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________________ ८८ अवि पुं [दे] बालक । अविव वि [ अविभव ] दरिद्र । rfar देखो अविदा | संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष एक समास । अव्वंग वि[अव्यङ्ग] अखण्ड, अन्यून | संपूर्ण | विहावि वि [] गरीब । न मौन । अविवि [] मत्त, उन्मत्त । अविहित a [ अविघ्नत् ] नहीं मारता हुआ, हिंसा न करता हुआ । अविहीर व [ अप्रतीक्ष] प्रतीक्षा नहीं करने वाला । अविडय वि [अविटक] आदर करनेवाला । अवी देखो अवि । अवीय अ [ अविविच्य ] अलग न होकर । अवीय वि [अद्वितीय] असाधारण, अनुपम । एकाकी, असहाय । अवुक्क सक [वि + ज्ञपय् ] विज्ञप्ति करना, प्रार्थना करना । अग्गह देखो अविग्गह । अह देखो अवोह | अवे सक [अव + इ] जानना । अवे अक [अप + इ] दूर होना, हटना । अवेक्ख सक [अव + ईक्ष्] अपेक्षा करना । परवाह करना । अवेक्ख स [ अव + ईक्ष् ] अवलोकन करना । अarfa [ अपेत] रहित, वर्जित । रुइ वि [°रुचि ] रुचि रहित, निरीह । अवे वि [अवेद] पुरुष - वेदादि वेद से रहित । मुक्त, मोक्ष प्राप्त । अवेसि देखो अंबेसि । अवेह देखो अवेक्ख = अव + ईक्षु । rates वि [अव्याकृत] अव्यक्त, अस्पष्ट अवोह सक [अप + ऊह्] विचार करना । निर्णय करना । अवोह पुं [अपोह] विकल्पज्ञान, तर्कविशेष | त्याग | निर्णय । अव्वभाव पुं [अव्ययीभाव] व्याकरण- प्रसिद्ध Jain Education International अविहड-अव्वाबाह न. पूर्ण अंग, पूरा शरीर । अव्वक्खित्त वि [अव्याक्षिप्त ] विक्षेपरहित । तल्लीन, एकाग्र । अव्वग्ग वि [अव्यग्र ] अनाकुल । अव्वत्त वि [अव्यक्त ] अस्पृष्ट, अस्फुट अव्वत्तय छोटी उमर का बालक । अगीतार्थ, शास्त्र - रहस्यानभिज्ञ ( साधु ) । पुं. अव्यक्त मत का प्रवर्तक एक जैनाभास मुनि । सांख्य मत में प्रसिद्ध प्रकृति । मय न [मत ] एक जैनाभास मत । अव्वत्तव वि [ अवक्तव्य ] अवचनीय । पुं. कर्मबन्ध विशेष, जब जीव सर्वथा कर्मबन्धरहित होकर फिर जो कर्मबन्ध करे वह । अवत्तिय देखो अवत्तिय । अव्वभिचारिवि [अव्यभिचारिन् ] ऐकान्तिक । अव्वय न [अव्यय ] 'च' आदि निपात | अव्वयन [ अव्रत] व्रत का अभाव । वि. व्रतरहित । अव्वय वि [अव्यय ] अखुट । शाश्वत । अव्यवसिय वि [अव्यवसित] अनिश्चित, संदिग्ध । अपराक्रमी । अवसण व [अव्यसन] व्यसन रहित । पुंन. लोकोत्तर रीति से १२वाँ दिन । अव्वह a [ अव्यथ] व्यथारहित । न निश्चल ध्यान | अव्वा स्त्री [अर्वाक् ] पर भिन्न । roar स्त्री [दे. अम्बा ] माता । अव्वाइद्ध वि [अव्याविद्ध] अविपरीत । न. सूत्र का एक गुण, अक्षरों की उलट-पुलट का अभाव । अव्वागड वि [अव्याकृत] अव्यक्त | अव्वाण वि [ आव्यान ] थोड़ा स्निग्ध । अव्वाबाह वि [अव्यावाध] हरज-रहित । न. रोग का अभाव । सुख । मोक्ष - स्थान, For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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