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________________ २८६ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष गल्लक्क-गहणं गल्लक्क पुन [दे] स्फटिक मणि । ग्रहण । गल्लत्थ देखो गलत्थ । गवेसाविय वि [गवेषित] दूसरे द्वारा खोज गल्लप्फोड पु[दे] डमरुक । किया गया । अन्वेषित। गल्लूरण न [दे] मांस खाते हुए कुपित शेर गव्व पु [गर्व] अभिमान । की गर्जना। गव्वर न [गह्वर] गुहा । गल्लोल्ल न [दे] गडुक । गविट्ठ वि [गविट्ट] विशेष अभिमानी। गव पुंस्त्री [गो] जानवर । गस सक [ग्रस ] खाना, निगलना, भक्षण गवक्ख पु [गवाक्ष] झरोखा। गवाक्ष के | करना। आकृति का रत्न-विशेष । °जाल न. रत्न- गह सक [ ग्रथ ] गूंथना, गठना । विशेष का ढेर । जालीवाला वातायन । गह सक [ ग्रह. ] लेना। गवच्छ पु[दे] आच्छादन । गह पु [ग्रह] ग्रहण, स्वीकार । सूर्य, चन्द्र, गवच्छिय वि [दे] आच्छादित, ढका हुआ । वगैरह ज्योतिष्क-देव । कर्म का बन्ध । भूत गवत्त न [दे] घास । वगैरह का आक्रमण । आसक्ति, तल्लीनता । गवत्थिय देखो गवच्छिय । संगीत का रस-विशेष । 'खोभ पु [°क्षोभ] गवय पुं.गो की आकृति का जंगली पशु-विशेष, राक्षस वंश के एक राजा का नाम, एक नील गाय । लंकेश । °गजिय न [°गजित] ग्रहों के गवर पु [दे] वनस्पति-विशेष । संचार से होनेवाली आवाज । गहिय वि गवल पु. जंगली महिष । न. महिप का सिंग । ["गृहीत] भूतादि से आक्रान्त, पागल । गवा स्त्री [गो] गाय । °चरिय न [°चरित] ज्योतिष शास्त्र का गवादणी । स्त्री [गवादनी] गोचर-भूमि । परिज्ञान । ‘दंड पु. दण्डाकार ग्रह-पंक्ति । गवायणी °नाह पु [°नाथ] सूरज । चन्द्र । °मुसल गवार वि [दे] गँवार, छोटे गाँव का निवासी। न. मसलाकार ग्रह-पंक्ति । सिंघाडग न गवालिय न [गवालीक] गौ के विषय में । [°शृङ्गाटक] पानी-फल के आकारवाली अनुत भाषण । ग्रहपंक्ति । ग्रह-युग्म । हिव पु [°ाधिप] गविअ वि [दे] निश्चित । सूर्य । गविट्ठ वि [गवेषित] खोजा हुआ। गह पुं [ग्रह] सम्बन्ध । पकड़ । ग्रहण, ज्ञान । गविल न दे] शृद्ध मिस्री । °भिन्न न. जिसके बीच से ग्रह का गमन हो वह गवेधुआ स्त्री [गवेधुका] जैनमुनि-गण की एक | नक्षत्र । °सम न, गेय काव्य का एक भेद । गवेलग पुंस्त्री [गवेलक] मेष । गौ और भेड़ । गह न [गृह मकान । वइ पु["पति]गृहस्थ, गवेस सक [गवेषय ] गवेषणा करना । संसारी । °वइणी स्त्री [°पत्नी] गृहिणी । गवेसइत्तु वि [गोषयितु] गवेषक । गहकल्लोल पुं [दे. ग्रहकल्लोल] राहु । गवेसग वि [गवेषक] ऊपर देखो। गहगह अक [दे] आनन्दपूर्ण होना । गवेषणया स्त्री [ गवेषणा] ईहा-ज्ञान, गहण न [ग्रहण] आदान । आदर, सम्मान । सम्भावना-ज्ञान। ज्ञान। शब्द, आवाज । वि. ग्रहण करनेवाला। गवेसणया । स्त्री [गवेषणा] खोज । शुद्ध न. इन्द्रिय । चन्द्र-सूर्य का उपराग-ग्रहण । गवेसणा भिक्षा की याचना । भिक्षा का । वि. ग्राह्य । न. शिक्षा-विशेष । आदान का शाखा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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