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________________ २७६ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष खेड्डा-खोखुन्भ खेड्डा स्त्री [क्रीडा] खेल, तमाशा। खेल वि [खेल] खेल करनेवाला, नाटक का खेड्डिया स्त्री दे] बारी। पात्र। खेत्त पुंन [क्षेत्र]आकाश । खेत । जमीन । देश, | खेल पु [श्लेष्मन्] कफ। गाँव, नगर वगैरह स्थान । भार्या । कप्प | खेलण । न [खेलन, क] क्रीड़ा । [°कल्प] देश का रिवाज । क्षेत्र-सम्बन्धी | खेलणय , खिलौना । अनुष्ठान । ग्रन्थ-विशेष, जिसमें क्षेत्र-विषयक खेलोसहि स्त्री [श्लेष्मौषधि] लब्धि-विशेष, आचार का प्रतिपादन हो । 'पलिओवम न जिससे श्लेष्म ओषधि का काम देने लगे। आपल्योपम] काल की नाप-विशेष । रिय | वि. ऐसी लब्धिवाला। पु [°ार्य] आर्य भूमि में उत्पन्न मनुष्य । देखो खेल्ल देखो खेल = खेल । खित्त =क्षेत्र । खेल्ल देखो खेल - श्लेष्मन । खेत्तय पुं [क्षेत्रक] राहु । खेल्लण देखो खेलण। खेम न [क्षेम] कुशल, कल्याण । प्राप्त वस्तु | खेल्लावण । न [खेलनक] क्रीड़ा कराना । का परिपालन । वि. कुशलता-युक्त, हितकर, | खेल्लावणय | न. खिलौना। °धाई स्त्री उपद्रव-रहित । पु. पाटलिपुत्र के राजा जित- [°धात्री] खेल करानेवाली दाई । शत्रु का एक अमात्य । °पुरी स्त्री. नगरी- | खेल्लिअ न [दे] हसित । विशेष । खेल्लुड देखो खल्लूड। खेमंकर पुं. कुलकर पुरुष-विशेष । ऐरवत । क्षत्र | खेव पं [क्षेप] फेंकना । स्थापना। संख्याके चतुर्थ कुलकर-पुरुष । ग्रह-विशेष, ग्रहा- विशेष । धिष्ठायक देव-विशेष । रवनाम-प्रसिद्ध एक | | खेव पुंक्षेप] देरी। जैन मुनि । वि. कल्याण-कारक । खेव पुं खेद] खेद, क्लेश । खेमंधर पु [क्षेमन्धर] कुलकर पुरुष-विशेष । | खेवण न [क्षेपण] प्रेरण । ऐरवत क्षेत्र का पाँचवाँ कुलकर पुरुष-विशेष । | खेवय वि [क्षेपक] फेंकनेवाला। वि. क्षेम-धारक, उपद्रव-रहित । खेह पुन [दे] रज । खेमय पु [क्षेमक] स्वनाम-प्रसिद्ध एक अन्त- | खोअ पु[क्षोद] इक्षु । इक्षुवर द्वीप । इक्षुरस कृद् जैनमुनि । समुद्र। खेमराय पु क्षेमराज] राजा कुमारपाल का | खोइय वि [दे] विच्छेदित । एक पूर्व-पुरुष । खोउदय पु क्षोदोदक] समुद्र-विशेष । खेमलिजिया स्त्री [क्षेमलिया] जैनमुनि-गण | | खोओद देखो खोदोद। की एक शाखा। खोंटग । [दे] खूटी, खूटा । खेमा स्त्री [क्षेमा] विदेह वर्ष की एक नगरी। | खोटय । क्षेमपुरी-नामक नगरी-विशेष । खोक्ख अक [खोख्] बन्दर की आवाज खेर पुं [दे] एक म्लेच्छ जाति । करना। खेरि स्त्री [दे] परिशाटन, नाश । उद्वेग । | खोक्खा । स्त्री [खोखा] वानर की आवाज । उत्सुकता। खोखा । खेल अक [खेल] खेलना, तमाशा करना ।। | खोखुब्भ अक [चोक्षुभ्य] अत्यन्त भयभीत खेल पु[दे] जहाज का कर्मचारी-विशेष । होना । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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