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________________ पुनरावृत्ति करने वाले शब्द, अर्थों के साथ लगे संख्यावाची अंक और अनावश्यक वर्णनात्मक विस्तार निकाल दिये गये हैं। तत्सम शब्दों के सामने कोष्ठक में दिये गये संस्कृत शब्द भी निकाल दिये गये हैं। अन्य जो भी परिवर्तन किये गये हैं उनके विषय में आगे नियम प्रस्तुत किये गये हैं उन्हें देख लेना पाठकों के लिए उपयोगी होगा । इस आयोजन से कोश का महत्व भी नहीं घटा और मूल कोश । भारी और दीर्घ-काय था वह हलका, लघुकाय और संक्षिप्त बन गया तथा स्थानान्त ण के लिए वह सुवाह्य और सुविधाजनक हो गया। अर्थ लाभ की दृष्टि से प्रकाशित नहीं किये जाने के कारण इसका मूल्य बाज़ार-भाव से कम ही रखा गया है, ताकि यह सर्वजन सुलभ हो सके। लगभग तीन-चार वर्ष पूर्व जब इस आवृत्ति की योजना बनायी गयी उस समय हमारी नवोदित इस संस्था के पास इस कार्य को प्रारम्भ करने के लिए भी पर्याप्त रकम नहीं थो अतः इस दिशा में प्रयत्न किये गये । पू. आचार्य श्री भुवनशेखरमूरिजो, अहमदाबाद पू. आ. श्री विजयसुशील सूरिजी, सिरोही, पू. मुनि श्री क हैयालाल जी 'कमल', आबू पर्वत, पू. गणिवर्य श्री प्रद्युम्नविजयजी, अहमदाबाद और पू. मुनि श्री धरणेन्द्र सागरजी, अहमदाबाद की प्रेरणा से हम कुछ संस्थाओं और द्गृहस्थों से आवश्यक रकम दान के रूप में प्राप्त कर सके और उससे इस संस्करण का सम्पादन हो सका। पुनः इस संस्था के कार्य को आगे बढ़ाने के लिए कितने ही नये सदस्य भी बनाये गये । इस कार्य में मुख्यतः मद्रास से श्री सी० आर० जैन ने प्रशंसनाय परिश्रम किया और वहाँ से इस संस्था के लिए अनेक सदस्य बनाये। एतदर्थ हम उन सबका हृदय से आभार मानते हैं। इस कोश का सम्पादन-कार्य हो जाने के बाद कठिन कार्य तो उसे प्रकाशित करने का था जिसके लिए एक बड़ी रकम की आवश्यकता थी। यह संस्था इतनी समृद्ध नहीं था कि प्रकाशन का खर्च उठा सके। योगानुयोग माहित्यिक कार्य की यह बात मैंने आदरणीय एवं सौजन्यशील श्री आत्मारामभाई भोगीलाल सुतरिया के ध्यान में लायी तब उन्होंने ज्ञान-प्रचार के कार्य में अपनी रुचि बतलायी और हमारी इस योजना की पुष्टि की। उन्होंने आश्वासन दिया कि इस कोश के प्रकाशन का पूरा खर्च उनकी संस्था 'श्रेष्ठी श्री कस्तूरभाई लालभाई स्मारक निधि' वहन करेगी। दीर्घ काल से प्रतीक्षित आर्थिक सहायता के वचन पाकर मुझे अत्यंत हर्ष हुआ और इस कोश के प्रकाशन का कार्य आगे बढ़ाया। एतदर्थ इस ‘स्मारक निधि', उसके ट्रस्टियों एवं श्री आत्माराम भाई का हम सहृदय आभार मानते हैं। इस कोश के सम्पादन के कार्य में पं. दलसुखभाई मा लवणिया और डॉ० ह० चू० भायाणी का जो मार्गदर्शन मिला है उसके लिए मैं उनका अन्तःकरण पूर्वक आभार मानता हूँ। इस कोश की मुद्रण के योग्य प्रति तैयार करने में मेरे विद्यार्थियों डॉ० कु० गीता पी० मेहता, श्रीमती संगीता पी० देसाई एम० ए० और श्री दीना नाथ शर्मा एम० ए० ने जो कार्य एवं सहायता की है उसके लिए मैं उनका आभारी हूँ | श्री धीरू भाई ठाकर ने सेठ कस्तूरभाई का जीवन-परिचय गुजराती में लिखा और उसका हिन्दी अनुवाद श्री जितेन्द्र शाह ने किया एतदर्थ हम उनके आभारी हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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