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________________ लोक ६. द्वीप क्षेत्र पर्वत आदिका विस्तार २. पाताल पाताल विशेष विस्तार यो. | मध्यमें रा वा/३/ ३२/४/१३३/१ ह. पु/गा०) त्रि सा./ गा. ज.प/१०/ गा. मूलमें गहराई ऊपर मोटाई । गा. ज्येष्ठ १०,००० १००,००० १०,००० १००० १००० ୫୫୪ ४५१ १०,००० १००,००० १०,००० १००० मध्यम जघन्य २४१२ २४१४ २४३३ १०० १००० ३. पर्वत व द्वीप ति.प./४/ ৰিহীৰ नाम विस्तार ऊँचाई त्रि. सा./ गा. नं ज.प/१० गानं २४५८ १०९ १००० १२००० ६१० पर्वत सागरके विस्तारको दिशामें ११६००० गौतम द्वीप | गोलाईका व्यास १२००० विस्तार दृष्टि सं.१ । दृष्टि स.२ दिशाओ वाले १०० कुमानुष द्वीप विदिशा वाले ५५ अन्तरदिशा वाले पर्वतके पास वाले ३. अढाई द्वीपके क्षेत्रोंका विस्तार-१. जम्बू द्वीपके क्षेत्र (दे० लोक/४/१) १०० नाम भरत सामान्य दक्षिण भरत उत्तर भरत हैमवत् हरिवर्ष विदेह जीवा प्रमाण विस्तार (योजन) दक्षिण । उत्तर (योजन) पार्श्व भुजा (योजन) ति, प./४/ जप ह पु./गा. त्रि.सा./गा । अ/गा धनुषपृष्ठ ५२६वर १४४७११ १४५२८१५१०५+ १६२ | १८+ ४० ६०४+७७१/ २/१० धनुषपृष्ठ २३८६३ ९७४८१३ ९७६६६१ १८४ १४४७११३ १८१२३४ | १६१ २१०५१३ ३७६७४१६ ६७५५३२ १६६६७ । ७७३ ८४२११२ ७३९०११३ १३३६११४ १७३६ ७७५ ३/२२८ ३३६८४ (मध्यमें १००,००० ३३७६७२ ६०५+७७७, ७३ उत्तर व दक्षिणमें (पर्वतोंकी जीवा हरिवर्षवत् २३३५ हैमवतवद २३५० भरतवत अपने अपने पर्वतोको उत्तर जीवा १७७५ । रम्यक हैरण्यवत् ऐरावत | देवकुरु व उत्तर कुरु दृष्टि सं.१ २३६५ ११५९२६६ दृष्टि सं.२ दृष्टि सं.३ ११८४२६२ ५३००० ६०४१८१२ । २१४० (धनुष पृष्ठ) ५२००० २१२६ ५३००० ६०४१८१३ (धनुष पृष्ठ) - (रा वा./३/१०/१२/१७४/३) दक्षिण-उत्तर १६५९२२३ । २२१७+ (रा. वा /३/१०/23/RGERY ३२ विदेह पूर्वापर २२१२१ ६०५७/११+२० - जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016010
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2002
Total Pages639
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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