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________________ उस्स] ( ३०६ ) [उस्सीप्पणी श्रोस. Dew; fog: hoar-frost. bas knowledge of general "अप्पहरिएसु अप्पुस्सेसु" वेय०४,१; भग० rules and exceptions; (one ) १५,१;उत्त०३६,८५; विशे०२५७६; ठा०४,४; who knows the minute rules उस्मश्र. पुं० ( उछ्रय ) लावनी उन्नति. भाव of Sastras. प्रव. ५५०; की उन्नति; विचार की उन्नति. Subli उस्सरण. न. (*) मसता; 40मागे; पाये. mity of thought. पण्ह ० २, १; बहुलता; बहुत अधिक; प्रायः mostly; उस्सक्कण. न. ( उत्थवष्कण स्वयोगप्रवृत्त to a great extent. “उस्सरणमं. कालावधेरूर्व पुरतः प्वप्कणमारम्भकरण साहारा" भग० ७, ७; " उस्सरण लक्षण मुत्ष्यष्कणम् ) ने माटो र निर्माण संजया" निसी० ३; जीवा० १; भग०७, ६; કરેલ છે તેને ઉલંધીને તે કાર્ય કરવું તે. १५, १; -दोस. पुं० (-दोष-उत्सनमनु जिस कार्य के लिये जो समय नियत है उस परतं बाहुल्येन प्रवर्तत इत्युत्सन्नदोषः) समय के निकल जाने पर वह कार्य करना. दिसामा यी प्रवृत्तिवासो. हिंसादि में Doing an action after the time बहुत प्रवृत्ति रखनेवाला. one who is too fixed for it has elapsed. पिं० much given to the sin of killनि० २८५; (२) ये . ऊंचे कूदना. ing etc. भग० २.५, ७; leaping up; high jump. प्रव० उस्सएहसरिहा. स्त्री. (उच्छल वणश्लक्षिण१५७; पंचा० १३, १०; का) अनंत -यारि ५२।१५ मेगा था उस्सग्ग. पुं० ( उत्सर्ग) स याना थाने २५नी संज्ञा. अनंत व्यवहारी व्यापारने। त्याग. कायोत्सर्ग; शरीर के परमाणुओं के एकत्र होनेसे बने हुए स्कंध व्यापार का त्याग. Kausagga; con की संज्ञा. Name given to mole. templation upon the soul giv. cule made up of innumerable ing up all thoughts about the atoms. जं० प० २, १६; body. सम०६; ओघ. नि. ५५; प्रव. उस्सन्नं. (*) मा “ उस्सराण' शह. ७५; (२) माभूतहिना त्याग. मलमूत्रादि देखो 'उस्सरण' शब्द. Vide "उस्मरण" का त्याग. vetting rid of urine, पएह० १, १; सूय० २, २, ६५; । Holid exerements i. e.feces etc. ] उस्सप्पिणी. स्त्री. ( उत्सर्पिणी-उत्सर्पन्ति पंचा०३.२०: पिं. नि. भा. १५; अघि० । शुभाभावा अस्यामित्युत्सर्पिणीः) याता. नि. भा. ३१; भत्त० ४४; આરા પુરા થાય એટલે કાલ; દશ કેડા કેડી उस्लग्गि. त्रि. ( उत्सर्गिन) उत्सर्गभाग सागरापम प्रभारी यात ४१. उत्सर्पिण। તથા અપવાદમાગને જાણનાર; શાસ્ત્રીય काल; प्रगतिशील छह कालों के समूह का पारी नियमेन समा२. उत्सर्ग और नाम; दश कोडा कोडी सागरोपम वह काल अपवाद मार्ग को जाननेवाला; शास्त्रीय सूक्ष्म जिसमें सदा उन्नति होती रहती है. The नियमों को समझने वाला. ( One ) who æon of increase; the up * तुम पृ४ २०५२ १५ नी ५-नोट (*). देखो पृण नंबर १५ की फूटनोट ( * ). Vide foot-note (*) p. 15th. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016014
Book TitleArdhamagadhi kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnachandra Maharaj
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1988
Total Pages1016
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi, Gujarati, English
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size25 MB
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