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________________ लोक ४. नन्दीश्वरद्वीपके वन वापियोके चारो ओर वनखण्ड है, जिनका विस्तार ( १००,०००४५०,०००) योजन है । ७. अढाई द्वीपक्की नदियोंका विस्तार १. जम्बूदीपकी नदियाँ नाम गंगा सिद्ध रोहिताया रोहित हरिकान्ता हरित सीतोदा चौडाई ऊँचाई गहराई नदियोके विस्तार व गहराई आदि सम्बन्धी सामान्य नियम-भरत व ऐरावतक्षेत्रको नदियोका विस्तार प्रारम्भ में यो, और अन्त में उससे होता है। आगे-आगे क्षेत्र में विदेह पर्यन्त वह प्रमाण दुगुना दुगुना होता गया है (जि. सा. / ६००), (ज. प / २ / ९६४ ) । नदियोका विस्तार उनकी गहराई ५० गुणा होता है। ह. पू./५/५००)। वृषभाकार प्रणाली गंगा-सिन्धु हिमपात् २ को प्रवेश आगे नदी युगल नाम सीता उत्तरकी छ नदियाँ → विदेहका ६४ नदियों→ विभगा भा० ३-६२ स्थल विशेष उद्गम पर्वतसे गिरनेवाली ↑ ↑ ↑ ↑ ↑ ↑ Jain Education International २. धातकीखण्डकी नदियां ६३ यो. २ को प्रवेश विदेह तक उत्तरोत्तर दुगुने ऐरावत तक उत्तरोत्तर आधे ६४ यो. १/२ को सं. १ दृष्टि सं. २ गुफा द्वार पर समुद्र प्रवेश पर धार पूर्व पश्चिम १० २५ ८ यो. | ६२३ यो. कुण्डके पास महानदी के पास ५०० को दृष्टि सं. २ गंगानदीवत् गगासे दूना रोहितास्यावय रोहितने दुगुना (गंगासे चौगुना ) हरिकान्ताय हरिया सर्वत्र २५० यो० (ति प./४/२६०८) हुना मग आठ गुना ) सीतोदात् क्रमसे हरिता दिवस गंगानदीबद ५० को. | १६५९२ रहे (उत्तर दक्षिण) ४८९ ५२८८६१२१३ ५४८३९०२१२ ५६७९१९३३३ २७५३३३२१२ २५५८०४२१२ २३६२७५४ (ति प./५/६४) (रा. वा./३/३६/-/ ११०/२०) (त्रि. सा./ १०२) ६४ पती ऊँचाई 12 → सर्वत्र गगासे दूना ← $3 ५ को. आदिम सामान्य नियम- सर्व नदियाँ जम्बूद्वीपसे दुगुने विस्तार वाली है (सि. प./४/२२४६ ) दोनो बाह्य विदेहोकी विभंगा-| मी ऊर्मिमासिनी ग्रहवती व फेनमालिनी गम्भीरमालिनी व पकावती | दोनो अभ्यन्तर विदेहोकी विभंगा क्षीरोदा व उन्मत्तजला मत्तजला व सीतोदा तप्तजला व औषधवाहिनी ↓ ↓ ↓ ↓ ↑↑ 111 उत्तर दक्षिण लम्बाई मध्यम ति प /४/ गा. २१४ १६७ २१३ For Private & Personal Use Only २१७ २४६ २५२ ९८१६ १७३७ १७४८ १७७३ २०७४ २१२२ २२१८ २२१६ ५२८९८०३ ५४८५०९३५३ ५६८०३८२१३ ६. द्वीप क्षेत्र पर्वतो आदिका विस्तार २७५२१४२ २५५६८५५३२ २३६१५६ रा०वा /३/२२/ मा. ६/९/२१ ०/१८८/३३ ८/१८६/६ १०२५/१०१ (दे. सोफ/३/१०) 1/8/63 ३/१०/११/१०६/१२ १/१००/२६ २/९८७/३२ १५१ 3/12/2 १५१ ५६६ 8/9==/80 ५/१००/२१ १४८ १४६ अन्तिम १४० ५८४ १५१ ५६६ 13 १५६ १३६ ६०० " :: 12 32 त्रि.सा./गा १५६ २७५०९४२६३ २५५५६५३१३ २३६०३६५१२ १६० ६०० ६०५ ज.प./ ३/१५० ३ / १५२ ३/१५३ ३ / ९६४ ३/१६८ ७/६३ २/१०७ २/९९४ 3/150 " ३/१८१ ३/१८२ 22 - ७/२७ ५२९१०० २६३६ ५४८६२९६१रे ૧૬૪૪ ५१८१५८६६ २६५२ वि.प./ 18/41, २६०६ २६-४ २६६२ www.jainelibrary.org
SR No.016010
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2002
Total Pages639
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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