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________________ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दो कोष अइच्छा-अइमाय अइच्छा स्त्री [अदित्सा] देने की अनिच्छा। शिला] मेरु पर्वत पर स्थित दक्षिण दिशा की प्रत्याख्यान विशेष । एक शिला। अइजाय पुं [अतिजात] पिता से अधिक संपत्ति अइपडाग पुं [अतिपताक] मत्स्य की एक को प्राप्त करनेवाला पुत्र ।। जाति । स्त्री. पताका के ऊपर की पताका । अइट्ठ वि [अदृष्ट] जो न देखा गया हो वह । अइपरिणाम वि [अतिपरिणाम] आवश्यकता न. कर्म, दैव, भाग्य । °उव्व, 'पुव्व वि न रहने पर भी अपवाद-मार्ग का ही आश्रय [ पूर्व] जो पहले कभी न देखा गया हो वह । लेने वाला, शास्त्रोक्त अपवादों की भर्यादा अइट्ट वि [अनिष्ट] अप्रिय । खराब, दुष्ट । का उल्लंघन करने वाला। अइट्टा सक [अति + स्था] उल्लंघन करना । अइपाइअ वि [अतिपातिक] हिंसाकरनेवाला । अइट्ठिय वि [अतिष्ठित] अतिक्रान्त, उल्लंधित । अइपास पुं [अतिपावं] भगवान् अरनाथ के अइण न [दे] गिरि-तट, तराई । समकालिक ऐरवत क्षेत्र के एक तीर्थंकरदेव । अइण न [अजिन] चर्म । अइपास सक [अति + दृश्] खूब देखना। अइणिय वि [दे. अतिनीत लाया हुआ। अइप्पगे अ [अतिप्रगे] पूर्व-प्रभात, बड़ी सबेर । अइणिय । वि [अतिनोत] फेंका हुआ । अइप्पमाण वि [अतिप्रमाण] तृप्त न होता अइणीय जो दूर ले जाया गया हो। __ हुआ भोजन करनेवाला । न. तीन बार से अइणीअ वि [अतिगत] गया हुआ। अधिक भोजन । अइणीय वि [दे. अतिनीत] लाया हुआ। । अइप्पसंग पुं [अतिप्रसङ्ग] अतिपरिचय । अइणु वि [अतिनु] जिसने नौका का उल्लंघन | तर्क-शास्त्र में प्रसिद्ध अतिव्याप्ति-नामक दोष । किया हो वह, जहाज से उतरा हुआ । । अइप्पहाय न [अतिप्रभात] बड़ी सबेर । अइतह वि [अवितथ] सत्य, सच्चा ।। अइबल वि [अतिबल] शक्ति-शाली । न. अइतेया स्त्री [अतितेजा] पक्ष को चौदहवीं अतिशय बल । बड़ा सैन्य । पुं. एक राजा, जो रात। भगवान् ऋषभदेव के पूर्वीय चतुर्थ भव में पिता अइदंपज्ज न [ऐदंपर्य] तात्पर्य, रहस्य। या पितामह था। भरत चक्रवर्ती का एक अइदुसमा । स्त्री [अतिदुष्षमा] देखो। पौत्र । भरत क्षेत्र में आगामी चौबीसो में होने अइदुस्समा दुस्समदुस्समा। वाला पाँचवाँ वासुदेव । रावण का एक योद्धा । अइदूसमा अइभद्दा स्त्री [अतिभद्रा] भगवान् महावीर अइदंपज्ज देखो अइदंपज्ज । के प्रभास नामक ग्यारहवें गणधर की माता । अइधाडिय वि [अतिध्राटित] फिराया हुआ, अइभूइ पुं [अतिभूति] एक जैन मुनि, जो घुमाया हुआ । पंचम वासुदेव के पूर्व जन्म में गुरु थे। अइनिळुहावण वि [अतिविष्टम्भन ] स्तब्ध अइभूमि स्त्री [अतिभूमि परम प्रकर्ष । बहुत करनेवाला, रोकनेवाला। जमीन । गृहस्थों के घर का वह भाग, जहाँ अइन्न न [अजीर्ण] बदहजमी । वि. जो हजम न साधुओं को प्रवेश करने की अनुज्ञा न हो । हुआ हो वह । जो पुराना न हुआ हो, नूतन । अइमट्टिया स्त्री [अतिमृत्तिका] कीचवाली अइन्न वि [अदत्त] नहीं दिया हुआ । °ायाण मिट्टी। न [दान] चोरी।। अइमत्त । वि [अतिमात्र] बहुत, परिमाण अइपंडुकंबलसिला स्त्री [अतिपाण्डुकम्बल- अइमाय 5 से अधिक । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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