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________________ अदूर ] ( २६३ ) अदूर. त्रि० ( दूर ) पासेनुं; ननु. समीपवर्ती नजदीक का. Not far off ; in the vicinity. कप्प० ४, ६३; भग० २, १; निसी० २,४५. (२) न० पासे; नः समीप, नज़दीक. vicinity; neighbourhood. जं० प०५, ११२; नाया० २; १२; १४; अंत० ६, ३; भग० १, १२, १३,५; ५, ६; --- आगय. त्रि० (-भगत) ५ वेस; पासे यावे. नज़दीक आया हुआ; समीप आया हुआ. situated in the vicinity; not far off. " अदूरागए बहुसंपत्ते अद्वाणपडिवर अंतरापहे वहइ" भग०२, १; - सामंत. पुं० ( - सामन्त ) व्यतिहूर ઋતિનજીક નહિ એવા પ્રદેશ-ઉચિતપ્રદેશ. ऐसा प्रदेश जो न तो बहुत दूर हो और न बहुत पास हो. region at a moderate distance. नाया ० १ ३; १२; १४; १६; राय० १००; अंत० ६, ३; ओव० भग० १, १; २, १; ४.; ५, ६, ७, ६ १०; ६, ३३; १८, ७ प्रदूसिय. त्रि० ( अदूषित ) हूप वगरनं. दूषण रहित. Free from fault or blemish. पंचा० ६, २०; ग्रह. पुं० ( अई अयंते गम्यतेऽनेनेत्यर्थः ) २५. आकाश. The sky. भग० २०, २; अद्द· त्रि० ( आई ) लिनु; सीसुं; सज्ज. भींजा हुआ; गीला; सजल. Wet; moist. पन्न० १७, ओघ ० नि० ३६; राय० ५०; ओव० २२; -चंद्रण. न ० ( - चन्दन ) श्रीसुं व्यधन-सुप हरा चंदन; बिना सूखा हुआ चंदन. green sandalwood; sandalwood-unction. " अड़चंदणाणु लित्तगत्ता इसिसि - लिंपुप्फष्पगासाई सुहुमाई अकिलिट्टाई बत्थाई पवरपरिहिया " ओव० २२; अइज न० ( आर्द्रकीय ) सूयगडांगसूचना બીજા શ્રુતસ્કંધના ઢ્ઢા અધ્યયનનું નામ, કે Jain Education International [ ब्रह्मकुमार જેમાં આર્દ્રકુમાર મુનિને ગેાશાલા વગેરેની साथै वाह थयो छे तेनुं वर्णन छे. सूत्रकृतांग सूत्र के दूसरे श्रुतस्कंध के छठे अध्याय का नाम, जिसमें आर्द्रकुमार मुनि का गोशाला घगैरह से जो विवाद हुआ है उसका वर्णन है. The sixth chapter of the second Śrutaskandha of Sútrakṛitānga treating of the discussion between Ardrakumāra and Gośala etc. सूर्य० २, ६, ५५; सम• २३; अणुजो ० १३१; अद्दगकुमार. पुं० ( श्राद्वैककुमार ) याद પુરના આકરાજાને આર્દ્રક નામે કુમાર, કે જેને અલયકુમારે મેળેલ બક્ષીશ ઉપરથી જાતિસ્મરણ જ્ઞાન ઉત્પન્ન થતાં, પોતાની મેળે દીક્ષા લીધી. તે પછી મહાવીરસ્વામી પાસે જતાં, રસ્તામાં ગેાશાલાને સમાગમ થતાં, તેની સાથે ધણા વાદ થયા છે. ગેાશાલાના આક્ષપાના ઉત્તર સારી રીતે આપ્યા છે. તેને વિસ્તાર બીજા શ્રુત र ुधना छड़ा अध्ययनभां छे. आईकपुर नगर के श्राईक राजा का आर्द्रक नामक कुमार, जिसे कि, अभयकुमारद्वारा भेजे हुए पारितोषिक पर से जातिस्मरण ज्ञान उत्पन्न हुआ और अपने आप दीक्षा ली. उसके बाद महावीर स्वामी के पास जाते समय रास्ते में गोशाला के मिलने पर उससे बहुत विवाद हुआ और उसके आक्षेपों का उत्तर अच्छी तरह से दिया. इसका विस्तृत वर्णन दूसरे श्रुत स्कंध के छठे अध्याय में है. Ardraka, son of Ardraka king of Ardrakapura got the knowledge of birth-recollection ou the occasion of a present sent to him by Abhayakumara and became a monk. On his way For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016013
Book TitleArdhamagadhi kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnachandra Maharaj
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1988
Total Pages591
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi, Gujarati, English
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size15 MB
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