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________________ १४१ उक्कल-उक्कुट्ठ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष महत्त्व । स्थापन, आधान । | उक्कालिय वि [उत्कालिक] वह शास्त्र, उक्कल देखो उक्कड । जिसका अमुक नमय में ही पढ़ने का विधान उक्कल अक [ उत् + कल् ] उत्कट रूप से न हो। बरतना। उक्कास देखो उक्कस्स = उत्कर्ष । उक्कल वि [उत्कल] धर्म-रहित । न. चोरी । | उक्कास वि [दे] उत्कृष्ट, ज्यादा से ज्यादा । पुं. देश-विशेष । उक्कासिअ वि [दे] उत्थित, उठा हुआ। उक्कलंब सक [उत् + लम्बय]फांसी लटकाना । उक्किट्ठ वि [उत्कृष्ट] ज्यादा। पुंन. इमली उक्कला देखो उक्कलिया। आदि के पत्तों का समूह । लगातार दो दिन उक्कलिय वि [दे] उबला हुआ। का उपवास । उक्कलिया स्त्री [उत्कलिका] लूता, मकड़ो। उक्किट्ठ वि [उत्कृष्ट] उत्तम । फल का शस्त्र नीचे की तरफ बहनेवाला वायु। छोटा । द्वारा किया हुआ टुकड़ा। समुदाय, समूह-विशेष । लहरी, तरंग । ठहर- उक्किट्ठि स्त्री [उत्कृष्टि] हर्षध्वनि। देखो ठहर कर तरंग की तरह चलनेवाला वायु । । उक्कट्ठि। उक्कस सक [गम्] जाना, गमन करना। उक्किण्ण वि [उत्कीर्ण] खोदा हुआ । नष्ट । उक्कम देखो ओकस । चचित, उपलिप्त । उक्कस देखो उक्कुस। उक्वित्त वि [उत्कृत्त] कटा हुआ । उक्कस देखो उक्कस्स = उत्कर्ष । उक्कित्तण न [उत्कीर्तन] कथन । प्रशंसा । उक्कसण न [उत्कर्षण] अभिमान करना। | उक्कित्तिय वि [उत्कीत्तित] कथित, कहा ऊँचा जाना । निवर्तन, निवृत्ति । प्रेरणा। हुआ। उकसाड वि [उत्कशायिनी सकारादि के उक्किर सक [उत् +क] खोदना, पत्थर लिए उत्कण्ठित। आदि पर अक्षर वगैरह का शस्त्र से लिखना । उक्कसाइ वि [उत्कषायिन्] प्रबल कषायवाला । उकिरणग न [उत्करणक] अक्षत आदि से बढ़ाना, बधावा, वर्धापन । उक्कस्स अक [अप + कृष्] ह्रास प्राप्त होना । उक्कीर देखो उक्किर। फिसलना, गिरना। उक्कीलिय न [उत्क्रीडित] उत्तम क्रीड़ा। उक्कस्स पुं [उत्कर्ष] गर्व । अतिशय । उक्कीलिय वि [ उत्कीलित ] कीलक से उक्कस्स वि [उत्कर्षवत्] उत्कृष्ट, ज्यादा से नियंत्रित । ज्यादा । अभिमानी। उक्कुचण न [उत्कुञ्चन] ऊँचे चढ़ाना । उक्का स्त्री [उल्का] लूका, आकाश से जो एक उक्कंड वि [दे] मत्त, उन्मत्त । प्रकार का अंगार सा गिरता है। छिन्न-मूल उक्कुक्कुर अक | उत् + स्था] उठना, खड़ा दिग्दाह । अग्नि-पिण्ड । °मुह पुं [°मुख] होना। अन्तर्वीप-विशेष । उसके निवासी लोक । °वाय उक्कुज अक [उत्+कुब्ज्] ऊँचा होकर पुं [°पात] तारा का गिरना, लूका गिरना । नीचा होना। उक्का स्त्री [दे] कूप तुला।। | उक्कुज्जिय न [उत्कूजित] अव्यक्त शब्द । उक्काम सक [ उत् + क्रामय् ] दूर करना, उक्कुट न [उत्कुष्ट] वनस्पति का कूटा हुआ पीछे हटाना। चूर्ण। उक्कारिया देखो उक्करिया। उक्कुट वि [उत्क्रुष्ट] ऊँचे स्वर से आक्रुष्ट । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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