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________________ १८२ उस्सप्पिणी-उह से जल वगैरह को बाहर को खींचना | सिंचन के उपकरण । उस्सप्पिणी स्त्री [ उत्सर्पिणी] उन्नत काल विशेष, दश कोटाकोटि-सागरोपम-परिमित काल- विशेष, जिसमें सब पदार्थों की क्रमशः उन्नति होती है । उस्सिक्क देखो उस्सक्क । उसिक्क सक [मुच् ] त्याग करना । उस्सय पुं [उच्छ्रय] उन्नति, उच्चता । अहिंसा । उस्तिक्क सक [ उत् + क्षिप्] ऊँचा फेंकना । शरीर । उसिक्किम वि [ उत्क्षिप्त ] ऊँचा फेंका हुआ । संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष उस्सयण न [ उच्छ्रयण] अभिमान । उस्सर अक [उत् + सृ] दूर जाना । उस्सव सक [उत् + श्रि] ऊँचा करना । खड़ा करना । हुआ । उस्सव पुं [ उत्सव ] उत्सव | उसवणया स्त्री [ उच्छ्रयणता] ऊँचा ढेर | उस्सिय वि [ उत्सृत ] व्याप्त । ऊँचा किया किया हुआ । अहंकारी । करना । उस्सस अक [ उत् + श्वस्] उच्छ्वास लेना, उस्सीस न [ उच्छीर्ष ] तकिया । श्वास लेना । उल्लसित होना । उस्सा स्त्री [ उस्रा ] गैया, गौ । उस्सा [दे] देखो ओसा । चारण पुं. ओस के अवलम्बन से गति करने का सामर्थ्यवाला मुनि । उस्सार सक [ उत् + सारय् ] दूर करना । बहुत दिन में पठनीय ग्रन्थ को एक ही दिन में पढ़ाना | कप्प पुं [कल्प ] पाठन सम्बन्धी आचार-विशेष | उस्सारंग वि [उत्सारक ] दूर करनेवाला । उत्सार कल्प के योग्य । उस्सास पुं [उच्छ्वास ] ऊँचा श्वास । प्रबल श्वास । 'नाम् न ["नामन् ] उसाँस-हेतुक कर्म - विशेष । ऊपर रखा हुआ । उस्सिन्न वि [उत्स्विन्न ] विकारान्त को प्राप्त, अचित्त किया हुआ । उस्सिय वि [ उच्छ्रित] उन्नत । ऊँचा किया उस्सासय वि [उच्छ्वासक ] उसाँस लेनेवाला । उस्साह देखो उच्छाह । उस्सिखल वि [उच्छृङ्खल ] स्वेच्छाचारी । उस्सघिय [] सूंघा हुआ । उस्सिच सक [ उत् + सिच्] सिंचना, सेक करना। ऊपर सिचना । आक्षेप करना । खाली करना । उस्सिंचण न [ उत्सेचन ] सिञ्चन । कूपादि Jain Education International उस्सुआव सक [उत्सुकय् ] उत्कण्ठित करना । वि [ उच्छुल्क ] शुल्क-रहित, कररहित । उस्सुक उस्सुक्क उस्सुक्क वि [ उत्सुक ] उत्कण्ठित । न [ औत्सुक्य] उत्सुकता । उस्सुक्क उस्सुग उस्सुक्काव वि [ उत्सुकय् ] उत्कण्ठित करना । उस्सुगवि [ उत्सूत्र ] सूत्र -विरुद्ध, सिद्धान्तविपरीत | उस्सु देखो उस्सु । उस्सु न [ औत्सुक्य ] उत्कण्ठा । 'कर वि. उत्कण्ठा जनक 1 उस्सूण वि [ उच्छून ] सूजा हुआ । उस्सूर न [ उत्सूर] सन्ध्या । उस्सेअ पुं [उत्सेक] सिंचन । उन्नति । गर्व । उस्सेइम वि [उत्स्वेदिम ] आटा से मिश्रित पानी | उस्सेह पुं अभ्युदय । उत्सेध ] ऊँचाई । शिखर । उस्सेहं गुल न [ उत्सेधाङ्गुल] एक प्रकार का परिमाण । उह स [भ] दोनों, युग्म, युगल । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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