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________________ ८५ अवसेसिय-अवहास संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष अवसेसिय वि [अवशेषित] समाप्त किया | अवहत्थरा स्त्री [दे] लात मारना । हुआ, पार पहुँचाया हुआ । अवशिष्ट । अवहय वि [अपहत] नष्ट । अवसेह सक [गम्] जाना। अवहय वि [अघातक] अहिंसक । अवसेह अक [ नश् ] पलायन करना। अवहर सक [गम्] जाना। अवसोइया स्त्री [अवस्वापिका] निद्रा। अवहर अक [नश्] भाग जाना। अवसोग वि [अपशोक] शोक-रहित । देव- | अवहर सक [अप + ह] छीन लेना, अपहरण विशेष । करना। भागाकार करना, भाग देना। अवसोण वि [अपशोण] थोड़ा लाल । परित्याग करना। अवसोवणी स्त्री [अवस्वापनी] निद्रा । । अवहर वि [अपहर] अपहारक, छीन लेनेअवस्स वि [अवश्य] जरूरी, नियत । कम्म वाला। न |°कमन्] आवश्यक क्रिया। करणिज्ज | अवहस सक [अव, अप + हस्] तुच्छ करना, वि [करणीय] अवश्य करने लायक कर्म, तिरस्कार करना, उपहास करना। सामयिक आदि । °किरिया स्त्री [क्रिया] | | अवहाउ सक [दे] आक्रोश करना। आवश्यक अनुष्ठान । किच्च वि [°कृत्य] | अवहाडिअ वि [दे] उत्कृष्ट, जिस पर आक्रोश आवश्यक कार्य। किया गया हो वह । अवस्सं अ [अवश्यम्] जरूर, निश्चय । अवहाण न [अवधान] ख्याल, उपयोग । ज्ञान, अवस्सप्पिणी देखो अवसप्पिणी। जानना। अवस्साअ देखो अवसाय । अवहाय पु[दे] विरह, वियोग । अवस्सिय वि [अवाश्रित] आश्रित, अवलग्न । अवहाय अ [अपहाय] छोड़ कर, त्याग कर । अवह सक [रच्] निर्माण करना । अवहार सक [अव + धारय्] निर्णय करना, अवह स [उभय] दोनों, युगल । निश्चय करना। अवह वि. न बहता हुआ, जो चालू नहीं है। । अवहार (अप) देखो अवहर = अप + ह । अवहइ स्त्री [अपहति] विनाश। | अवहार पु [अपहार] अपहरण । दूर करना, अवहट्ट वि [दे] अभिमानी । परित्याग । चोरी । बाहर करना, निकालना। अवहट्ट अवहर = अप+ह का संकृ.। भागाकार । विनाश । अवहड वि [अपहृत ले लिया गया, छीना | अवहार पु [अवधार] निश्चय, निर्णय । °व हुआ। वि [वत्] निश्चय वाला। अवह वि [अवहृत] ऊपर देखो। अवहार पु [अवधार्य] ध्रुवराशि, गणितअवहड नदी मसल । प्रसिद्ध राशिविशेष । अवहण्ण पु[दे] उदूखल । अवहारय वि [अपहारक] छीननेवाला, अपअपहत्थ पु [अपहस्त] मारने के लिए या | हरण करनेवाला । निकाल बाहर करने के लिए ऊँचा किया | अवहाव सक [क्रप्] दया करना, कृपा हुआ हाथ । करना । अवहत्थ सक [अपहस्तय] हाथ को ऊंचा | अवहाविअ वि [अवधावित] गमन के लिए करना । त्याग करना, छोड़ देना। दूर | प्रेरित । करना। | अवहास पु [अवभास] प्रकाश । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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