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________________ काल ४. उत्सपिणी आदि काल निर्देश १४. षटकालोंमें आयु, आहारादिकी वृद्धि व हानि प्रदर्शक सारणी प्रमाण--(ति.प./४/गा.); (स.सि./३/२७-३१,३७); (त्रि.सा./७८०-७६१,८८१-८८४); (रा.वा./३/२७-३१,३७/१६१-१६२,२०४); (महा.पु./३/२२-५५) (हरि.पु/७/६४-७०); (जं.प./२/११२-१५५) संकेत-को.को.सा. = कोडाकोड़ी सागर; ज.जधन्य; उ.- उत्कृष्टः पू.को पूर्व कोडि । प्रमाण सामान्य षटकालों में वृद्धि-ह्रास की विशेषताएं विषय ज.प./२/गा. निति.प. सुषमा सुषमाति.प सुषमा ति.प. सुषमा दुषमा ति.प. दुषमा मुषमाति.प. दुषमा ति.प. दुषमा दुषमा काल प्रमाण ११२-११४ ३१६, ४को को सा. ३१६, ३को को सा. ३९७, को को सा., ३१७ कोको सा.से ३१८ २१००० वर्ष ३१६ २१००० वर्ष | ३६४ ४०३/ ४२००० वर्ग " (उ.) । आदि हड्डियाँ आयु (ज.) ke | २ पन्य १६०० १ ल्य १५६६१ पू० को० | १५७६ / १२० वर्ष १९६० २० वर्ष १५६४/१५-१६ वर्ष , (उ.) १२०-१२३ । ३३४ | ३ पल्य ३६६ | २ पल्य ४०४, १ पत्य | १२७७, १ पू० को, १४७५/ १२० वर्ष १५३६| २० वर्ष १७८,१८६ १५६८ अवगाहना ३६६ | ४००० धनुष १६०० २००० धनुष १५६७ ५०० धनुष | १५७६ ७ हाथ १५६८३या३३ हाथ १५६४ १ हाथ १६०१ १७७,१८६ ३३५१६००० धनुष ३६६, ४००० धनुष ४०४, २००० धनुष १२७७, ५०० धनुष १४७५/७ हाथ १५३६३ या हाथ | १२०-१२३ १५६६ १ ५६५ आहार प्रमाण १२०-१२३ | ३३४/बे प्रमाण ३१८ बहेडा प्रमाण ४०६ आंवलाप्रमाण ,, अन्तराल ७८५, ३दिन .. | २ दिन , १ दिन त्रि.सा. प्रति दिन त्रि.सा अनेक बार त्रिसा, बारम्बार विहार ३६ | अभाव ३३६ | अभाव ३३६ | अभाव संस्थान ३४१ | समचतुरस्र ३१८ समचतुरस्र ४०६ | समचतुरस्त्र १५३६/ कुबड़े बौने संहनन १२४ | बज्रऋषभना.(ज.प) वज्र ऋषभ ज.प. वज्र ऋषभ ३३७ २५६ ३६७१२८४०५ ६४ १२७७, ४८-२४ १४७१ २४-१२ १५३६ १२ (शरीर के पृष्ठमें) शरीरका रंग रा.वा स्वर्ण बत् रा.वा शंख वन रा.वा नील कमल ७८४ सूर्य वत् चन्द्र वव हरित श्याम पाँचों वर्ण - कान्ति हीन धुंवे वत पंचवर्ण श्याम बल १५५ 8000 हाथि- ६०००गज वत ६०००गज बत यों का संयम अभाव अभाव मरण समय रा. वा पुरुषके छींक स्त्रीको जमाई अपमृत्यु हरि.पु/२/३१ अभाव | | अभाव अभाव मृत्यु पश्चात् रा. वा. | कर्पूर बत् उड़ जाता है शरीर उपपाद रा.वा. (सम्यक्त्व सहित सौधर्म ईशानमें, मिथ्यात्व सहित भवनत्रिकमें) भूमि रचना रा. वा. ८८१ | उत्तम भोग । मध्यम भोग|१५६८| जघन्य भोग| । कर्म भूमि कर्मभूमि कर्मभूमि वकुभोगभूमि अन्य भूमियों ति. १./२/१९६९१८,१६६,१७४; ३/२३४-२३५); (त्रि.सा./८८२-८८३); (रा.वा.); (गो.जी./१४८) में काल अव रा.वा उत्तर कुरु हरि वर्षक्षेत्र । हैमवत् क्षेत्रति प/४-| विदेह क्षेत्र भरत क्षेत्र भरत क्षेत्र स्थान १६०७ देव कुरु रम्यक क्षेत्रहरण्यवत क्षेत्र त्रि.सा. हरण्यवत क्षेत्र त्रि.सा./ भरतऐरावत ऐरावत क्षेत्र ऐरावत क्षेत्र ८८३ के म्लेक्ष रखण्ड अन्तर्वीप व म.पु/१४/ विजयाई मानुषोत्तरसे ६-१० | में विद्याधर स्वयंभूरमणज.प/२/- श्रेणियाँ पर्वत तक ११६ हरि.पु./- स्वयंभूरमण चतुर्गतिमें | ति.प./२/- ४ देव गति १/७३० पर्वतसे आगे काल विभाग १७५ नरक गति अभाव जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016009
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2002
Total Pages648
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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