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________________ [परिशिष्ट] अनुसार वीर निर्माणकी तिथिको १८ वर्ष ऊपर उठा देनेपर इस सगतिकी कालावधि यद्यपि बढ जाती है अर्थात बोधि लाभके पश्चात दोनो महापुरुष ४४ वर्ष तक साथ साथ रह सकते हैं, तदपि ४७० वर्षवाली मान्यताके अनुसार भी इन दोनों महापुरुषों को १२-१३ वर्ष तक अपने धर्मों के प्रतिस्पर्धी शास्ताओंके रूपमें साथ-साथ विचरण करनेका अवसर प्राप्त हो जाता है। | जन्म नाम आयु | वैराग्य बोधि निर्वाण वर्ष । ई. पू. | वि पू. ई. प. वि.पू. ई.पू. महावीरदृष्टि नं.१६१७ दृष्टिन २/५६६ । ५४५ ५८७ ५१० १६६ १५०० ५७५ ४८८ ५७४७० ७२ १२७ परिशिष्ट ' -(संवत् विचार) १. वीर संवत् विचार पृष्ठ ३०१ पर भगवान् वीरके निर्वाणकी चर्चा करते हुए यह बताया गया है कि विक्रम संवतको लेकर इस विषय में प्राचीन कालसे ही कुछ मतभेद चला आ रहा है। विक्रम संवत् का प्रारम्भ कुछ विद्वान तो विक्रमके जन्मसे मानते हैं, कुछ उनकी मृत्युसे और कछ उनके राज्याभिषेकसे। पहली दो मान्यताओंकी अपेक्षा तो महावीरकी निर्वाण तिथिमें कोई अन्तर नहीं पड़ता परन्तु तीसरी मान्यतासे अवश्य उसे १८ वर्ष ऊपर उठाना अनिवार्य हो जाता है। इसका कारण यह है कि पहली दो मान्यताओं के अनुसार वीर निर्वाण सवत तथा प्रचलित विक्रम संवत्के मध्य ४७० का जो लोकप्रसिद्ध अन्तर है वह ज्योंका त्यों बना रहता है क्योंकि विक्रम जन्मसे उसके संवतका प्रारम्भ माननेवाले उसका जन्म वीर निर्वाण के ४७० वर्ष पश्चाद मानते हैं और मृत्युसे उसका प्रारम्भ माननेवाले उसकी मृत्युको वीर निर्वाणके ४७० वर्ष पश्चाद मानते है। विक्रमको आयु ७८ वर्ष मानी गई है जिसमें से १८ वर्ष उनका बाल्यकाल है और ६० वर्ष राज्यकान । बी, नि ४७० में जन्म माननेवालो की अपेक्षा उनका राज्याभिषेक वी.नि ४८८ में हुआ और ४७० में उनकी मृत्यु माननेवालोंकी अपेक्षा वह वी.नि. ४१० में हुआ। इस विषय में एक तृतीय मान्यता भी है जिसके अनुसार वी. नि. ४१० में उनका जन्म हुआ और ४२८ में राज्याभिषेक । आ. इन्द्रनन्दि कृत 'श्रुतावतार' नामक ग्रन्थमें अत्यन्त प्रसिद्ध दो पट्टावलिये प्राप्त होती है, एक गौतम गणधरमे प्रारम्भ होनेवाली श्रतधर आम्नायकी अथवा मूल संघकी और दूसरी नन्दिसंघके बलात्कार गणकी। दोनों में ही आचार्योंका पृथक पृथक काल निर्देश किया गया है। पहली में उसकी गणना वीर निर्वाण की अपेक्षासे की और तमीमें विक्रम राज्य की अपेक्षा । परन्तु यहाँ विक्रमका राज्याभिषेक वीर निर्वाण के ४८८ वर्ष पश्चात मानकर चला गया है। इसकी चर्चा तो आगे विक्रम सवतके अन्तर्गतकी जायेगी, यहाँ केवल इतना बता देना इष्ट है कि उनकी इस मान्यताके आधारपर वी नि. ४८८ में राज्याभिषेक माननेवाले विद्वान् वी नि, और विक्रम मबत्के मध्य जो ४७० वर्ष का अन्तर प्रसिद्ध चला आ रहा है, उसमें १८ वर्ष की वृद्धि करनेकी माग करते है, अर्थात उनके अनुसार वीरका निर्वाण प्रचलित मान्यतासे १८ वर्ष पहले होना चाहिए, और