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________________ जन्म ३२० ६. गति-अगति चूलिका निर्गमन IA गुणस्थान १३४ XXX नरक गति गुणस्थान देव सूत्र नं. * १० orm ६. गतिमार्गणाकी अपेक्षा गति प्राप्ति प्राप्तव्य गति विशेष अर्थात्-- कौन जीव किस गतिसे किस गुणस्थान सहित निकल कर तियच । मनुष्य | देव गति गति सूत्र नं गति गति किस गतिमे उत्पन्न होता है। (ष,खं.६/१,६-४/सू ७६-२०२/४३७- विशेष ४८४); असख्या१1१३५-१३६ भवनत्रिक निर्गमन प्राप्तव्य गति विशेष F| तिर्यच |४|१:१-१४० x सौ० द्वि० F विशेष गति ! गति नरकगति-(रा वा/३/६/७/१६८/२३); (ह पू./४/३७८); (त्रि.सा./२०३) मनुष्यगति १४१ संख्या० | ११४२-१४६ / सर्व सर्व सर्व गवेग्रकनक ६२ १-६ | १| ७६-८५ | | पं.सं.ग.प.- ग.प.- 1 x संख्या० संख्या ||१४७संख्य० अप० २ १५१-१६०, एके (बा पृ.-ग. प. भवनसे नव मरण भाव (दे० मरण/३) जल. वन-प्र-संख्य वेयस्तक प.) पं संग-असंख्य ८८-११ |x प संख्यक संख्या० असंख्य ६३/७ १ ।। ६४-६8x पं .सं.ग.प.- x । संख्या ॥१६१ सख्या ३१६२ -मरणाभाव (दे मरण/३)९६३ संख्य० ४ १६४-१६५/ x x xसौ० से (मू.आ./११५६)-श्वापद, भुजंग, व्याघ, सिह, सर्वार्थ सुकर, गीध आदि होते हैं, तथा(ह.पु./४/३७८)-पुनः तीसरे भवमें नरक जाता है। ||९६६ असंख्य ० १ १६७-१६८/x মনকি तिर्यंचगति |३, १६६ - मरणाभाव (देखो मरण/३)सं.पं प. | १ | १०२-१०६ सर्व सर्व भवनसे । १७० |४|१७१-१७२ x x x | सौ. दि. संख्यक सहस्रार कुमानुष --ति.प/४/२५१५-२५-१५-उपरोक्त असंख्यातचत्--- १०७ असं.पं.प. १ | १०८-१११ प्रथ. सर्व संख्य० सर्व- भवन व देवगतिसंख्य व्यन्तर ||१६०/- भवनत्रिक १७८-१८३ / ४ एके(वा. पृ. | ग. प. x जल. वन) संख्य ११२ पं.सं.असं. १ ११३-११४ |x सं.पं.गप प.व अप. पृ.जल वन १ - मरणाभाव (दे. मरण/३) , १८६-१८१ संख्य बा.सू.प. व अप. सनत्कुमार सहस्रार संख्य० संख्या वन,बा.प्र. १ प. व अप. --मरणाभाव ( दे मरण/३) xxx xxx १६६ १७३/ सौ. कि x , १८ x " निगोद xxxx xxxxxx ___ । विकलत्रय१|| x Ixxxxx संरूया 1१२ x | " आनतसे १ नव वेयक तेज, वायु, | १ ११६-११७ x बा.सू.प. व अप. به سد १६७ १६३-१६६ २ १११-१२६ IPER ११८, सं.पं. प. संख्यक भवनसे सहस्रार एके (पृ- ग.प.-1 जल, वन- संख्या प्र.बा.सू.) असंपंसं.ग.प.- ख्या संख्यक परणाभाव (देखो मरण/३) 1 ग. प.! संख्या x १६८ अनुदिशसे | ४ | १६६-२०२४ सर्वार्थ सि० १३० मरणाभाव (दे० मरण/३) १३७ संख्य० १३७ असंख्य ०३ संख्य०४ -५ १३२-१३३/ x x सौ-अच्युत जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016009
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2002
Total Pages648
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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