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________________ संख्या ११३ ३. संख्या विषयक प्ररूपणाएँ ___ मार्गणा . गुणस्था प.ख. ध./पृ. भागाभाग मार्गणा प.खं *3/4 भागाभाग | शेषके सं. बहु. ७. ज्ञान मार्गणा 515515 -Tula. सामायिक व ६-६ छेदोपस्थापना यथाख्यात सर्व जीवों के अनं.बहु.] परिहार वि. ६-६ सर्व जीव अनं. सूक्ष्मसाम्पराय | १०. ९, दर्शन मार्गणा ::: शेष एक भाग मति श्रुत अज्ञानी विभंग ज्ञानी (पाँचों ज्ञानों में से प्रत्येक मति श्रत अज्ञानी केवलज्ञानी विभंग मति श्रुत ज्ञानी अवधि ज्ञानी सर्व जीव + अनं. सर्व जीवों के अनं. बहु | चक्षुदर्शनी शेषके असं बहू. अवधि दर्शनी , ccc - केवल अचक्षु सर्व जीवोंके अन'. बहु. असं. c. मति श्रुत मिश्र (मति श्रुत अवधि मिश्र ३ Wor मतिश्रुत ज्ञानीके असं, बहु(असं)- आ. केवल - शेके सं. बहु.. चक्षु , चक्षु अचक्षु दर्शनी मतिश्रुत मिश्रके अवधि असं. बहु(अस)- आ. चक्षु अचक्षु । शेषके असं. बहु. मति श्रुत अज्ञानीके अवधि उपरोक्त तीन, शेषके असं बहु. | १०. लेश्या मार्गणा www चक्षु अचक्षुका असं. बहु. शेषके सं. बहु. असा मति श्रुत अज्ञानी विभंग ज्ञानी मंति श्रुत ज्ञानी sxc असं, बहु(अस) असं. उपरोक्त संयतासंयतबत यथायोग्य / सर्वजीवसे कुछ अ धक अवधिज्ञानी दूसरे प्रकारसेमति श्रुत अज्ञानी केवलज्ञानी विभंगज्ञानी तीन ज्ञान वाले १ 3 सर्वजोबसे कुछ कम दो ज्ञान वाले । कृष्ण लेश्या सर्व जीवोंके अनं. बहु. शेषके नील, कापोत असं... तेज, पद्म, शुक्ल सर्व जीव+अनं. कृ.+नील+कापोत सर्व जीवों के अनं. बहु असं... अलेश्य दोषके .. तेजो लेश्या पद्म , | असं.., , | शेष एक भाग नोट-उपरोक्त कृष्णादि तीन लेश्याके प्रमाण में इन्द्रिय मार्गणावत ___'क' व 'ख' राशि उत्पन्न करना। असं-आ/असं, विशेषता यह संयतासं यतके क्रम | कि यहाँ चारकी बजाय तीन समान खंड करना। से यथायोग्य कृ. लेश्या । ४६६ । क+खका असं.बहु. नील , क+शेषका ॥ कापोत . क+शेष एक भाग सर्व जीव- अनं. कापोत , कापोत राशिका अ.नहु शेषका असं. बहु. असं.. शुक्ल , तीन ज्ञान वाले मनःपर्यय सहित ६-१२ १२,३,४ ज्ञानवाले ८. संयम मार्गणासंयत सा. पाँचों संयत संयतासंयत असंयत असंयत सिद्ध comcm. नील सर्वजोवोंके अनं.बहु. सर्वजीवों के अनं.बहु. शेषके अनं. बहु. । " असं , | कृष्ण लेश्या शेषका एक भाग नील राशिसे । कापोतके क्रमबत (कृष्टा राशिमेंसे कापोतवत तज राशिका असं,बहु. , असं . ] तेज , संयतासंयत भा०४-१५ जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016011
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages551
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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