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________________ Jain Education International द्रब्यकी अपेक्षा क्षेत्रकी अपेक्षा कालकी अपेक्षा संख्या मागणा गुणस्थान ष.ख. प्रमाण प्रमाण अर्म का प्रमाण प्रमाण सामान्य → ओधवत् - पंचें, तिर्य. सामान्य ज.प्र. * देव अवहार काल असं. असं. असं. उत. अव. से अपहृत पल्य/असं = पत्य आ. असं. पल्य/असं. " पर्याप्त असं. असं. उत. अब. से अपहृत , योनिमति असं. २.३७ - ज.प्र. दब अवहार शल सं. → आश्वत् - ज प्र. - (देव अवहार कालxसं.) → ओघवत् -- ज. प्र. - (देव अवहारकाल असं.)/ २३३० अस. उत. अव. से अपहृत ३३९२ असं. उत. अब से अपहृत For Private & Personal Use Only जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश पचें, तिर्य, पर्याप्त ३. मनुष्य गतिसामान्य मनु, अपर्याप्त मनु. पर्याप्त ___ असं. (गो. जी./मू. व जीव प्र./१५७-१५६) असं. ७२५-२६ ज. श्रे.+असं, असं करोड योजन ७२४ असं. उत. अव. से अपहृत टी./२५७ टो./२५६ कोड़ाकोड़ाकोड़ी व कोड़ाकोड़ाकोड़ाकोड़ी के बीच में अर्थात - उपरोक्त ४४% उपरोक्त = असं. मनुष्यणी पुरुष व नपुंसक मनुष्य सामान्य ७६२२८१६२५१४२६४३३७५६३५४३६५०३३६[ ४२११२१८८५६६८२५३१६५१५७६६२७५२ (ति, प./४/२६२६)] [१६८०७०४०६२८५६६०८४३१८३८५६८७५८४ (ति. प./४/२६२७ ) ] ३३३८ । ज श्रे. असं. असंकरोड़ योजन| ३४१ M - असं. उत. अब. से अपहृत 5 ५२ करोड़ १०४ ,, ७.०.. [ मतान्तरकी अपेक्षा ५० करोड़) [ मतान्तरकी अपेक्षा १०० करोड़ ] (ध. ३/१,२,४३/ गा.६८-६६/२५२) ३. संख्या विषयक प्ररूपणाएँ www.jainelibrary.org
SR No.016011
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages551
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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