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________________ सत्त्व २९५ ३. सत्व विषयक प्ररूपणाएं ७. मोह प्रकृति सव स्थान सामान्य प्ररूपणा (क. पा.२/पृष्ठ), (पं. सं./प्रा./५/३३-३६), (पं. सं./स./१/४२-४७) कुल सत्त्व योग्य-२८: कुल सत्त्व स्थान-१५ द्रष्टव्य-अनिवृत्ति करणमें मोहनीयके क्षयका क्रम: १. नवें गुणस्थानके कालके संख्यातवें भागको व्यतीत करके (अप्रमत्त व प्रमत्त) ८ प्रकृतियों का क्षय करता है। २. अनन्तर अन्तर्मुहूर्त बिता कर क्रमसे (e/i) में दर्शायी १६ का क्षय करता है। ३. ओधर्म की प्ररूपणा पुरुषवेद सहित चढ़नेवालों की हैं । यदि स्त्री., नपुं. वेदके साथ श्रेणी चढ़े तो ६/ii Re/iv में तीनों वेदोंकी क्षपण। ६ नो कषायोंके साथ युगपत् प्रारम्भ करता है। तहाँ पुरुष वेदकी अन्तिम खण्डको क्षपणाके निकट उससे पहले ही स्त्री व न. वेदोंके अन्तिम खण्डौंका अभाव हो जाता है। तब वहाँ e/iv स्थान बजाय ५ के सत्त्वके ११ के सत्त्ववाला बनता है। फिर पं. वेद व ६ नो कषायको युगपत क्षय करके //vii में पुरुषवेदीवन ही ४ का सत्व कर लेता है। संकेत- देखो सारणी सं.१ का प्रारम्भ । মালয় प्रति स्थान प्रकृतियोंका विवरण गुणस्थान प्रमाण प्रकृति प्रमाण स्वामी जीव विवरण क.पा.२/पृ. क.पा.२/प्र. २०२ २११ क्षपक मनु. मनुष्यणी क्षपकमत ६/x Elix g/viii Elvii संज्वलन लोभ सं.लोभ, माया , ,मान चारों संज्वलन चारों सं.व पुरुष वेद ४ संज्व., पु. वेद, ६ नो कषाय ४ सं..६ नो कषाय, पु. स्त्रीवेद Elvi {/iv दर्शन मोहके क्षय सहित चारों गतिके E/ii ४ अनन्ता, रहित चारित्र मोहकी २५ जोब दर्शन मोह क्षपक मनुष्य, मनुष्यणी उपरोक्त २१ व सम्य. प्रकृ. कृत-कृत्य वे २३ मिथ्यात्व, अन. रहित सर्व . (मिथ्यात्वका क्षय कर चुका हो शेष दोका क्षय करना बाकी हो) चर्तुगतिके उपशम या वेदक सम्यग्दृष्टि या सभ्यगमिथ्यावृष्टि अनन्ता. की विसं योजना सहित चर्तुगतिके अनादि या सादि मिथ्यादृष्टि चर्तुगतिके सादि मि. (मिश्र मोहको उद्वेलना सहित) उपशम व वेदक सम्य,, यो.१-३ गु.स. २०३ । सम्य. व मिश्र मोह सम्य. प्रकृति रहित सर्व - - - जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016011
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages551
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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