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________________ चइअ चय = त्यज् का संकृ. । चइअच का सकृ. । चआ-चउ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष ३०५ पुनः। निश्चय । भेद, विशेष । अतिशय, चौथा। पुंन. उपवास । त्थंच उत्थ पुन आधिक्य । सम्मति । पाद-पूत्ति । अथवा । [°थचतुर्थं] एक-एक उपवास । 'त्थभत्त न चआ स्त्री [त्वक्] चमड़ी। [°थभक्त] एक दिन का उपवास । त्थभचइअ वि [शकित] जो समर्थ हुआ हो । त्तिय वि [°थभक्तिक] जिसने एक उपवास चइअ देखो चविअ। किया हो वह । °त्थिमंगल न [°थीमङ्गल] चइअ वि [त्यक्त] मुक्त, परित्यक्त । वधू-वर के समागम का चतुर्थ दिन, जिसके चइअ वि [त्याजित] छुड़वाया हुआ । बाद जामाता अकेला अपने घर जाता है, चौठारी । °त्थी स्त्री [°थी] चौथी । सम्प्र दान-विभक्ति। तिथि-विशेष । दंत देखो चइइअ देखो चेइअ। "दंत । 'दस त्रि. ब. [दशन्] चौदह । चइत्त देखो चेइअ। °दसव्वि पुं [°दशपूर्विन्] चौदह पूर्व ग्रन्थों चइत्त पुं[चैत्र] चैत्र मास । का ज्ञानवाला मुनि । °दसम वि. देखो चइद (शौ) वि [चकित] भीत, शंकित । 'इसम। दसहा अ [°दशधा] चौदह प्रकार से । दसी स्त्री [°दशी] चतुर्दशीचउ वि [चतुर] चार, संख्या-विशेष । आलीस तिथि । °इंत पुं [दन्त] इन्द्र का हाथी । स्त्रीन [°चत्वारिंशत्] चौआलीस । °कट्ठः दस देखो °दस । दसपुवि देखो दसन [ 'काष्ठा ] चारों दिशा । °कट्ठी स्त्री [°काष्ठी] चोकठा । द्वार का ढाँचा । "क्कोण पुवि । इसम वि [°दश] चौदहवाँ । पुंन. वि [°कोण] चार कोणवाला, चतुरस्र । °ग लगातार छः दिनों का उपवास । ६सी देखो न. देखो चउक्क = चतुष्क । °गइ स्त्री[°गति] °दसी। सुत्तरसय वि [°दशोत्तरशततम] नरक, तिर्यग्, मनुष्य और देव की योनि । एक सौ चौदहवाँ 1 °६ह देखो दस । दही गइअ वि [गतिक] चारों गति में भ्रमण देखो °दसी। दिसं, द्दिसि अ [°दिश्] करनेवाला। गमण न [गमन] चारों चारों दिशाओं की तरफ, चारों दिशाओं में । दिशाएँ । गुण, गुण वि [°गुण] चौगुना । °द्धा अ [°धा] चार प्रकार से । नाण न °चत्ता स्त्री °चत्वारिंशत्] चौआलीस । [°ज्ञान] मति, श्रुत, अवधि और मनःपर्यव °चरण पुं. चौपाया, चार पैर के जन्तु, पशु । ज्ञान । °नाणि वि [°ज्ञानिन्] मति वगैरह °चूड पुं. विद्याधर वंश के एक राजा का चार ज्ञानवाला । °पण्णइम वि [°पञ्चाश] नाम । 'टु देखो °त्थ । 'टाणवडिअ वि चौवनवाँ । न, लगातार छब्बीस दिनों का [°स्थानपतित] चार प्रकार का । °णउइ उपवास । °पन्न, पन्नास स्त्रीन [°पञ्चास्त्री [°नवति] चौरानबे। °णउय वि शत्] चौवन । पन्नासइम वि [[पञ्चा[°नवत]चौरानबेवाँ । °णवइ देखो °णउइ । शत्तम] चौवनवाँ । °पय देखो °प्पय । °ण्ण देखो °पन्न । °तिस, तीस न पाल न. सूर्याभ देव का प्रहरण-कोश । [°त्रिंशत्] चौतीस । तीसइम देखो °त्तीस- °पइया, °प्पइया स्त्री [°पदिका] छन्दइम । तीसा स्त्री. देखो तीस । त्तालोस विशेष । जन्तु-विशेष की एक जाति । °प्पई वि [°चत्वारिंश] चौआलीसवाँ । °त्तीसइम स्त्री [°पदी] देखो °पइया । °प्पन्न देखो वि [त्रिंश] चौतीसवाँ । न. सोलह दिनों °पन्न । °प्पय पुंस्त्री [°पद] चौपाया प्राणी, का लगातार उपवास। त्थ वि [°थ] | पशु । न. ज्योतिष प्रसिद्ध एक स्थिरकरण । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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