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________________ २३२ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दो काष कामंध-कायरिया कामंध पु [कामान्ध] विषयातुर । शरीररोग की प्रतिक्रिया। उसका प्रतिपादक कामकिसोर दे] गर्दभ । शास्त्र । भवत्थ वि [भवस्थ] माता के कामग वि [कामक] अभिलषणीय । इच्छुक । उदर में स्थित । °वंझ पुं वन्ध्य] ग्रहः कामण न [कामन] अभिलाष । विशेष । °समिअ वि [ समित] शरीर की कामय देखो कामग। निर्दोष प्रवृत्ति करनेवाला । °समिइ स्त्री कामि वि [कामिन्] विषयाभिलाषी। [°समिति] शरीर की निर्दोष प्रवृत्ति । अभिलाषी। काय पुं [काक] वायस । काला उम्बर । देखो कामिअ वि [कामिक] काम-सम्बन्धी, विषय- काक, काग। सम्बन्धी । न. तीर्थ-विशेष । सरोवर-विशेष । काय पुं [काच] शीशा । वि. इच्छा पूर्ण करनेवाला । वि. साभिलाष । | काय पुं [दे] काँवर, बोझ ढोने के लिए तराकामिआ स्त्री [कामिका] इच्छा । जूनुमा एक वस्तु । कोडिय पुं [कोटिक] कामिंजुल पु [कामिज़ुल] पक्षि-विशेष । काँवर से भार ढोनेवाला । देखो काव । कामिड्ढि पुं [काद्धि] एक जैन मुनि, आर्य | काय पुं [दे] लक्ष्य, निशाना । उपमान । सुहस्तिसूरि का एक शिष्य ।। कायंचुल पुं[दे] कामिञ्जुल जल-पक्षी । कामिड्ढिय न [कामद्धिक] जैन मुनियों का कायंदी स्त्री [दे] उपहास । एक कुल । कायंदी देखो काइंदी। कामिणी स्त्री [कामिनी] स्त्री। कायंधुअ पुं [दे] कामिञ्जुल जल-पक्षी । कामिय वि [कामित] यथेष्ट । कायंब पुं[कादम्ब] हंस-पक्षी । गन्धर्व-विशेष । कामुअ । वि [कामुक] कामी । °सत्थ न कदम्ब-वृक्ष । वि. कदम्ब-वृक्ष-सम्बन्धी । कामुग । [°शास्त्र] रति-शास्त्र । कायंबर न [कादम्बर] गुड़ की दारू । कामुत्तरवळिसग न [कामोत्तरावतंसक] कायंबरी स्त्री [कादम्बरो] एक गुहा का देवविमान-विशेष । काय पु. वनस्पति की एक जाति । एक महा. कायंबरी स्त्री [कादम्बरी] दारू । अटवी विशेष । ग्रह । पुन. जीव-निकाय । °मंत वि [°वत्] बड़ा शरीरवाला । °वह पु [°वध] जीव | कायक न[दे. कायक] हरे रंग की रूई से हिंसा। बना हुआ वस्त्र । काय पु [काय] शरीर । समूह । देश-विशेष । कायस्थ पुं [कायस्थ] कायस्थ जाति, कायस्थ वि. उस देश में रहनेवाला । °गुत्त वि | नाम से प्रसिद्ध जाति, लेखक, लिखने का [°गप्त] शरीर को वश में रखनेवाला। काम करनेवाली मनुष्य-जाति । गुत्ति स्त्री ["गुप्ति] जितेन्द्रियता । °जोअ, | कायपिउच्छा । स्त्री [दे] कोयल । जोग पु ["योग ] शारीरिक क्रिया। कायपिउला । °जोगि वि [°योगिन् ] शरीर-जन्य | कायर वि [कातर] अधीर, डरपोक । क्रियावाला । टिइ स्त्री [स्थिति] मर कर कायर वि [दे] प्रिय । फिर उसी शरीर में उत्पन्न होकर रहना । कायरिय वि [कातर] भयभीत । पुं. गोशालक °णिरोह पुं [°निरोध] शरीर-व्यापार का | का एक भक्त । परित्याग । तिगिच्छा स्त्री [°चिकित्सा] ) कायरिया स्त्री [कातरिका] माया । नाम। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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