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________________ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष चणोट्ठिया-चम्मट्ठिअ चणोटिया स्त्री [दे]गुञ्जा । देखो कोणेटिया। चमर पुं. पशु-विशेष, जिसके बालों का चामर चत्त पुंन [दे] तकली। या चॅवर बनता है। पुं. पाँचवें जिनदेव का चत्त वि [ त्यक्त ] छोड़ा हुआ। सत की प्रथम शिष्य । दक्षिण दिशा के असुरकुमारों आँटी। का इन्द्र । °चंच पुं [°चञ्च] चमरेन्द्र का चत्तर देखो चच्चर। आवास-पर्वत । °चंचा स्त्री [°चञ्चा ] चमचत्ता देखो चत्तालीसा। रेन्द्र की राजधानी, स्वर्गपुरी-विशेष । °पुर न. चत्ता स्त्री [चर्चा] शरीर पर सुगन्धी वस्तु विद्याधरों का नगर-विशेष । का विलेपन । विचार, चर्चा । चमर पुन [चामर] चंवर, बालव्यजन । चत्ताल वि [चत्वारिंश] चालीसा । °धारी, हारी स्त्री [°घारिणी] चामर चत्तालीस न चत्वारिंशत] चालीस । वि. बीजने या डोलानेवाली स्त्री। चालीस वर्ष की उम्रवाली । चमरी स्त्री. चमर-पशु की मादा, सुरही गाय । चत्तालीसा स्त्री [चत्वारिंशत् चालीस।। | चमस पुंन. चमचा, कलछी, दर्वी । चत्थरि पुंस्त्री [दे. चस्तरि] हास्य । चमुक्कार पुं [चमत्कार] आश्चर्य, विस्मय । चपेटा स्त्री [दे. चपेटा] तमाचा । बिजली का प्रकाश। चप्प सक [आ + क्रम्] आक्रमण करना, चमू स्त्री. सैन्य । सेना-विशेष, जिसमें ७२९ दबाना। हाथी, ७२९ रथ, २१८७ घोड़े और ३६४५ चप्प सक [ चर्च ] अध्ययन करना । कहना। पैदल हों ऐसा लश्कर । भर्त्सना करना । चन्दन आदि से विलेपन चम्म न [चर्मन् ] छाल, त्वक, चमड़ा। करना। °किड वि [°किट] चमड़े से सीआ हुआ । चप्पडग नदे] काष्ठ-यन्त्र-विशेष । °कोस, °कोसय पुं [°कोश, °क] चमड़े का चप्परण न [दे] तिरस्कार, निरास । बना हुआ थैला । एक तरह का चमड़े का चप्पलअ वि [दे] असत्य । बहुत झूठ बोलने । जूता । कोसिया स्त्री [°कोशिका] चमड़े की वाला । बनी हुई थैली। खंडिय वि [°खण्डिक] चप्पुडिया) स्त्री [चप्पुटिका] चपटी, चुटकी, चमड़े का परिधानवाला । सब उपकरण चमड़े चप्पुडी । अंगुष्ठ के साथ अंगुली की ताली । का ही रखनेवाला । °ग वि [क] चमड़े का चप्फल न [दे] शेखर-विशेष, एक तरह का । बना हुआ चर्ममय । °पक्खि पुं[°पक्षिन् ] शिरोभूषण । वि. असत्य, मिथ्याभाषी। चमड़े की पाँखवाला पक्षी। °पट्ट पु. चमड़े चमक्क पुं [चमत्कार] विस्मय, आश्चर्य ।। का पट्टा, वधं । °पाय न [°पात्र] चमड़े का चमक्क । सक [चमत् + कृ] विस्मित । पात्र। °यर पु[°कर] मोची। °रयण न चमक्कर | करना, आश्चर्यान्वित करना। [रत्न] चक्रवर्ती का रत्न-विशेष, जिससे चमक्कार पुं [चमत्कार] आश्चर्य, विस्मय। सुबह में बोये हुए शालि वगैरह उसी दिन पक चमड । सक [भुज्] भोजन करना, खाना । कर खाने-योग्य हो जाते हैं। रुक्ख पुं चमढ । [वृक्ष] वृक्ष-विशेष । चमढ सक [दे] मर्दन करना, मसलना । प्रहार चम्मट्ठि स्त्री [चर्मयष्टि] चर्मदण्ड, चमड़ा करना। पीड़ना। निन्दा करना । आक्रमण लगी हुई छड़ी। करना। उद्विग्न करना। चम्मट्टिअ अक [ चर्मयष्टीय ] चर्म-यष्टि की Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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