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________________ कोज्झरिअ-कोडिण्ण संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष २५९ हुआ। कोट्ट पुं [कोष्ठ] धारणा, अवधारित अर्थ का कोज्झरिअ वि [दे] ऊपर देखो। कालान्तर में स्मरण-योग्य अवस्थान । सुगन्धी कोटर देखो कोट्टर। द्रव्य-विशेष । कोटिंब पुं [दे] गौ। कोट । देखो कुटु = कोष्ठ । आश्रय-विशेष, कोटुंभ पुंन [दे] हाथ से आहत जल । देखो कोटग | आवास-विशेष । अपवरक, कोठरी । कोटुंभ। | कोट्टय । चैत्य-विशेष । गार न. धान्य भरने कोटीवरिस अ [कोटीवर्ष] लाट देश की का घर । भण्डार । प्राचीन राजधानी। कोठार पुन [कोष्ठागार] भाण्डागार। कोट्ट देखो कुट्ट = कुट्ट । कोठ्ठिया स्त्री [कोष्ठिका छोटा कोष्ठ, लघु कोट्ट न [दे] नगर । दुर्ग । °वाल पुं [°पाल] ! कुशूल। नगर-रक्षक। कोठ्ठ [क्रोष्ट] सियार । कोट्टंतिया स्त्री [कुट्टयन्तिका] तिल वगैरह कोडंड देखो कोदंड । को चूरने का उपकरण । कोडंडिय देखो कोदंडिय। कोट्टकिरिया स्त्री [कोट्टक्रिया] देवी-विशेष, कोडंब न [दे] कार्य । दुर्गा आदि रुद्र रूपवाली देवी । कोडय [दे] देखो कोडिअ । कोट्टण देखो कुट्टण। कोडर न [कोटर] गह्वर, वृक्ष का पोल भाग, कोट्टर देखो कोडर। विवर। कोट्टवीर पुं. इस नाम का एक मुनि, आचार्य कोडल पुं [कोटर] पक्षि-विशेष । शिवभूति का एक शिष्य । कोडाकोडि स्त्री [कोटाकोटि] करोड़ को कोट्टा स्त्री [दे] पार्वती । गर्दन ।। करोड़ से गुनने पर जो संख्या लब्ध हो वह । कोट्टाग पुं [कोट्टाक] बढ़ई। न. हरे फलों कोडाल पुं. गोत्र-विशेष का प्रवर्तक पुरुष । न. को सुखाने का स्थान-विशेष । गोत्र-विशेष । कोट्टिब पुं [दे] द्रोणी, नौका, जहाज। कोडि स्त्री [कोटि] धनुष का अग्र भाग । कोट्टिम पुंन[कुट्टिम] रत्नमय भूमि । फरस- प्रकार । संख्या-विशेष, करोड़ । अग्र-भाग । बन्ध जमीन । भूमि-तल । एक या अनेक | अंश, विभाग। कोडि देखो कोडा-कोडि । तलावाला घर । मढ़ी। रत्न की खान । °बद्ध वि. करोड़ संख्यावाला। भूमि स्त्री. अनार का पेड़। एक जैन तीर्थ । °सिला स्त्री [°शिला] एक कोट्टिम वि [कृत्रिम] बनावटी, बनाया हुआ। जैन तीर्थ । °सो अ [°शस्] अनेक करोड़ । कोटिल । पुं [कौट्टिक] मुग्दर, मुगरी, देखो कोडो। कोट्टिल्ल । मुगरा, जोड़ी। कोडिअ न [दे] सकोरा। पुं. दर्जन, चुगलकोट्टी स्त्री [दे] दोहन । विषम स्खलना। खोर । कोटुंभ पुंन [दे] हाथ से आहत जल। कोडिअ पुं. [कोटिक] एक जैन मुनि । एक कोटुम अक [रम्] क्रीड़ा करना । जैन-मुनि-गण । कोटुवाणी स्त्री [क्रोटुवाणी] जैन मुनिगण कोडिअ वि [कोटित] संकोचित । की एक शाखा। कोडिण्ण न [कौडिन्य] इस नाम का एक कोट्ट देखो कुट्ठ = कुष्ठ । नगर । वाशिष्ठ गोत्र की शाखा रूप एक For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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