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________________ ३ छिदावण-छिप्पालुअ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दो कोष खण्डन करना। छिण्णच्छोडण न [दे] शीघ्र । छिदावण न [छेदन] कटवाना, छेदन कराना। छिण्णयड वि [दे] टङ्क से छिन्न । छिपय पुं [छिम्पक] कपड़ा छापने का काम | छिण्णा स्त्री [दे] असती । __ करनेवाला । छिण्णाल पुंदे] उपपति । छिक्क न [दे] छींक । छिण्णालिआ । स्त्री [दे] कुलटा, पुंश्चली, छिक्क वि [दे. छुप्त] स्पृष्ट । °परोइया स्त्री छिण्णाली छिनारी । [प्ररोदिका] वनस्पति-विशेष । छिण्णोब्भवा स्त्री दे] दूब (घास), दाभ । छिक्क वि[छोत्कृत]छी-छी आवाज से आहत । छित्त देखो खित्त क्षेत्र । छिक्कंत वि [दे] छींक करता हुआ। छित्त वि [A] छूआ हुआ । छिक्का जी [दे] छींक । छित्तर [दे] देखो छेत्तर। छिक्कारिअ वि [छीत्कारित छी छी आवाज | छित्ति स्त्री. विच्छेद, खण्डन । से आहूत, अव्यक्त आवाज से बुलाया हआ। छित्तु वि [छेतृ] छेदनेवाला । छिक्किय न [दे] छींकना। छिद्द देखो छिड्ड। छिक्कोअण वि [दे] असहिष्णु । छिद्द पुं [दे] छोटी मछली। छिक्कोट्टली स्त्री [दे] पैर की आवाज । पाँव छिन्न वि. खण्डित, छेद-युक्त । निर्धारित, से धान्य का मलना । गोबर-खण्ड । निश्चित । न. छेद, खण्डन । ग्गंथ वि छिक्कोलिअ वि दे] पतला । [°ग्रन्थ] स्नेह-रहित । पुं. त्यागी, मुनि, छिक्कोवण [दे] देखो छिक्कोअण । निर्ग्रन्थ । °च्छेय पुं [°च्छेद] नय-विशेष, छिग्ग (शौ) सक [ छुप् ] छूना ।। प्रत्येक सूत्र को दूसरे सूत्र की अपेक्षा से रहित छिच्चोलय पुं [दे] देखो छिव्वोल्ल । माननेवाला मत । °द्धाणंतर वि [ध्वान्तर] छिच्छई देखो छिछई। जहाँ गाँव, नगर वगैरह कुछ भी न हो ऐसा छिच्छय देखो छिछय। रास्ता । मडंब वि [°मडम्ब] जिस गाँव छिच्छिकार पुं. निवारण-सूचक या घृणा-सूचक या शहर के समीप में दूसरा गाँव वगैरह न शब्द, छिः, छि। हो। रुह वि. काट कर बोने पर भी पैदा छिछि अ [ दे. धिकधिक् ] छि-छि, धिक् होनेवाली वनस्पति । धिक्, अनेक धिक्कार । छिन्नाल वि [दे] हल की जात का बेल आदि । छिज्ज देखो छिद - छिद् । छिन्नालिंगा स्त्री [दे] स्थलचर पक्षि-विशेष । छिन्न वि [छेद्य] खण्डित किया जा सके । देखो छिण्णालिआ। छेदने-योग्य । न. छेद, विच्छेद । छिप्प न [क्षिप्र] जल्दी । तूर न [°तूर्य] छिजंत विक्षिीयमाण] क्षय पाता, दुर्बल होता। शीघ्र बजाया जाता एक बाजा, तुरही। छिड्ड न [छिद्र] विवर । अवकाश, अवसर । छिप्प न [दे] भिक्षा, भीख । पुच्छ । दूषण, दाष । °पाणि पुं. एक प्रकार का जैन | छिप्पंती स्त्री [दे] व्रत-विशेष । उत्सव-विशेष । साधु । छिप्पंदूर न [दे] गोमय-खण्ड । वि. विषम, छिड्डु पुन [छिद्र] आकाश । कठिन । छिण्ण देखो छिन्न । छिप्पाल पुं [दे] खाने में लगा हुआ बैल । छिण्ण पुं [दे] जार । छिप्पालुअ न [दे] पूंछ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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