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________________ तीर्थंकर ५. तीर्थंकर परिचय सारणी १. भूत भावी तीर्थकर परिचय नं० १. भूतकालीन जयसेन प्रतिष्ठा पाठ / ४००-४१३ १ निर्वाण २ सागर ३ महासाधु ४ विमलप्रभ ५ शुद्धाभदेव श्रीधर ७ श्रीदत्त ८ सियाभवेन ६ अमलप्रभ १०] उद्धारदेव ११ अग्निदेव १२) संयम १२ शिव १४ पुष्पांजलि १५ उत्साह १६) परमेश्वर १७ ज्ञानेश्वर १८] विमलेश्वर ९६ यशोधर २० कृष्णमति २१ ज्ञानमति २२ शुद्धमति २३ श्रीभद्र २४ अन भा० २-४८ Jain Education International ति.प./४/ १५७१-१५८१ महापद्म सुरदेव सुपार स्वयंप्रभ सर्वप्रभ देवत कुलसुत उदङ्क श्रील जयकीर्ति मुनिसुव्रत अर अपाप निःकषाय विपुल निर्मल चित्रगुप्त समाधिगुप्त स्वयम्भू अनिवर्तक जय बिमल देवपाल अनन्तवीर्य जम्बू द्वीप भरत क्षेत्रस्य चतुर्विंशतितीर्थ करोका परिचय महापद्म सुरदेव सुपार्श्व स्वयंप्रभ त्रि० सा० / ह०पु०/६०/ म०पु०/०५/ ८७३८७५ ५५८-५६२ ४७६-४८० २. भावि कालीनका नाम निर्देश सर्वात्मभूत देवपुत्र कुलपुत्र उदङ्क प्रोष्ठिल जयकीर्ति मुनिसुव्रत अर निष्पाप निः कषाय विपुल निर्मल चित्रगुप्त समाधिगुप्त स्वयम्भू अनिवर्तक जय विमल देवपाल अनन्तवीर्य महापद्म सुरदेव पा स्वयंप्रभ सर्वात्मभूत देवदेव प्रभोदय उदङ्क प्रश्नकीर्ति अपकीति सुबत अर पुण्यमूर्ति भिषाय विपुल निर्मल ३७७ चित्रगुप्त मनाधिगुप्त स्वयम्भू अनिवर्तक जय विगत दिव्यपाद अनन्तवीर्य महापद्म सुरदेव सुपा स्वयंप्रभ सर्वात्मभूत देवपुत्र कुलपुत्र उदङ्क प्रीष्टि जयकीर्ति मुनिसुवत अरनाथ अपाप निकषाय विपुल निर्मल चित्रगुप्त समाधिगुप्त स्वयम्भू अनिवर्तक विजय विमल देवपाल अनन्तवीर्य जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश For Private & Personal Use Only जयसेन प्रति प्रतिष्ठा पाठ / ५२० - ५४३ महापद्म सुरप्रभ सुप्रभ स्वयंप्रभ सर्वायुध जयदेव उदयप्रभ प्रभादेव उदंक प्रश्नकीर्ति जयकीर्ति पूर्ण बुद्धि निकषाय विमलप्रभ बहुलप्रभ निर्मल चित्रगुप्ति समाधिगुप्ति स्वयम्भू कंदर्प जयनाथ विमल दिव्यवाद अनन्तवीर्य ५. तोयंकर परिचय सारणी ३. भावि तीथ करोके पूर्व अनन्त भवनाम कोणिस सुपार्श्व उ प्रोष्ठिल कृतसूय क्षत्रिय पाविल लि. १/४/ म.५/०६/ वि.प./४/ १५८३-१५८६ ४७१-४७५ २३६६ ཐཱ་ྡངཅྭ-༢¢ངརྡྭ། शङ्ख नन्द सुनन्द হাश सेवक प्रेमक अतोरण रेवत श्रेणिक पार्श्व उदङ्क प्रोष्ठिल कटप्रू क्षत्रिय श्रेष्ठी शङ्ख नन्दन सुनन्द शशाङ्क सेवक प्रेमक अतोरण रेल बासुदेव भगलि अन्य द्वीप व अन्य क्षेत्रस्थ कृष्ण सीरी भगलि बागल विगलि द्वैपायन द्वीपायन कनकपाद माणवक नारद नारद चारुपाद सुरूपदत्त सत्यकिपुत्र सत्यकिपुत्र एक कोई अन्य तोर्य का परिचय ताणं णामापहुदिसु उबदेसो संपड़ पण्णट्ठो | २३६६॥ विशेष यह कि उस (ऐरावत) क्षेत्र में जो कोई शलाका पुरुष होते है उनके नामादि विषयक उपदेश नष्ट हो चुका है। भवंति जे कोई सलागापुरिसा वरि विसेसो तस्सिं www.jainelibrary.org
SR No.016009
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2002
Total Pages648
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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