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________________ खटुंग-खण्ण संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष २६७ [°मेघ] खट्टे जल की वर्षा । खडिअ पुंदे] स्याही का पात्र । खट्टंग न [दे] छाया। खडिआ स्त्री [खटिका] लड़कों को लिखने खट्टंग न [खट्वाङ्ग] शिव का एक आयुध । की खड़ी या खडिया । चारपाई का पाया या पाटी । प्रायश्चित्तात्मक खडी स्त्री [खटी] ऊपर देखो। भिक्षा माँगने का एक पात्र । तान्त्रिक मुद्रा- खडुआ स्त्री [दे] मोती। विशेष । | खडुक्क अक [आविस् +भू] प्रकट होना, खट्टक्खड पुं [खट्वाक्षक] रत्नप्रभा नामक उत्पन्न होना । पृथिवी का एक नरकावास । खडुक्क । पुंस्त्री [दे] मुण्ड सिर पर उँगली खट्टा स्त्री [खट्वा] पलंग । मल्ल पुं. बीमारी खडुक । का आघात । की प्रबलता से जो खाट से उठ न सकता हो खडु सक [ मृद् ] मर्दन करना । वह। खड्ड । न [दे] दाढ़ी-मूंछ । बड़ा महान् । खट्टिअ [दे. खट्टिक] कसाई । खड्ग ) गत के आकारवाला । खट्टिक्क । खड्डा स्त्री [दे] आकर । पर्वत का गर्त । खड पुं [दे] एक म्लेच्छ जाति । न. तृण। गड्ढा । खडइअ वि [दे] सङ्कुचित । खड्डुया स्त्री [दे] ठोकर । खडंग न [षडङ्ग] छ: अंग, वेद के ये छ: खड्डोलय पुं [दे] गड्ढा । अंग-शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, खण सक [खन्] खोदना । छन्द, निरुक्त । °वि वि [वित्] छहो अंगों खण पुं [क्षण] बहुत थोड़ा समय । °जोइ वि का जानकार । ["योगिन्] क्षणमात्र रहनेवाला। भंगुर वि खडक्य पुन खटत्कृत] आहट देना, सिकड़ी [°भङ्गुर] क्षणिक । °या स्त्री [°दा] रात्रि । वगैरह की आवाज । खणक्खण । अक [खणयणाय] खणखण खडक्कार पुं [खटत्कार] ऊपर देखो। खणखणखण ) आवाज करना । खडक्किआ । स्त्री [दे] खिड़की। खणग वि [खनक] खोदनेवाला। खडक्की खणण न [खनन] खोदना । खडक्किय देखो खडक्कय। खणय देखो खण = क्षण । खडक्खड पुं [खटखट] खट-खट आवाज । खणि स्त्री [खनि] खान । खडक्खर देखो छडक्खर । खणिक्क , देखो खणिय = क्षणिक । खडखड पुं. देखो खाडखड । खणिग । खडखडग वि [दे] छोटा और लम्बा । खणित्त य [खनित्र] खोदने का अस्त्र । खडट्टोबिल पुंदे] एक म्लेच्छ जाति । खणिय वि [क्षणिक] क्षण-विनश्वर । वि. खडणा स्त्री [दे] गौ। फुरसत वाला, काम-धन्धा से रहित । °वाइ खडहड [खटखट]साँकल वगैरह की आवाज । वि [°वादिन] सर्व पदार्थ को क्षण-विनश्वर खडहडी स्त्री [दे] जन्तु-विशेष, गिलहरी माननेवाला, बौद्धमत का अनुयायी । गिल्ली। खणो देखो खणि । खडिअ देखो खट्टिम। खणुसा स्त्री [दे] मानसिक पीड़ा । खडिअ देखो खलिअ। खण्ण न [दे] खोदा हुआ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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