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________________ ३५५ २१. पीठ यंत्र २०-निर्वाण सम्पत्ति यंत्र डिट कुरु कुरु रु स्वाहा। इम SD साइवी असि आ. आन्ति पुष्टि आउसाक्ष्वी/ मम शा भापं असिओ श्री श्री श्री श्री श्री सा जपत ध्वी असिआउ सामाजसि. 7श्री श्री श्री श्री भाभीनी श्रीश्री माउसावजासा सर्व सर्व- सम्पत्ति श्री ही 4असि आज सिआउसा पा/अ. श्री श्री श्री श्री श्रीश्री श्री श्री VERSISE स्यात् । SBE RSHSEN ॐ भृ पमची २१. पीठ यंत्र इशानाय बायवात स्वाहा स्वाहा ओ कुवेराय स्वाहा ओ महामानस्यै स्वाहा। मोजाय स्वाहा! ओ अपराजितायै स्वाहा। ओ बहुरूपिण्यै ओ विजयायै स्वाहा। स्वाहा ओ चामुण्डायै स्वाहा। ओ गाय स्वाहा: ओ गधर्वाय ओ कुवेराय स्वाहा। ओ वरुणाय स्वाहा। ओखेन्द्राय स्वाहा 80] स्वाहा। ओ विद्युत्प्रभाय स्वाहा। ओं शनैश्चराय ओ राहवे स्वाहा। स्वाहा। ओ रोचनाय स्वाहा। ओं भौमाय स्वाहा ओं महाविद्याय स्वाहा -ओ विश्वेश्वराय स्वाहा -गरुड दीवारक १गरुड दौवारिक उत्तरद्वार बो मेरोटप स्वाहा। मो अनन्तमत्वं स्वाहा। ओं मानसो देव्यै स्वाहा। ओं षण्मुखाय स्वाहा। बो पातालाय स्वाहा। ओं किश्वराय स्वाहा। ओं शुक्राय स्वाहा -- "ओं विश्वमालिन्यै स्वाहा ओ पमराय स्वाहा बो केतवे स्वाहा स्वाहा। ओ मातगाय स्वाहा। ओ सबीहाय स्वाहा।यो घरणेन्द्राय ओ कुष्माडिन्यै स्वाहा। ओं पद्मावत्यै स्वाहामओ सिद्धाययै स्वाहा। । हा उपाध्यायेम्पो स्वाहा पोयज्ञाशिने ओ इन्द्राय जिनाममेभ्यो/ स्वाहा नाग दौवारिक हो आचार्यम्यो/ २-यक्ष दीवारक जनचल्य-यो।। या अहंदभ्यो स्वाहा पूर्वद्वार स्वाहा // सर्वसाधुभ्यो विरिक १ यक्षदोवारिक watay // बों वरुणाय सुकुमाराय स्वहा ओ पित्रे स्वाहा ___ा Anthelalteel ला स्वाहा ओं पातव्य स्वाहा। बों योर्ये स्वाहा। ओं गाचा स्वहा॥ वो बहोश्वराय स्वाहा।बों ईश्वराय स्वाहा। जो कुमाराव स्वहा। ओ बृहस्पतये स्वाहा ओ असुराय स्वाहा ओपन्नगाय स्वाहा ओं वधताय स्वाहा ओं राक्षसाय स्वाहा। - ओ वैश्वानराय स्वाहा। ओ यक्षाय स्वाहा। ओ सोमाय स्वाहा। ओ आदित्याय स्वाहा। यक्षाय स्वाहा। ओंत्रिमुखाय स्वाहा। ओ गोमुखाय स्वाहा।ओं महा यो प्राप्त्यै स्वाहा। ओ चक्रेश्वर्य स्वाहा। ओ रोहिण्य स्वाहा। दक्षिण द्वार ओ सौम्याय स्वाहा स्वाहा । ओं अजिताय स्वाहा।। ओ वरनदिने स्वाहाामों विजयाय pa pula Le due Pariyanmelan Thapute | १- असुर दीवारक ओं अमराय स्वहा स्वाहा । ओ कुसुमाय स्वाहा। ओ मेश्वराय स्वाहा।ओं तुवराय स्वाहा। ओ मनोवेगाय स्वाहा। ओं बज भृखलाये स्वाहा। ओ पुरुषवसाय २- असुर दौवारिक स्थाहा स्वाहा Bitte le अग्नये जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016010
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2002
Total Pages639
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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