SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 451
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रमच्छर ] ( ३७१ ) [ श्रमणाम प्रधान; राज्य का मुख्य कारोबार करने वाता. प० सं० समए पएसे परमाणू '' ठा०३, २; A minister; an administrator भग० ५,७; २०, ५ of a state. नाया० १;८; १२; १४; विवा० | अमण. न० (* अमन) Merj ते; मातरिश ४, ६; राय० २५३; ओव. अणुजो०६६; निर्णय. जानना; आन्तरिक अथवा मानसिक पराह० १, ४; संस्था० ८०; विशे० १२८; निर्णय. Knowing; mental decision. कप्प. ४, ६२, सु० च० ११, ५.६ ठा० ३, ४; (२) अंत; अबसान. अन्त; प्रमच्छर. त्रि० (अमत्सर ) मत्स२-४पा | अाखिर; अवसान. end. विशे० ३४५३; विनाना; पा२। गुराने सहन ४२ना२. मत्सर- | श्रमण. न० (-अमनस् ) विया२शन्य भन. ईर्षा के प्रभाव वाला; दूसरे के गुणों को सहन विचारशून्य मन. Vacant mind; mind करने वाला. Free from jealousy. / roid of thought. " तिविहे प्रमणे सम० प० २३६; प० तं० णोतम्मणे होतयन्नमणे प्रमणे" ठा० प्रमच्छरि. त्रि. ( अमत्सरिन् ) म.स२ | ३, ३; (२) संजीमन विनानु. असंज्ञी; मन २हित; ५२४ श्रार. मत्सर रहित; दूसरों के रहित. devoid of the possession गुणों को ग्रहण करने वाला. Free from of a mind. क. प० १, १६; क. गं० ५, malice or jealousy. परह. १, ४, ५०; प्रव० ११२५; तिरिय. त्रि. प्रमच्छरियत्ता. स्त्री० (अमत्सरिकता) नु (-तिर्य ) असंज्ञा तिर्थय. असंशी तिथंच. 'अमच्छरियया' श६. देखो 'अमच्छरियया sub-human living beings devoid शब्द. Vide “अमच्छरियया". ओव. ३४; / of consciousness. प्रव० ११२५; भग० ८,६; श्रमणक्ख. त्रि. (अमनस्क ) मननी प्रति प्रमच्छरियया. स्त्री. (अमत्सरिकना ) मात्सर्य- क्षित. मन की प्रवृत्ति रहित. Devoid of ઈને અભાવ; પારકા ગુણ સહન કરવા તે. mental activity. सूय० २, ४, २; मत्सरता-ईर्षा का अभाव; दूसरों के गुणों को अमणाम. त्रि.(*अमनाम-समनाप-न कक्षासहन करना. Absence of mulice or चिदपि ग्राह्यतया जन्तूनां मनांसि श्रामोतीJealousy. ओव० ३४; भग० ८, ६; त्यमनश्रापम् ) मनने प्रायन थाय ते हमेश अमजमंसासि. त्रि. ( अमद्यमांसाशिन् ) मनने अप्रिय सागतेयु; मनने प्रतिय. मन मा। सने मांस न पापना२. मदिरा और को जो ग्राह्य न हो दह; जो सदा मन को अप्रिय मांस का सेवन न करने वाला; मद्य और मांस का लगे; मन के प्रतिकूल. Disagreeable to व्यवहार में न लाने वाला. ( One ) the mind; distasteful. algo 9; abstaining from wine and fosh. १६; जीवा. १; पम्न. २८, भग० १,५,७ सूय. २, २, ३८; ३, २, ७, ६, ६, ३३; जं. प. २, ३६; अमझ. त्रि० ( श्रमध्य-नास्ति मध्यं यस्मिन् श्रमणाम. नि. (अमनोम-न मबसा भम्यते तत्) मध्य विनानु मां से भागन गम्यते पुनः पुनः स्मरणतो यत्तदमनोमम् ) शते. मध्य रहित; जिसमें दो भाग न हो भनने अत्यंत अनिष्ट. मन को अत्यंत भनिष्ट. सकें ऐसा. Having no middle part; Most disagree able to incapable of being divided into the mind. भग० १, ५-स्सर. two or more parts." तो अमझा पुं० (-स्यर ) अप्रिय २१२-Aain; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016013
Book TitleArdhamagadhi kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnachandra Maharaj
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1988
Total Pages591
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi, Gujarati, English
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy