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________________ लोक ४३० चित्र सूची ६ रुचक पर्वतके कूटों व देवोंके नाम । पर्वतों आदिके वर्ण। द्वीप क्षेत्र पर्वत आदिका विस्तार र द्वीप सागरोंका सामान्य विस्तार । २ लवण सागर व उसके पातालादि । ३ अढाई द्वीपके क्षेत्रोंका विस्तार । । १ जम्बूद्वीपके क्षेत्र । २. धातकी खण्डके क्षेत्र । ३.पुष्कराध के क्षेत्र। ४ जम्बूदीपके पर्वतों व कूटोंका विस्तार १. लम्बे पर्वत। २. गोल पर्वत। ३. पर्वतीय व अन्यकूट । ४. नदी, कुण्ड, द्वीप व पाण्डुक शिला आदि। ५ अढाई द्वीपकी सर्व वेदियाँ। शेष दीपोंके पर्वतों व कूटोंका विस्तार । | १ धातकी खण्डके पर्वत। २. पुष्कर द्वीपके पर्वत व कूट । ३. नन्दीश्वर द्वीपके पर्वत । ४. कुण्डलवर पर्वत व उसके कूट । ५ रुचकवर पर्वत व उसके कूट । ६. स्वयंभूरमण पर्वत। अढाई द्वीपके वनखण्डोंका विस्तार । १ जम्बूद्वीपके बनखण्ड । २. धातकी खण्डके वनखण्ड । ३ पुष्करार्ध द्वीपके बनखण्ड । ४ नन्दीश्वर द्वीपके वन । अढाई द्वीपकी नदियों का विस्तार । १. जम्बूद्वीपकी नदियाँ। २. धातकोखण्डकी नदियाँ। ३ पुष्करद्वीपको नदियाँ। मध्यलोककी वापियों व कुण्डोंका विस्तार । १. जम्बूद्वीप सम्बन्धी। २. अन्यद्वीपों सम्बन्धी अढाई द्वीपके कमलोंका विस्तार । लोकके चित्र वैदिक धर्माभिमत भूगोल१. भूलोक २. जम्बू द्वीप ३ पाताल लोक ४. सामान्य लोक बौद्ध धर्मामिमत भूगोल ५. भूमण्डल ६. जम्बू द्वीप ७. भूलोक सामान्य चातुीपिक भूगोल तीन लोक १०-११ अधोलोक १०. अधोलोक सामान्य ११. प्रत्येक पटल में इन्द्रक व श्रेणीबद्ध * रत्नप्रभा पृथिवी * अन्बहुल भागमे नरकों के पटल भावन लोक ज्योतिष लोक १. मध्यलोकमें चरज्योतिष विमानोंका अवस्थान । २ ज्योतिष विमानोका आकार । ३. अचर ज्योतिष विमानोका अवस्थान । ४. ज्योतिष विमानोकी सचारविधि । ऊर्ध्व लोक १. स्वर्गलोक सामान्य । -दे० स्वर्ग २, प्रत्येक पटलमें इन्द्रक व श्रेणीबद्ध ।-दे० स्वर्ग ३ सौधर्म युगलके ३१ पटल ।-दे० स्वर्ग ४, लौकान्तिकलोक । -दे० लौकान्तिक मध्यलोक सामान्य । १३ जम्बू द्वाप। १४. भरतक्षेत्र । रगंगानदी। | पद्मद्रह । -दे० चित्र सं० २४ १५. विजयापर्वत। १६-२० सुमेरु पर्वत। १६. सुमेरुपर्वत सामान्य व चूलिका । १७. नन्दन व सौमनस वन । १८ इन वनोको पुष्करिणी १६. पाण्डुक वन। २० पाण्डुक शिला। २१ नामिगिरि पर्वत | गजदन्त पर्वत यमकवकाञ्चन गिरि पद्मद्रह | पद्म द्रहके मध्यवर्ती कमल देव कुरु व उत्तर कुरु २७ विदेहका कच्छा क्षेत्र २८ पूर्वापर विदेह-दे० चित्र सं०१३ २९-३२ जम्बू व शाल्मली वृक्ष स्थल २६. सामान्य स्थल । ३० पीठ पर स्थित मूल वृक्ष । ३१.१२ भूमियोंका सामान्य परिचय । ३२. वृक्षकी मूलभूत प्रथम भूमि। ३३-३५ लवण सागर। ३३. सागर तल ३४. उत्कृष्ट पाताल ३५, लवण सागर मानुषोत्तर पर्वत। ३७ अढाई दीप। नन्दीश्वर द्वीप। कुण्डलवर पर्वत व द्वीप। रुचकवर पर्वत व द्वीप। (प्रथम दृष्टि) रुचकवर पर्वत व द्वीप (द्वि० दृष्टि) ७ । - जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016010
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2002
Total Pages639
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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