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________________ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष अइवह-अउज्झा सम्बन्ध करना। प्रवेश करना । अक. मरना । | अइसेस पुं [अतिशेष] महिमा, प्रभाव, गिर जाना। आध्यात्मिक सामर्थ्य । बचा हुआ । अतिशय अइवह सक [अति+वह] वहन करने में समर्थ | वाला । होना। अइसेसि वि [अतिशेषिन] महिमान्वित । अइवाइ वि [अतिपातिन्] हिंसक । विनश्वर ।। समृद्ध, ज्ञान आदि के अतिशय से सम्पन्न । अइवाइत्तु वि [अतिपातयितु] मारनेवाला। | अइसेसिय वि [अतिशेषित] ज्ञात, जाना अइवाइय वि [अतिपातिक] ऊपर देखो। हुआ। अइवाएत्तु देखो अइवाइत्तु। अइहर पुं [अतिभर] हद, अवधि । अइवाय पुं [अतिपात] हिंसा आदि दोष । अइहारा स्त्री [दे] बिजली । विनाश । अइहि पुं [अतिथि] जिसके आने की तिथि अइवाय पुं [अतिवात] उल्लंघन । भयंकर नियत न हो वह, पाहुन, यात्री, भिक्षुक, पवन, तूफान । साधु । °संविभाग पुं साधु को भोजन अइवाह सक [अति + वाहय्] बिताना, __ आदि का निर्दोष दान । गुजारना। अई सक [गम्] जाना। अइविरिय वि [अतिवीर्य] बलिष्ठ, महा- अईअ ' [अतीत] भूतकाल । वि. जो बीत पराक्रमी। पुं. इक्ष्वाकु वंश का एक राजा। चुका हो । अतिक्रान्त । जो दूर हो गया हो । नन्दावर्त नगर का एक राजा । | अईअ ) अ [अतीव] बहुत, विशेष, अइविसाल वि [अतिविशाल] बहुत बड़ा, | अईव अत्यन्त । विस्तीर्ण । स्त्री. यमप्रभ नामक पर्वत के दक्षिण | अईसंत वि [अ+ दश्यमान] जो दिखता तरफ की एक नगरी । न हो। अइस [अप] वि [ईदृश्] ऐसा, इस तरह का । | अईसय देखो अइसय । अइसइ वि [अतिशयिन्] अतिशय वाला, अईसार पुं [अतीसार] संग्रहणी रोग । इस विशिष्ट, आश्चर्य-कारक । नाम का एक राजा। अइसंधण देखो अइसंधाण । अउ देखो आउ = स्त्री। अइसंधाण [अतिसंधान] ठगाई । अउअ न [अयुत] दस हजार की संख्या । अइसक्कणा स्त्री [अतिष्वष्कणा] उत्तेजना, 'अउअंग' को चौरासी लाख से गुणने पर प्रेरणा, बढ़ावा। जो संख्या लब्ध हो वह । अइसय सक [अति+शी] मात करना। | अउअंग न [अयुताङ्ग] 'अच्छणिउर' को अइसय पुं [अतिशय] श्रेष्ठता। महिमा, | चौरासी लाख से गुणने पर जो संख्या लब्ध प्रभाव । अत्यन्त । चमत्कार । वैशिष्ट्य । हो वह । भरिय वि [°भृत] पूर्ण । अउंठ वि [अकुण्ठ] निपुण । अइसरिय न [ऐश्वर्य] संपत्ति, गौरव ।। अउचित्त न [औचित्य] उचितपन । अइसाइ वि [अतिशायिन्] श्रेष्ठ । दूसरे को | अउज्झ वि [अयोध्य] युद्ध में जिसका सामना मात करनेवाला । स्त्री. °णी। न किया जा सके वह । जिस पर रिपु-सैन्य अइसायण न [अतिशायन] उत्कृष्टता, उत्कर्ष । आक्रमण न कर सके ऐसा किला, नगर आदि । अइसार पुं [अतिसार] संग्रहणी रोग । अउज्झा स्त्री [अयोध्या नगरी-विशेष । For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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