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________________ उज्जल-उज्जोअय संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष १४९ उज्जल विदे] देखो उज्जल्ल । हुआ। उज्जलिअ पुं [उज्ज्वलित] तीसरी नरक-भूमि उज्जु वि [ऋजु] निष्कपट, सीधा। °कड़ वि का सातवाँ नरकेन्द्रक । [कृत] निष्कपट तपस्वी । °कड़ वि [कृत्] उज्जलिअ वि [उज्ज्वलित]उद्दीप्त, प्रकाशित । माया-रहित आचरणवाला । जड़, जड्डु वि ऊँची ज्वालाओं से युक्त । न. उद्दीपन । [°जड़] सरल किन्तु मूर्ख, तात्पर्य को नहीं उज्जल्ल वि [दे] पसीनावाला, मलिन, समझनेवाला । मइ स्त्री [°मति] मनःपर्यव बलवान। ज्ञान का एक भेद, सामान्य रीति से दूसरों उजल्ल न [औज्ज्वल्य] उज्ज्वलता । के मनोभाव को जानना । वि. उक्त मनोउज्जल्ला स्त्री [दे] बलात्कार, जबरदस्ती । ज्ञानवाला । वालिया स्त्री [°वालिका उज्जव अक [उद् + यत्] प्रयत्न करना । नदी-विशेष, जिसके किनारे भगवान् महावीर उज्जवण देखो उज्जावण । को केवल-ज्ञान उत्पन्न हुआ था। °सुत्त पुं उज्जह सक [उद् + हा] प्रेरणा करना । [°सूत्र] वर्तमान वस्तु को हो माननेवाला उज्जाअर) पुं [उजागर] जागरण, निद्रा का नय-विशेष । सुय पुं [ °श्रुत ] देखो पूर्वोक्त उजागर । अभाव । अर्थ । हत्थ पुं [ हस्त] दाहिना हाथ । उजाडिअ वि [दे] उजाड़ किया हुआ। उज्जु पुं [ऋजु] संयम । उज्जाण न [उद्यान] उपवन । जत्ता स्त्री उज्जआइअ वि [ऋजुकारित] सरल किया [ यात्रा] गोष्ठी। पालअ, वाल वि | हुआ। [°पालक, पाल] माली । उज्जुत्त वि [उद्युक्त उद्यमी, प्रयत्नशील । उज्जाणिअ वि [औद्यानिक]उद्यान-सम्बन्धी, | उज्जुरिअ वि [दे] क्षीण, शुष्क, सूखा । बगीचा का। उजूढ वि [उद्व्यूढ] धारण किया हुआ । उज्जाणिअ वि [दे] निम्नीकृत । उज्जेणग पुं [उज्जयनक] श्रावक-विशेष, एक उज्जाणिआ। स्त्री [ औद्यानिका ] गोष्ठी, उपासक का नाम । उज्जाणिगा) गोठ । उज्जेणी देखो उज्जइणी। उज्जाणी स्त्री [औद्यानी] गोष्ठी। उज्जायण न [उद्यायन] गोत्र-विशेष । उज्जोअ सक [उद् + द्योतय] प्रकाश करना, उद्योत करना। उज्जाल सक [उत् + ज्वालय्] उज्ज्वल करना, विशेष निर्मल करना। उज्जोअ पुं [उद्योग] प्रयत्न, उद्यम । उज्जाल सक [उद् + ज्वालय]उजाला करना। उज्जोअ पुं [उद्द्योत] प्रकाश, उजेला । °गर वि [°कर] प्रकाशक । उयोत का कारणजलाना। उज्जालय वि[उज्ज्वालक]आग सुलगानेवाला। भूत कर्मविशेष । 'त्थ न [°ास्त्र] शस्त्रउज्जावण न [उद्यापन] व्रत का समाप्तिकार्य। विशेष । उज्जाविय वि [दे] विकासित । उज्जोअग वि [उद्द्योतक] प्रकाशक । उजित देखो उजयंत । उज्जोअण न [उद्योतन प्रकाशन, अवभासन । उज्जीरिअ वि [दे] अपमानित, तिरस्कृत ।। वि. प्रकाश करनेवाला । पं. सूर्य । एक प्रसिद्ध उज्जीवण न [उज्जीवन] पुनर्जीवन, जिलाना। जैनाचार्य । - उद्दीपन । उज्जोअय वि[उद्द्योतक] प्रकाशक । प्रभावक, उज्जीविय वि [उज्जीवित] पुनर्जीवित, जिलाया । उन्नति करनेवाला । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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