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________________ उवदेसि उवयारिअ उवदेसि वि [उपदेशिन् ] उपदेशक । देही स्त्री [उपदेहिका ] क्षुद्र जन्तु - विशेष, दीमक संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष उद्दव सक [उप + द्रु] पीडित करना । उपद्रव करना, ऊधम मचाना । उवद्दव देखो उवदव | उवदुअवि [उपद्रुत ] हैरान किया हुआ । उवधाउ पुं [ उपधातु] निकृष्ट धातु । उवधारणया स्त्री [उपधारणा ] अवग्रह- ज्ञान । धारण करना । उवधारयवि [ उपधारित ] धारण किया हुआ । उवनंद पुं [ उपनन्द] स्वनाम - ख्यात एक जैन मुनि । उवनंद सक [उप + नन्द्] अभिनन्दन करना । निक्खेव स [ उपनि + क्षेपय् ] धरोहर रखना | स्थापन करना । उवनिबंधण न [ उपनिबन्धन ] सम्बन्ध । वि. सम्बन्ध-हेतु । उवनिवि वि [ उपनिविष्ट ] समीप स्थित । उवनिहि वि[ औपनिधिक ] देखो उवणिहिय । उवन्नत्थ वि [ उपन्यस्त] स्थापित । उवन्नास पुं [ उपन्यास ] निवेदन | उवप्पदाण न [ उपप्रदान ] नीति-विशेष, उवप्पयाण दान नीति, अभिमत अर्थ का दान | उaga [ उपप्लुत] उपद्रुत, भय से व्याप्त । वि उवभुंज सक [ उप + भुज् ] उपभोग करना, काम में लाना । उक्त वि [ उपभुक्त] जिसका उपभोग किया ह | अधिकृत । Jain Education International १७३ भोग | धारण करना । उवभोग्ग ) वि [ उपभोग्य ] उपभोग योग्य । उवभोज्ज उवमा स्त्री [ उपमा ] सादृश्य, दृष्टान्त । सत्य । खाद्य-पदार्थ- विशेष । 'प्रश्नव्याकरण' सूत्र का एक लुप्त अध्ययन | अलङ्कार - विशेष । प्रमाणविशेष, उपमान प्रमाण । उवमाण न [ उपमान ] दृष्टान्त, सादृश्य । जिस पदार्थ से उपमा दी जाय वह । प्रमाणविशेष | उवमालिय वि [ उपमालित ] विभूषित । उवमिय वि [ उपमित] जिसको उपमा दी गई हो वह । न. उपमा, सादृश्य । उवमेअ वि [ उपमेय] उपमा के योग्य । उवय पुं [दे] हाथी को पकड़ने का गड्ढा । उवय देखो ओवय । उवय (अप) देखो उदय । उवयर सक [उव + कृ] उपकार करना । उवयर सक [ उप + चर्] आरोप करना । भक्ति करना । कल्पना करना । चिकित्सा करना । उवयरण न [ उपकरण] साधन | उपकार । उवयरिया स्त्री [ उपचारिका ] दासी । उवया सक [ उप + या ] समीप में जाना । उवयाइयवि [उपयाचित] प्रार्थित । मनौती | उवयार पुं [उपकार ] भलाई । उवयार पुं [ उपचार ] पूजा, चिकित्सा | शब्द- शक्ति - विशेष, अध्यारोप | व्यवहार | कल्पना । आदेश | उवयारगवि [ उपचारक] सेवा-शुश्रूषा करने आदर । वाला । उवयारण न [ उपकारण ] अन्य द्वारा उपकार करना । उवभोअ पुं [ उपभोग ] भोजनातिरिक्त उवभोग भोग, जिसका फिर-फिर भोग किया जाय जैसे - वस्त्र, गृहादि । जिसका एक बार भोग किया जाय वह अशन, पान उवयारयवि [ उपकारक ] उपकार करने वाला । वगैरह । एक बार भोग, आसेवन । अन्तरङ्ग । उवयारिअ वि [ औपचारिक ] उपचार से For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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