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________________ आइल-आउच्छिय आइल वि [ आविल ] कलुष, अस्वच्छ । वि [ आदिम ] प्रथम | आइल्ल आइल्लिय संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष आइवाहिअ पुं [आतिवाहिक ] देव - विशेष, जो मृत जीव को दूसरे जन्म में ले जाने के लिए नियुक्त है । आइवाहिग पुं [आतिवाहिक ] मार्गदर्शक | आइस सक [ आ + दिश्] आदेश करना, हुकुम करना । आइस वि [] परित्यक्त । आईण वि [आदीन] बहुत गरीब । न दुषित | आउ अ [दे] अथवा | आउ भिक्षा | आई पुं [दे] जातिमान् अश्व । आईण न [आजिन ] चमड़े का बना हुआ वस्त्र । पुं. द्वीप - विशेष । समुद्र - विशेष | भद्द पुं [भद्र] आजिन द्वीप का अधिष्ठाता देव । महाभ६ [महाभद्र] देखो पूर्वोक्त अर्थ | 'महावर पुं. आजिन और आजिनवर नामक समुद्र का अधिष्ठाता देव । ' वर पुं. द्वीप - विशेष । समुद्र - विशेष । आजिन और आजिनवर समुद्र का अधिष्ठाता देव | 'वरभद्द पुं [वरभद्र ] आजिनवरद्वीप का अधिष्ठाता देव। ॰वरमहाभद्द पुं[°वरमहाभद्र] देखो अनन्तर उक्त अर्थं । °वरोभास पुं [वराव - भास] द्वीप-विशेष । समुद्र - विशेष । ° वरो भासभद्द पुं [वरावभासभद्र ] उक्त द्वीप का अधिष्ठायक देव । ' वरोभासमहाभद्द पुं [°वरावभासमहाभद्र] देखो पूर्वोक्त अर्थ । 'वरोभासमहावर पुं['वरावभासमहावर ] अजिनवराभास नामक समुद्र का अधिष्ठाता देव | 'वरोभासवर ['वरावभासवर] देखो अनन्तरोक्त अर्थ । आईनीइ स्त्री [आदिनीति ] सामरूप पहली राजनीति | आईये देखो आइ = आदि । आई वि[आतीत ] विशेष ज्ञात । संसार में Jain Education International घूमनेवाला । आईल पुंन [आचील ] पान का थूकना । आईव अक [आ + दीप् ] चमकना । आईसर पुं [आदीश्वर] भगवान् ऋषभदेव । आउ स्त्री [ दे] पानी । इस नाम का एक नक्षत्र - देव । काय, क्काय पुं [ काय ] जल का जीव | "काइ, 'क्वाइय पुं [' कायिक] जल का जीव । जीव पुं. जल का जीव । बहुल वि. जल- प्रचुर | रत्नप्रभा पृथिवी का तृतीय काण्ड | १०३ न [आयुष्] आयु, जीवनकाल । आउअ वय | आयु कारणभूत कर्मपुद्गल । 'क्काल पुं [°काल ] मृत्यु । क्खय पुं [य] मरण | खेम न [क्षेम] आयुपालन, जीवन । विज्जा स्त्री [° विद्या ] चिकित्साशास्त्र | 'व्वेय पुं [वेद] चिकित्सा शास्त्र | आउंच सक [आ + कुञ्चय् ] संकुचित करना, समेटना | आउंचिअ वि [आकुञ्चित] संकुचित । उठाकर धारण किया हुआ । आउंजि वि [आकुञ्चिन् ] संकुचनेवाला । निश्चल | आउंट देखो आउट्ट = अ-वर्त्तय् । आउंट अक [आ + कुञ्च् ] संकोचना । आउंटण न [आकुण्टन ] आवर्जन । आउंबालिय वि [दे] आप्लावित, डुबाया हुआ, पानी आदि द्रवपदार्थ से व्याप्त । आउक्क देखो आउ = आयुष् 1 आउग आउच्छ सक [ आ + प्रच्छ् ] आज्ञा लेना । अनुज्ञा लेना । आउच्छणा स्त्री [आप्रच्छना] प्रश्न । आउच्छिय वि [आपृष्ट ] जिसकी आज्ञा ली गई हो वह । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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