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________________ लोक Jain Education International चित्र स० - ३९ ४) सप्त अमीक महत्तरोंफे ७ वृक्ष मानिको के १५०० वृक्ष 600.10 245-19 चित्र सं०-३२ वृक्षकी मूलभूत प्रथम भूमि PHOOL BED भूमि स०६ د دهند of "Devvvvvv M ppprod भूमिसन भूमिस-ए भूमि स. २० @ काय पारिषद के ४८००० वृक्ष भूमिस-१२ भूमिस ऋद स्पशो के राख ह 6 भूमिश०५ 18000000 ३० यो० LAOSLOUD. सामानिको के १००० वृक्ष आत्मरक्षको के वन खण्ड २५० 4444444 ४५९ (C) द्वारावर नावस्त्रिशो के २० स दन ५००. ۵۵۵۵ केवल वापिये देवियो के वृक्ष २५० ४००० वृक्ष भूमि २०२ (६) मध्यम परिषदों के ४०००० वृक्ष Veerere करणा Bus to B मूल वृक्ष भूमिस. १ मायस्त्रिशो के २७ वृक्ष हारपर दवियों के वृक्ष @ आत्मरक्षको के ४000 वृक्ष प्रतीय वन खण्ड द्वितीय वन खण्ड इन सब पर आहत सु ल या वणु युगल के परिवार देव रहते हैं 7936444anp vegenpea उयस्त्रिंशों के २० वृक्ष द्वार पर देवियों के इस ان ۵۵۵۰۵ प्रथम वन खण्ड पीठ के ऊपर स्थित: मूल वृक्ष vv U 6) सामानिको के १५०० वृक्ष GOOD Evvvvvvv जम्बू व शाल्मली वृक्षस्थल 8000080p जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश For Private & Personal Use Only 4444040 180083044 ५० यो० קייטנים « ३) आत्मरक्ष को के ४००० वृक्ष २० नोट दृष्टि स०२ से ये आठ आठ कूट वमियोकी चारो दिशाओ में ही है, प्रसादों की दिशाओ मे नही। २५० wwwwwww तर पारिषदों के ३२० Koth ३. जम्बूद्वीप निर्देश 76777534 www.jainelibrary.org
SR No.016010
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2002
Total Pages639
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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