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________________ लोक परिभ्रमण करते हैं। जिस समय जम्बूद्वीपमें मध्याह्न होता है उस समय उत्तरकुरुमें अर्धरात्रि पूर्वविदेहमे अस्तगमन और अबर गोदानीय सूर्योदय होता है। मेरु पर्वतको पूर्वादि दिशाओंमें उसके चार परिषण्ड ( विभाग) है, जिनपर क्रमसे यक्ष, मालाधार, सदामद और चातुर्महाराजिक देव रहते है । इसी प्रकार शेष सात पर्वतोंपर भी देवोंके निवास है। मेरुशिखरपर अपस्त्रिश (स्वर्ग) है । इससे ऊपर विमानोमे याम, तुषित आदि देव रहते है । उपरोक्त देवीमें चातुर्महाराजिक, और त्रयस्त्रिंश देव मनुष्यवत् काम मेरु शिखर के ऊपर की रचना " "" भूगोल सामान्य रुपधातु प्रवीचार (शरीरोत्सेध १२५ यो०) १६ " Jain Education International चित्र ६ /अनवतर सरोवर हिमवान् पर्वत ६ कीटादि कट " " 12 " 33 " 33 " " "" در " रूपधातु प्रवीचार अवलोकन प्रवीचार जम्बू द्वीप शरीरात्संघ ३ हाथ हसित प्रवीचार पाणि सयोग प्रवीचार आलिगन प्रवीचार काय प्रधीचार ४०,००० यो० जम्बू वृक्ष गा, सिन्धु आदि नदियोंका उद्गम स्थान O चित्र ७६) १५ १४ १३ १२ ११ १० ट ६ ५ ४ १७ ३ २ १ ब्रह्मकायिक ५ ४ ३ तुषित देव २ याम देव १ त्रायस्त्रिश रुपधातु प्रवीचार देवों के ब्रह्मकायिक आदि १७ स्वर्ग स्वर्ग लोक कामधातु देव तारे ਜਸਕ ग्रह चन्द्र सूर्य ३२०,००० खो० भूमण्डल नोट- भूमण्डलसे नीचेकी रचना - दे० चित्र ७ (ख) ४३५ १. लोकस्वरूपका तुलनात्मक अध्ययन भोग भोगते है । याम तुषित आदि क्रमश आलिंगन, पाणिसयोग, हसित और अवलोकनसे वृद्धिको प्राप्त होते है। उपरोक्त कामधातु देवोके ऊपर रूपधातु देवोके ब्रह्मकायिक आदि १७ स्थान है। ये सब क्रमश ऊपर ऊपर अवस्थित है। जम्बूद्वीप वासी मनुष्योंकी ऊँचाई केवल ३३ हाथ है। आगे से बहती हुई अन देवोके शरीरको उचाई १२१ योजन प्रमाण है। ५. आधुनिक विश्व परिचय लोक के स्वरूप का निर्देश करने के अन्तर्गत दो बातें जाननीय है - खगोल तथा भूगोल । खगोल की दृष्टि से देखने पर इस असीम आकाश में असल्यायो गोलाकार खण्ड है। सभी भ्रमणशील है। भौतिक पदार्थों के आधिक विधान को भौति इनके भ्रमण में अनेक प्रकार की गतिये देखी जा सकती है। पहली चित्र- ७ (ख) मेरु पर्वत (भूमण्डल) के नीचे की रचना ज्योतिष लोक भूमडलसे ऊपर की रचना के लिए देवो बराबर वाला चित्र ७ (क) ३२०,००० यो मनुष्य दीप अवर गोदनीय द्वीप मनुष्य द्वीप, विशेष दे० २०,००० यो. जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश For Private & Personal Use Only मनुष्य दीप 'मनुष्य' द्वीप ११२०,०००. यो. दे०चित्र ६ जम्बू द्वीप [C] चक्रवाल ८ २६०,००० यो. उत्तर बुरु समुद्र पर्वत अष्टम समुद्र १ こいう पर्वत मनुष्य द्वीप राक्षस (द्वीप) ८ भूमण्डल भाष्य दीप पूर्व विदेह मनुष्य द्वीप चित्र स०५ २२ प्रतोपन नरक अवीचि नरक जलमण्डल वायुमण्डल | आठ शांत नगर । www.jainelibrary.org
SR No.016010
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2002
Total Pages639
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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