SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 643
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गुणसंकम] ( ६३५ ) [गुत्त ४; ठा० ४, ३; दस • ६, २; पंचा०१, १६; निर्जरा हर समय पर अधिक हो वह गुण गुणसंकम. न० ( गुणसंक्रम ) मध्यभान श्रेणि. The spiritual stages of અશુભ પ્રકૃતિના દલિઆને બંધમાન પ્રક. evolution in succession. Frosio તિમાં પ્રતિસમય અસંખ્યાતગુણે વૃદ્ધિએ ५, ८२; उमेरा ते. अबद्धमान अशुभ प्रकृति के गुणसढी बी० ( गुणश्रेणी ) सरथी ५२नी समूह को बध्यमान प्रकृति में प्रतिसमय असंख्य સ્થિતિના કમ દલિયાને લઈ ઉદયના પહેલા गुण वृद्धि से जोडना. Adding infi- સમયથી પ્રતિ સમયે અસંખ્યાત ગુણ વૃદ્ધિ કે nitely of sinful molecules નાખતાં અન્તમુહુર્ત સુધી તેવી અધિક શ્રેણી every instent in the acquired ચાલે તેને ગુણગુણ કહેવામાં આવે છે; લાંબી ones. क. प. २,१०० स्थितिना या मागवानी में शति. सर्व गुणसंकमण. पुं० ( गुणसंक्रमण ) तुम से उच्च स्थिति के कर्म समूह को लेकर उदय “गुणसंकम" श६. देखो “गुणसंकम" | के पूर्व समय से प्रति समय पर असंख्यात शब्द. Vide “गुणसंकल" क०५० २,७०; / गुणों की वृद्धि करते हुए अन्तर्मुहूर्त पर्यन्त गुणासल. न० (गुणशील ) से नामर्नु २।०४. ऐसी अधिक श्रणी चालू रहे उसे गुण श्रेणी नगरी पासेतुं ये उधान. इस नामका कहते हैं; लम्बी स्थिति के समूह को राजगृही नगरी के समाप का एक उद्यान- भुगत मान करने की राति. The process ariar. Name of * garden in of enduring the Karma of a the vicinity of Rājagruhi long duration. उत्त०२६,६; ओव० १५: city. कप्प० ९, ६३; गुणि. त्रि० (गुणिन् ) गुण पा-दी-सो. गुण गुणासल श्र-य. पुं० (-गुणशालक) २००५नी । युक्त. Having a quality: meritori. ०६॥२ सावेडं ये नामन में 21--GE:न. ous. नाया० १२; क. प. ४, २५; राजगृह के बाहर आया हुआ इस नाम का गुणिजमाण. त्रि० ( गुण्यमान ) गुहार एक चैत्य उद्यान. Name of a garden | ४२. गुना किया जाता. Multiplied. outside Rajagriha. भग. १, १; २, प्रव० ६३७; १, ७, १०; अणुत्त०१, १; नाया० १८; (२) गुणिय-श्र. त्रि. (गुणित ) गुणेता र से नामर्नु यक्ष मन्दिर इस नाम का यक्ष ४२३. गुना हुआ;गुना किया हुआ. Multipliमन्दिर. name of a temple of Yak. ed. उत्त० ७, १२; विशे० ७६. भग. २४; $a. निर०३, १; --चेइय. न० (-चैत्य) २१; क. प० २, ७८ नुस। “गुणसिलअ--य" श६. देखो “गुण- गुराण. त्रि. (गुण्य) गुणने साय, गुनने योग्य. सिलअ-य" शब्द. vide “गुण सिल-य" Worthy of attributes. कप्प०४,६०; नाया. १३; गुत्त. न. (गोत्र ) गोत्र: २५८ ४. गोत्र; कुल-. गुणसेढि. स्त्री. ( गुणश्रेणि) Yणारे प्रशनी नाम. Surname; family name. રચના; જયાં ગુણની વૃદ્ધિએ અસંખ્યાત ગુણી | नंदी० २६; उत्स० १८, २१; भग० २५, ६; निश समये अधि: थाय ते गुया कप्प० ११ २; (२) सातभु गोत्र म. श्रेय. गुणणि; गुणाकार प्रदेश की रचना; सातवां गोत्रकर्म. the 7th Gotra जहां गुण की वृद्धि से असंख्यात गुनी के। Karma. भग० २५, ६; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016014
Book TitleArdhamagadhi kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnachandra Maharaj
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1988
Total Pages1016
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi, Gujarati, English
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy