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________________ स्वर्ग ५१७ ५. स्वर्गलोक निर्देश प्रत्येक स्वर्गके इन्द्रक या पटल श्रेणीबद्ध प्रत्येक पटल रा. वा. त्रि.सा. इन्द्रक विस्तार योजन प्रति दिशा कुल योग २१ हरित पद्म पद्म पद्य १६० लोहिताक्ष लोहिताक्ष लोहित अभ्र हारिद्र पद्ममाल लोहित वज्र नन्द्यावर्त प्रभंकर पृष्ठक १५२ १४८ ३०८०६४५३५ योजना ३००९६७७०३ , २९३८७०९३१ । २८६७७४१३६, २७९६७७४३६ . २७२५८०६३१, २६५४८३८३३ . २५८३८७०३१ - २५१२९०३४ , २४४१९६७३३, २३७०९६७३३" १४४ पिष्टक प्रष्टक गज १४० १३६ १३२ मित्र मस्तक मित्र प्रभ चित्रप्रभा (दे० चित्र सं.७) चित्र सं.७ प्रत्येक पटल मेंइन्द्रकव श्रेणीबद नोट-यही विदिशाओ में (दे स्वर्गा मेणीवच्छ नही है येथन 16 अनुविश पटल (दे स्वर्ग IMA अनुसर पटल MorerahkO /.अपंटल): '.:: प्रसनाली में ऊपर की जोर से देखने पर Oसौम्य 0A ०००१२००० (इ)०००६२००० जयंत . Oविजय प्रति अटस्थ सर्वार्थ सिदि O OF ००० वैजयंत सानत्कुमार माहेन्द्र युगल में ७ अंजन वनमाल नाग गरुड़ 1111111 1111 111 २३००००० योजन २२२९०३२३ » २१५८०६४ . २०८७०९६३३ । २०१६१२९१ . १९४५१६१७ . १८७४१९३३१ . लांगल बलभद्र चक - - - - - जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016011
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages551
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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