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________________ लोक ३. मेरुकी परिधियाँ मीचेसे ऊपर की ओर इस पर्वतकी परिधि सात मुख्य भागो में विभा जित है- हरितासमयी वैदूर्यमयी सर्वरत्नमयी वज्रमयी, मद्य मयी और पद्मरागमयी अर्थात लोहिताक्षमयी । इन छहोने से प्रत्येक १६५०० मो० ऊँची है। भूमितल अवगाही सप्त परिधि (पृथिय उपल बालुका आदि रूप होनेके कारण ) नाना प्रकार है। (ति १/४/१८०२-१८०४) (१/५/३०४) दूसरी मान्यता के अनु चित्र - १६ Jain Education International ६००० यो० - ३६००० यो० → ६२५००० यो० ← सुमेरुका शिखर १००० यो० पाईव भुजा चच २०२ यो ४४९ सुमेरु पर्वत मूलिका ४०० <४०४ यो० पाण्डुक वन - ३२७२० ११००० यो० ४२७२६ यो० + ५०० यो० सौमनस वन -८८५४ यो० ૧૧ Suity - चर्च५४ ११ यो ०. ३. जम्बूद्वीप निर्देश सार ये सातो परिधियों क्रमसे लोहिताक्ष, पद्म, तपनीय, बैडूर्य, बच हरिसाल और जाम्बूनद सुवर्णमयी है। प्रत्येक परिधिक ऊँचाई १६५०० योजन है पृथिवीतलके नीचे १००० यो. पृथिवी उपल, बालुका और शर्करा ऐसे चार भाग रूप है। तथा ऊपर चूलिका के पास जाकर तीन काण्डको रूप है। प्रथम काण्डक सर्वरत्नममी, द्वितीय जाम्बूनदमयी और तीसरा निकाहै है। २५० यो० " Ju . १०००० यो० १९०००० ५०० यो० नन्दन वन ५०० यो० → १५०० ग्रा० . Au 1. जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश For Private & Personal Use Only * 017+ चूलिका चूलिका -४ यो० -92 + zito २२००० योon www.jainelibrary.org
SR No.016010
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2002
Total Pages639
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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