तदनुसार महावीर की २५००त्री निर्वाण जयन्ती जो ई १९७३ में मनाई गई वह ई १९५५ में मनाई जानी चाहिये थी। परन्तु जैसा कि आगे सिद्ध किया जानेवाला है आ इन्द्रनन्दिसे इस विषय में कुछ भूल हुई है और उसको आधार मानकर यह भ्रान्ति प्रचलित हो गई है। भगवान् का निर्वाण विक्रम सबतके प्रचारसे ४७० वर्ष पूर्व ही होना निश्चित है, क्योकि तिल्लोय पण्णति, त्रिलोक सार व हरिवंशपुराण आदि अत्यन्त प्राचीन तथा मल शास्त्रो, में शक राजाकी उत्पत्ति वीर निर्माण के ६०५ वर्ष पश्चात होनेका स्पष्ट उल्लेख किया गया है और शक सवद तथा विक्रम सबमें १३५ वर्षका अन्तर प्रसिद्ध है। ऐसा माननेपर भगवान बुद्ध के साथ इनकी सगति बैठाने में भी कोई बाधा नहीं आती है। जैसा कि आगे दर्शाया गया है। विक्रम राज्यको वी नि ४८८ में हुधा माननेवाली दृष्टिके प्रसिद्धि ६१४ ८०५ ५ ८८ । (जै /पी ३०३) २. विक्रम संवत् विचार १ नाम विचार भारतका यह सर्व प्रधान संवत् है । जैसा कि आगे शक संवतके प्रकरण में बताया जानेवाला है कहीं कही विक्रम, शक तथा शालिवाहन इन तीनो सबतोको एक मानकर प्रवृत्तिकी जाती रही है, परन्तु वास्तवमें यह ठीक नहीं है। तीनों सत्रद स्वतन्त्र है। शक संवतका प्रारम्भ वीर-निर्वाणके ६०५ वर्ष पश्चात होना निश्चित है, शालिवाहनका ७४१ वर्ष पश्चात और विक्रम स बदका ४७० वर्ष पश्चात । २. मतभेद इस विषय में तीन मान्यताये है-१ यह सवत विक्रमसे प्रारम्भ हुआ. २ उसके राज्याभिषेकसे प्रारम्भ हुआ, ३ उसकी मृत्युसे प्रारम्भ हुआ। इन तीनों घटनाओं के कालों में भी मतभेद है। एकके अनुसार वीर निर्वाणके ४७० वर्ष पश्चात उनका जन्म हुआ, दूसरेके अनुसार उस समय उनका राज्याभिषेक हुआ और तीसरेके अनुसार उस समय उनकी मृत्यु हुई। बी. नि ४७० मे जन्म माननेवालोके अनुसार उनका राज्याभिषेक वी नि ४८८ मे हुआ और वी नि. ४७० में उनको मृत्यु माननेवालोके अनुसार उनका राज्याभिषेक वी नि. ४१० में हुआ। क्योकि ७८ वर्ष प्रमाण उनकी आयुमें से १८ वर्ष उनका बाल्यकाल माना गया है और ६० वर्ष राज्यकाल । इस विषयमें एक तीसरी मान्यता भी है जिसके अनुसार उनकी आयु ७६ वर्ष थी जिसमें से ८ वर्ष बाल्यकाल १६ वर्ष देशाटन, ५५ वर्ष राज्य । इसमें से १५ वर्ष मिथ्यामतावलम्बी और ४० वर्ष जिनधर्मावलम्बी। यथाइन्द्रनन्दि कृत श्रुतावतारमें निबद्ध श्रुत धराम्नाय/श्ल १८-११ व (ती. ४/३४६ पर उद्धृत) सत्तरि-चउ-सद-युतो जिण काला विकमो हबई जम्मो। अठबरस बाललीला सोडसवासे हि भम्मिए देसे ।१८। पणरसबासे रज्जं कुणन्ति मिच्छोवदेससंयुत्तो। चालीसबरस जिणवर. धम्म पालीय सुरपयं लहियं ११ - महावीर-निर्वाणके ४७० वर्ष पश्चाद विक्रमका जन्म हुआ। आठ वर्षांतक उन्होंने बाललीलाकी, जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016008
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2003
Total Pages506
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size18 MB
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