ वि [दे] शिथिल, सुस्त । श्रान्त, झड़ा हुआ, गिरा हुआ । झडित्ति देखो झडत्ति । झडिल देखो जडिल । झडी स्त्री [दे] निरन्तर वृष्टि । झण सक [जुगुप्स् ] घृणा करना । झणझण) अक [ झणझणाय् ] 'झन-झन' झणझण आवाज करना । झणझणारव पुं [झणझणारव] 'झन-झन' आवाज ! झण देखो झुणि झत्ति देखो झडत्ति । संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष झत्थ वि [दे] गत । नष्ट | झपिअ वि [ दे] पर्यस्त । झप्प देखो झण | झमाल न [ दे] माया जाल | झय पुंस्त्री [ ध्वज ] पताका । झर अक [ क्षर् ] झरना, गिरना । झर सक [स्मृ] याद करना । झरंक पुं [दे] तृण का बनाया हुआ पुरुष, चञ्चा । झरंत झरग वि[स्मारक ] चिन्तन करनेवाला, ध्यान करनेवाला | झरझर पुं. निर्झर या झरना आदि की 'झरझर' आवाज । झरय पुं [दे] सुवर्णकार ४६ Jain Education International ३६१ झरुअ पुं [दे] मशक । झलक्किअ वि [दग्ध] जला हुआ, भस्मीभूत | झलझल अक [जाज्वल्] चमकना । झलझलिआ स्त्री [दे] कोथली । झलहल देखो झलझल । झलहलय वि [ दे] क्षुब्ध | झला स्त्री [दे] मृगतृष्णा | झलुंकिअ वि [दे] दग्ध | झलुंसिअ झल्लरी स्त्री. वलयाकार वाद्य विशेष । हुडुग बाजा, झाल, झालर । झल्लरी स्त्री [दे] बकरी । झल्लोज्झल्लिअ वि [दे] परिपूर्ण, भरपूर | झवणा स्त्री [क्षपणा ] विनाश | अध्ययन | झस पुं [झष ] एक देवविमान । एक नरक स्थान | मछली | चिधय पुं [चिह्नक ] कामदेव | इस पुं [] अपकीति | किनारा | वि. तटस्थ । लम्बा और गम्भीर, बहुत गहरा । टंक से छिन । झसय पुं [झषक ] छोटा मत्स्य । झसर पुंन [दे] आयुध - विशेष । झसि वि [] उत्क्षिप्त । झसिंध पुं [झषचिह्न] स्मर । झसुर न [ दे] ताम्बूल | अर्थ | झासक [ध्यै ] चिन्ता करना, ध्यान करना । झाउ वि [ ध्यातृ] ध्यान करनेवाला, चिन्तक । झाड न [दे. झाट] निकुञ्ज, झाड़ी । वृक्ष | झाडण न [झाटन ] झोष, क्षय । प्रस्फोटन । झाडल न [दे] कर्पास - फल, डोडों, कपास । झाडावण स्त्रीन [झाटन ] झड़वाना, मार्जन कराना । झाण वि [ ध्यान ] ध्यानकर्ता । पुंन चिन्ता, विचार, उत्कण्ठा पूर्वक स्मरण । एक ही वस्तु में मन की स्थिरता, लौ लगाना । मन आदि की चेष्टा का निरोध । दृढ़ प्रयत्न से मन For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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