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________________ १०९ आढत्त-आणवणिय संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष आढत्त वि [ आरब्ध ] शुरू किया हुआ, आणंदण न [आनन्दन] खुशी। वि. खुश प्रारब्ध । करनेवाला, आनन्ददायक। आढप्प देखो आढव। आणंदवड । पुं [दे] पहली बार की आढय देखो आढग। आणंदवस । रजस्वला का रक्त वस्त्र । आढव सक [ आ+रभ् ] शुरू करना। आणंदा स्त्री [आनन्दा] देवी-विशेष, मेरु की आढा सक [आ + द] आदर करना, मानना । पश्चिम दिशा में स्थित रुचक पर्वत पर रहने आढिअ वि [आदत] सत्कृत, सम्मानित ।। वाली एक दिक्कुमारी । इस नाम की एक आढिअ वि [दे] अभीष्ट । गणनीय, माननीय । पुष्करिणी। अप्रमत्त, उद्युक्त । गाढ़, निबिड । आणंदिय वि [आनन्दित] हर्षप्राप्त। रामचन्द्र आण सक [ज्ञा] जानना । के भाई भरत के साथ दीक्षा लेने वाला एक आण सक [आ + णी] ले आना। राजा । आण पुं [आन] श्वासोच्छ्वास । श्वास के आणक्ख सक [परि + ईक्ष] परीक्षा करना। पुद्गल । आणच्छ देखो आअंछ । °आण देखो जाण = यान । आण? वि [आनष्ट] सर्वथा नष्ट । आणंछ देखो आअंछ । आणण न [आनन] मुख । आणंतरिय न [आनन्तर्य] अविच्छेद, व्यवधान आणण न [आनयन लाना । का अभाव । अनुक्रम । आणत्त वि [आज्ञप्त) जिसको हुकुम दिया गया आणंद अक [आ + नन्द्] खुश होना । हो वह । आणंद सक [आ + नन्दय] खुश करना। आणत्ति स्त्री [अज्ञप्ति] आज्ञा, हुकुम । °अर वि [ कर] आज्ञाकारक, नौकर । 'किंकर आणंद पुं [आनन्द] अहोरात्र का सोलहवाँ वि. नोकर। हर वि. आज्ञावाहक, संदेशमुहूर्त । एक देवविमान । हर्ष । भगवान् वाहक। शीतलनाथ के मुख्य-शिष्य । पोतनपुर नगर आणत्थ न [आनर्थ्य अनर्थता । का एक राजा, जो भगवान् अजितनाथ का आणप (अशो) देखो आणव = आ + ज्ञपय् । मातामह था। भावी छठवाँ बलदेव । नाग आणपाण देखो आणापाण। कुमार जातीय देवों के स्वामी धरणेन्द्र के एक रथ सैन्य का अधिपति देव । मुहूर्त-विशेष । आणप्प वि [आज्ञाप्य] आज्ञा करने योग्य । भगवान् ऋषभदेव का एक पुत्र । भगवान् । आणम अक [आ+अन्] श्वास लेना। महावीर के एक साधु शिष्य का नाम । आणमणी देखो आणवणी। भगवान् महावीर के दस मुख्य उपासकों | आणय पुन [आनत] देवलोक-विशेष । पं. उस (श्रावक-शिष्य) में पहला। देव-विशेष । देवलोकवासी देव । राजा श्रेणिक के एक पौत्र का नाम । 'उपास- | आणय पुन [आनत] एक देवविमान । गदसा' सूत्र का एक अध्ययन । 'अणुत्तरोप- आणयण न [आनयन] लाना, आनना । पातिकदसा' सूत्र का सातवाँ अध्ययन । आणव सक[आ+ज्ञपय] आज्ञा देना,फरमाना। 'निरयावली' सूत्र का एक अध्ययन । ब. देश- आणव देखो आणाव = आ + नायय् । विशेष । °पुर न. नगर-विशेष । °रक्खिय पुं आणवण न [आनायन] मँगवाना। [रक्षित] स्वनामख्यात एक जैन साधु । | आणवणिय वि [आज्ञापनिक] आज्ञा फरमाने Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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