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________________ ३२४ चीही स्त्री [दे] मुस्ता का तृण- विशेष । चु अक [ च्यु ] मरना, जन्मान्तर में जाना । विनाश पाना । गिरना । भ्रष्ट होना । संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कौष चुअ अक [ श्चुत् ] झरना, टपकना । चुअ सक चुच्चय चुचू [ त्यज् ] त्याग करना, परिहार | चुच्छवि [ तुच्छ] थोड़ा, हलका । जघन्य, करना । नगण्य | चुइ स्त्री [ च्युति ] च्यवन, मरण । चुज्जन [ दे] आश्चर्य । चुकारपुर न. एक नगर । चुडण न [दे ] जीर्णता, सड़ जाना । चुंचुअ पु ं [दे] शेखर, अवतंस, मस्तक का चुडलिअ न [ दे] गुरु-वन्दन का एक दोष, रजोहरण को अलात (मशाल) की तरह खड़ा रखकर वन्दन करना । भूषण । चुडली [दे] देखो चुडुली । fs देखो डुली | हाथ का सम्पुटाकार | चुंचुलिअ वि [दे] अवधारित । न तृष्णा । चुंचुलिपूर [] चुलुक, पसर । चुंट सक [च] फूल वगैरह को तोड़कर इकट्ठा करना । चुंढी स्त्री [ दे] थोड़ा पानीवाला अखात जला शय । चुंपालय [दे] देखो चुप्पालय । चुंबक [ चुम्बू ] चुम्बन करना । चुंभल पुं [दे] शेखर, अवतंस, शिरोभूषण । चुक्क अक [ भ्रंश् ] चूकना, भूल करना । भ्रष्ट होना, रहित होना, वञ्चित होना । सक. नष्ट करना, खण्डन करना । अनवधित होना, बे-ख्याल होना । चुक्क पुं [दे] मुट्ठी | चुक्कार पुं [दे] आवाज, शब्द । चुक्कुड पुं [दे] बकरा । चुक्ख [दे] देखो चोक्ख । चुचुय Jain Education International चुंचुअ [ चुञ्चुक ] म्लेच्छ देश-विशेष | उस देश में रहनेवाली मनुष्य जाति । चंचुण [चुञ्चुन] एक धनी वैश्य जाति । चुंचुणि वि [] चलित, गत । च्युत, नष्ट | चुंचुणिआ स्त्री [दे] गोष्ठी की प्रतिध्वनि । सम्भोग । इमली का पेड़ । मुष्टि- द्यूत । यूका, खटमल, क्षुद्र कीट - विशेष | चंचुमालि वि [] अलस, दीर्घसूत्री । चुंचुलि पुं [३] चोंच | चुलुक, पसर, एक चुण सक [चि] चुगना, पक्षियों का खाना । चीही-चुण्णा न [ चूचुक] स्तन का अग्र भाग । [चुचूक ] स्तनों की गोलाई, चुची । चुडुप्पन [] खाल उतारना । घाव । चमड़ी, त्वचा । चुडुप्पा स्त्री [दे] त्वचा, चमड़ी, खाल | डुली स्त्री [] उल्का, अलात, जलती हुई लकड़ी, उल्मुक ! अ [] चाण्डाल | बच्चा | इच्छा | अरुचि, भोजन की अप्रीति । व्यतिकर, सम्बन्ध | वि. अल्प | मुक्त, त्यक्त | सूंघा हुआ । चुणि वि [] विधारित, धारण किया हुआ । चुण्ण सक [चूर्णय् ] चूरना, टुकड़ा टुकड़ा करना । चुण पुंन [चूर्णं] चूर, बुकनी, बारीक खण्ड | आटा । रज । गन्ध द्रव्य का रज । चूना । वशीकरणादि के लिए किया जाता द्रव्यमिलान । कोसय न [कोशक] भक्ष्यविशेष | चुण्ण न [चौर्ण ] गम्भीरार्थक पद, महार्थक शब्द । चुण्णइअ वि [दे] चूरन से आहत - जिस प्रकार चूर्ण फेंका गया हो वह । चुणग पुं [चूर्णक] वृक्ष - विशेष चुणा स्त्री [चूर्णा] छन्द- विशेष । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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