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________________ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष चंदणग-चंपयवडिसय कारक घड़ा । °बाला स्त्री. एक साध्वी स्त्री, | चंदाविज्झय देखो चंदग-विज्झ । भगवान् महावीर को प्रथम शिष्या। वइ पुं. | चंदिआ स्त्री [चन्द्रिका] चन्द्र की प्रभा । [°पति] स्वनाम-ख्यात एक राजा। चंदिकोजलीय वि [दे. चन्द्रिकोज्ज्वलित] चंदणग पुन [चन्दनक] ऊपर देखो। पुं. चन्द्रकान्ति से उज्ज्वल बना हुआ। द्वीन्द्रिय जन्तु-विशेष, जिसके कलेवर को जैन | चंदिण नदे] चन्द्रप्रभा । साधु लोग स्थापनाचार्य में रखते हैं। चंदिम देखो चंदम एक जैन मुनि । चंदणा स्त्री [चन्दना] भगवान् महावीर की चंदिमा स्त्री [चन्द्रिका] ज्योत्स्ना । प्रथम शिष्या, चन्दनबाला । चंदिमाइय न [चान्द्रिक] 'ज्ञाताधर्मकथा' सूत्र चंदणि स्त्री [दे] आचमन, कुल्ला । "उयय | का एक अध्ययन । न [°उदक] कुल्ला फेंकने की जगह । चंदिल पु [चन्दिल] नापित । चंदणी स्त्री [दे] चन्द्र की पत्नी, रोहिणी। चंदुत्तरडिसग न [चन्द्रोत्तरावतंसक] एक चंदम पु [चन्द्रमस्] चाँद । देवविमान । चंदरुद्द देखो चंड-रुद्द। चंदेरी स्त्री [दे] नगरी-विशेष । चंदवडाया स्त्री [दे] जिसका आधा शरीर र चंदोज । न [दे] कुमुद, चन्द्र-विकासी ढका और आधा नंगा हो ऐसी स्त्री। चंदोजय , कमल । चंदा स्त्री [चन्द्रा] चन्द्र-द्वीप की राजधानी। | चंदोत्तरण न [चन्द्रोत्तरण] कौशाम्बी नगरी चंदाअव पुं [चन्द्रातप] चाँदनी । देखो | | का एक उद्यान । चंदायय। चंदोयर पु [चन्द्रोदर] एक राज-कुमार । चंदाणण पु [चन्द्रानन] एरवत क्षेत्र के प्रथम चंदोवग न [चन्द्रोपक] संन्यासी का एक जिनदेव । उपकरण । चंदाणणा स्त्री [चन्द्रानना] चन्द्र के तुल्य | चंदोवराग पु [चन्द्रोपराग] चन्द्र ग्रहण । आह्लाद उत्पन्न करनेवाली, चन्द्रमुखी ।। चंद्र देखो चंद। शाश्वती जिन-प्रतिमा-विशेष । चंप सक [दे] चाँपना, दबाना । चंदाभ वि [चन्द्राभ] चन्द्र के तुल्य आह्लाद- | चंप सक [चर्च ] चर्चा करना। जनक । पु. आठवाँ जिनदेव, चन्द्रप्रभ स्वामी। चंप सक [आ+रुह.] चढ़ना। इस नाम का एक राज-कुमार । न. एक देव- चंप देखो चंपय ।। विमान । | चंपग पुन [चम्पक] एक देवविमान । चंदायण न [चान्द्रायण] तप-विशेष, जिसमें चंपग देखो चंपय ।। चन्द्रमा के घटने-बढ़ने के अनुसार भोजन के | चंपडण न [दे] प्रहार, आघात । कौर घटाने-बढ़ाने पड़ते हैं। चंपय पु [चंपक] चम्पा का पेड़ । देव-विशेष । चंदायण न [चन्द्रायण] चन्द्र का छः-छः | न. चम्पा का फूल । °माला स्त्री. छन्दमास पर दक्षिण और उत्तर दिशा में गमन ।। विशेष । चम्पा के फूलों का हार । 'लया चंदायय देखो चंदाअव । आच्छादन-विशेष, स्त्री [°लता] लताकार चम्पक वृक्ष । चम्पक वितान, चॅदवा। वृक्ष की शाखा । °वण न [°वन] चम्पक चंदालग न [दे] ताम्र का भाजन-विशेष । वृक्षों की प्रधानतावाला वन । चंदावत्त न [चन्द्रावत] एक देवविमान । चंपयवडिसय पु [चम्पकावतंसक] सौधर्म Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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