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________________ गोवी-घट्टणग गोवी स्त्री [गोपी] अहीरिन । गोव्वर [दे] देखो गोवर । गोस पुंन [ दे] प्रातःकाल । गोसंधिय पुं [गोसंधित] गोपाल | गोसग्ग पुंन [ दे. गोसर्ग] प्रभात । गोस [] मूर्ख | गोसाल गोसालग पुं. ब. [ गोशाल] देश-विशेष । पुं. भगवान् महावीर का एक शिव्य, जिसने पीछे अपना आजीविक मत संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष चलाया था । गोसाविआ स्त्री [दे ] वारांगना । मूर्ख जननी । गोसिय वि [] प्रातः काल - सम्बन्धी । गोसीस न [गोशीर्ष ] चन्दन- विशेष | घ पुं. कण्ठ- स्थानीय व्यञ्जन वर्ण-विशेष | घअअंद न [दे] मुकुर, दर्पण । घई (अप) अ. पाद- पूरक और अनर्थक अव्यय । ओअ पुं [घृतोद ] समुद्र - विशेष । मेघघओद विशेष | वि. जिसका पानी घी के समान मधुर हो ऐसा जलाशय । घंघ पुं [दे] घर | साला स्त्री [ 'शाला ] अनाथ मण्डप, भिक्षुओं का आश्रय स्थान | घंघल (अप) न [झकट] कलह | मोह, घब राहट । लिअ वि [दे] घबड़ाया हुआ । घोर वि [ दे] भ्रमण - शील । घंचिय पुं [दे] तेली, घांची । घंट पुंस्त्री. घण्टा, कांस्य - निर्मित वाद्य - विशेष । घंटिय पुं [घण्टिक ] चाण्डाल का कुल देवता, यक्ष - विशेष । Jain Education International घ घंटिय पुं [घाण्टिक ] घण्टा बजानेवाला । घंटिया स्त्री [घण्टिका ] छोटी घण्टी | fifaणी, घुंघरू | आभरण-विशेष । धं पुं [घ] घर्षण, घिसन । २९९ गोह [] गाँव का मुखिया | योद्धा । जार । सिपाही, पुलिस । मनुष्य | कोतवाल आदि क्रूर मनुष्य | वि. देहाती । गोहा देखो गोधा । गोहिया स्त्री [गोधिका ] गोधा, जल-जन्तु - विशेष | साँप की एक जाति । वाद्य विशेष | गोहुर न [ दे] गोऩय | गोहूम पुं [गोधूम ] गेहूँ । गोहेर पुं [ गोधेर ] जन्तु - विशेष, की तरह का जानवर | गोरय 'गह देखो गह = ग्रह | गहण देखो गहण = ग्रहण | गहण देखो गहण = ग्रहाण | साँप चक्कूण देखो घे का संकृ. 1 घग्घर न [दे] घवरा, लहँगा । घग्घर पुं [ घर्घर] शब्द - विशेष । खोखला गला | खोखली आवाज । न श्याद्वल, शैवाल या सेवार वगैरह का समूह घट्ट सक. छूना । हिलना, चलना | संघर्ष करना । आहत करना । घट्ट क [घट्टय् ] हिलाना, प्रेरित करना । घट्ट अ [भ्रंश्] भ्रष्ट होना । घट्ट पुं [दे] कुसुम्भ रंग से रंगा हुआ वस्त्र | नदी का घाट | वेणु, बाँस । घट्ट पुं. शर्कराप्रभा नामक नरक-भूमि का एक नरकावास । पुंन. जमाव । समूह, जत्था । वि. निबिड | घट्टसुअ न [ दे. घटयंशुक ] बूटेदार कौसुम्भ वस्त्र । घट्ट व [घट्ट] चालाक, हिला देनेवाला । वि न. स्पर्श करना | चलाना, हिलाना । घट्टण पुं [घट्टनक] पात्र वगैरह को चिकना करने के लिए उस पर घिसा जाता एक For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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