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________________ संख्या मार्गणा बा. तेजकायिक मा. कायिक बा, बन, प्रत्येक प त्रस सामान्य स पर्याप्त त्रस अपर्याप्त पांचों मनोयोगी पाँचों वचनयोगी काय योगी सा. वैक्रिक काय यो. स्त्री वेदी पुरुषवेदी नपुंसक मेही अपगत वेदी कपायी आठों ज्ञान सूक्ष्म सम्पराय बिना ४ संयम संयमासंयम संयम सा दर्शनी अभि दर्शनी केवल दर्शनी तेज पद्म शुक्ल लेश्या सम्यग्दृष्टि सा क्षायिक, वेदक सम्यग्दृष्टि' मिथ्यादृष्टि संज्ञी, असंज्ञी शेष सर्व स्थान चारों उपशामक चारों क्षपक सयोगी, अयोगी Jain Education International ध. / पृ. २७८ ::: " "" " 11 99 24 99 " 19 94 91 11 11 41 35 31 17 २७६ दे. संख्या/३/२ (दे. सख्या /३/२) संख्या १.२ या अधिक तृ. चतु. पंचम 71 19 ::: 11 षष्ठ सप्तम " 17 99 १.२ के प्रवेशका अभाव है अधिकका ही होता है । प्रथम समय में १-१६ द्वि. " १-२४ " " " ,, १-३० १-३६ १-४२ १-४८ १-५४ 17 17 :: :: ११६ उपशामकों ने क्षपक वत् मार्गणा ध./१. २. चरम समयमै अनस्थानकी अपेक्षा भव्य सिद्धिक दर्शनी १ इन दो स्थानों के अतिरिस उप नं. २ में कथित सर्व स्थान ह १० ७ अन्य विषयों सम्बन्धी संख्या व भागाभाग सूची संकेत -भागा भागाभाग (ध. / पृ./ पंक्ति) ११ १२ १३ १४| १५ विषय ज. उ. योगस्थान में अवस्थित जीव १४ जीव समासों में पृथक् पृथक् योग स्थान उत्कृष्टादि क्षेत्रों के स्वामी { अधः कर्म आदि कमोंके स्वामी उत्कृष्टादि अवगाहना वर्गणा परमाणु 'पंच शरीर योग्य जघन्य व उत्कृष्ट पुद्गल स्कन्ध का संघातन परिशातन पंच शरीरों सम्बन्धी २,३,४ शरीरोंका स्वामित्व पंच शरीरों के प्रदेश पंच शरीरोंके एक समय प्रबद्ध प्रदेश स्थितिबन्ध अध्यवसाय स्थान अष्टकर्म बद्धण्देश अनुभाग वन्ध अध्यवसाथ स्थानकी यवमध्य उपरोक्त स्थानोंके स्वामी कर्म बन्धकी समय प्रबद्वार्थता व क्षेत्र प्रयास ३. संख्या विषयक प्ररूपणाएँ जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश For Private & Personal Use Only २८० संख्या या भागा संख्यात भागा १०/१२/१३ ४. १०/१५/९ संख्यात ष. वं. १० / सू. १८७/४८० 19 भागा० संख्यात भागा० सख्यात संख्या १.२ या अधिक १.२ नहीं होते । २ से अधिक नहीं घ. ११/३२/४ ५. १९/३२/१६ भागा० संख्यात ध. ३/१३/१३-१८ 99 भागा. प्रमाण (२३८) ध. ११/२७/१६ घ. १४/१५४-१६० थ. १४/१६०-१६३ प. १/२३०-३६४ १४२४१-२२३/ .नं. १५/- २४२-२४४/ ३३० प.सं. १४/२४१-१५३/ ३३६-३१४ घ. ११/३४६-३५२ ध.१२/१०४-११० प. १२/२०२-२०१ नं. १२/ २६१२७१/ २४२ ष. खं १२ / अ. ६ / सू. १२१/ ५०१-५०८ www.jainelibrary.org
SR No.016011
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages551
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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