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________________ अंहि-अकोस संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष अंहि पु [अंहि] पाँव । त्थ वि [°Tथं] असफल । अकइ वि [अकति] असंख्यात, अनन्त । अकय वि [अकृत्य करने के अयोग्य या अकंड देखो अयंड। अशक्य । न. अनुचित काम । °कारि वि अकंडतलिम वि [दे] स्नेह रहित । जिसने ["कारिन्] अकृत्य को करनेवाला । शादी न की हो वह । अकय्य (मा) ऊपर देखो। अकंपण वि [अकम्पन] कंप रहित । पु अकरण न नहीं करना । मैथुन । रावण का एक पुत्र । अकाइय वि [अकायिक] शारीरिक चेष्टा से अकंपिय वि [अकम्पित] कम्प रहित । पु रहित । पुं. मुक्तात्मा । भगवान् महावीर का आठवाँ गणधर । अकाम पु अनिच्छा। वि. निष्काम । अकज देखो अकय = अकृत्य । °णिज्जरा स्त्री [निर्जरा] कर्म-नाश को अकण्ण वि [अकर्ण] कर्ण रहित । पु. स्वना- | अनिच्छा से बुभुक्षा आदि कष्टों को सहन मख्यात एक अंतर्वीप और उसमें रहनेवाला । | करना। अकप्प पु [अकल्प] अयोग्य आचार, | अकामग ) [अकामक] ऊपर देखो । अवांशास्त्रोक्त विधि-मर्यादा से बाहर का अकामय । छनीय, इच्छा करने के अयोग्य । आचरण । अकामिय वि [अकामिक] निराश । अकप्प वि [अकल्प्य] अनाचरणीय, शास्त्र- अकाय वि शरीररहित । पुं मुक्तात्मा । निषिद्ध आहार-वस्त्र आदि अग्राह्य वस्तु । अकार पुं 'अ' अक्षर, प्रथम स्वर वर्ण । अकप्पिय पुं [अकल्पिक] जिसको शास्त्र का अकारग पुं [अकारक] अरुचि, भोजन की पूरा-पूरा ज्ञान न हो ऐसा जैन साधु । अनिच्छा रूप रोग । वि. अकर्ता । °वाइ वि अकप्पिय देखो अकप्प = अकल्प्य । [वादिन] आत्मा को निष्क्रिय माननेवाला । अकम वि [अक्रम] क्रम रहित । एक अकासि अ [दे] निषेध-सूचक अव्यय, अलम् । साथ । अकिंचण वि [अकिञ्चन] साधु, मुनि, भिक्षुक । अकम्म न [अकर्मन्, °क] कर्म का अभाव । निर्धन । पु मुक्त, सिद्ध जीव । कृषि आदि कर्म अकिरिय वि [अक्रिय] आलसी, निरुद्यम । रहित ( देश, भूमि वगैरह )। भूमग, अशुभ व्यापार से रहित । परलोक-विषयक भूमय वि [ "भूमक ] अकर्म-भूमि में | क्रिया को नहीं माननेवाला, नास्तिक । °ाय उत्पन्न होने वाला। भूमि, भूमी स्त्री वि [°ात्मन्] आत्मा को निष्क्रिय माननेवाला, जिस भूमि में कल्प वृक्षों से ही आवश्यक सांख्य ।। वस्तुओं की प्राप्ति होने से कृषि वगैरह कर्म | | अकीरिय देखो अकिरिय । करने की आवश्यकता नहीं है वह, भोग- अकुइया स्त्री [अकुचिका] देखो अकूय । भूमि । भूमिय वि ['भूमिज] अकर्म-भूमि अकुओभय वि [अकुतोभय] जिसको किसी में उत्पन्न । तरफ से भय न हो वह, निर्भय । अकम्हा अ [अकस्मात्] अचानक, निष्का- अकुय वि [अकुच] निश्चल । रण । अकोप्प वि [अकोप्य] सुन्दर । अकय वि [अकृत] नहीं किया हुआ। अकोप्प पु [दे] अपराध । मुह वि [°मुख] अपठित, अशिक्षित । । अकोस देखो अक्कोस = अक्रोश । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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