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________________ संक्षिप्त प्राकृत हिन्दी कोष अस्सि -अहर अस्सि स्त्री [अधि] कोण, घर आदि का अनुक्रम से । °क्खाय, °खाय न [ख्यात] कोना । तलवार आदि का अग्रभाग-धार । । निर्दोष चारित्र, परिपूर्ण संयम । क्खायसंजय अस्सि पुं[अश्विन्] अश्विनी नक्षत्र का अधि- वि [°ख्यातसंयत] परिपूर्ण संयम वाला। ष्ठायक देव । °च्छंद देखो अहाछंद । 'त्थ वि [°स्थ] अस्सिणी स्त्री [अश्विनी] इस नाम का एक ठीक-ठीक रहा हुआ, यथास्थित । स्थ वि नक्षत्र। [र्थ] वास्तविक । °प्पहाण अ [°प्रधान] अस्सिय वि [आश्रित] आश्रय-प्राप्त । प्रधान के हिसाब से। अस्सु पुन [अश्रु] आँसू । अहइं अ [अथकिम्] स्वीकार-सूचक अव्ययअस्सु (शौ) न [अश्रु] आँसू । हाँ, अच्छा । अस्सुक वि [अशुल्क] जिसकी चुंगी या फीस | अहंकार पुं. अभिमान । माफ की गई हो वह । अहंणिस न [अहर्निश] रात-दिन, सर्वदा । अस्सुद ( शौ ) देखो असुय = अश्रुत । अहकम्म देखो अहेकम्म। अस्सुय वि [अस्मृत] याद नहीं किया हुआ। अहण वि [अधन] निधन । अस्सेसा देखो असिलेसा। अहण्णिस न [अहर्निश] रात-दिन, निरन्तर । अस्सोई स्त्री [आश्वयुजी] आश्विन मास की | अहत्ता अ [अधस्तात्] नीचे । पूर्णिमा । अहण्ण वि [अधन्य] अप्रशस्य, हतभाग्य । अस्सोई स्त्री [आश्वयुजी] आश्विन मास की | अहम वि [अधम] अधम, नीच । अमावस देखो आसोया। अहमंति वि [अहमन्तिन्] अभिमानी । अस्सोकंता स्त्री [अश्वोत्क्रान्ता] संगीत-शास्त्र | अहमहमिआ । स्त्री [अहमहमिका] मैं प्रसिद्ध मध्यम ग्राम की पांचवीं मूर्च्छना । अहमहमिगया। इससे पहले हो जाऊँ ऐसी अस्सोत्थ देखो अस्सत्थ । अहमहमिगा ' चेष्टा, अत्युत्कण्ठा । अस्सोयव्व वि [अश्रोतव्य सुनने के अयोग्य ।। अहमिद पुं [अहमिन्द्र] उत्तम-श्रेणीय पूर्ण अह अ [अथ] इन अर्थों का सूचक अव्यय- स्वाधीन देवजाति विशेष, ग्रेवेयक और अनुत्तर अब, बाद । अथवा, और । मंगल । प्रश्न । विमान के निवासी देव । अपने को इन्द्र समुच्चय । प्रतिवचन, उत्तर विशेष ।यथार्थता, समझने वाला, गर्विष्ठ । वास्तविकता । पूर्वपक्ष । वाक्य की शोभा अहम्म देखो अधम्म। बढ़ाने के लिए और पादपूर्ति में भी इसका अहम्म वि [अधम्य] घमरहित, गरव्याजबी । प्रयोग होता है। पाप । अह न [अहन्] दिवस । अहम्माणि वि [अहम्मानिन्] अभिमानी। अह अ [ अधस् ] नीचे । 'लोग पुं लोको अहम्मि वि [अर्मिन्] धर्म-रहित, पापी । पाताल-लोक । 'त्थ वि [ "स्थ ] निम्न- अहम्मिट्ठ देखो अधम्मिट्ठ । स्थित । अहम्मिय वि [अधार्मिक] अधर्मी, पापी। अह स [अदस्] यह, वह । अहय वि [अहत] अनुबद्ध, अव्यवच्छिन्न । अह न [दे] दुःख । अखण्डित । जो दूसरी तरफ लिया गया हो अह न [अघ] पाप। नूतन । अह° देखो अहा । क्कम, कमसो अ[°क्रम] | अहर वि [दे] अशक्त । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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