SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 427
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उदीरणा ४१२ २. उदीरणा व उदीरणा स्थान प्ररूपणाएं ४ एक व नानाजीवापेक्षा मूलप्रकृति उदीरणाको ओघ आदेश प्ररूपणा १ ओध प्ररूपणा ( सं./प्रा. ४/२२२-२२६): (स/सं ४/८६-११), (शतक २६-३२), (ध, १५/४४) गुण । एक जीवापेक्षया काल । एक जीव पेक्षया अन्तर । नाना जीवापेक्षया अल्प बहुत्व नाम प्रकृति जघन्य उत्कृष्टजधन्य । उत्कुष्ट । अल्प बहुत्व । विशेषका प्रमाण १ या २समय १ आवली कम | १ आवली अन्तर्मुहर्त | सर्वत स्तोक ३३ सागर अर्ध.पु परिव.] १ समय | विशेषाधिक आयु(केवल आवली काल १ अवशेष रहते) स्व स्थितिके अन्त तक | २-६ वेदनीय मोहनीय ज्ञानावरणी दर्शनावरणी १-१२ अन्तराय १--१२ नाम गोत्र १-१० अन्तिम आवली में संचित अनन्त ७-१० गुण स्थान वाले जीव १-१२ " उपरोक्तवत १-१२ अनादि सान्त अनादि अनन्त निरन्तर उपरोक्तवत १-१३ विशेषाधिक । उपरोक्तवत् सयोगो केवली प्रमाण उपरोक्तवत २. आदेश प्ररूपणा (दे. ध. १५/४७) ५. मूल प्रकृति उदीरणा स्थान ओध प्ररूपणा (पं. स./प्रा ३/६); (पं.सं प्रा.४/२२२-२२६), (वंस स. ३/१४) (प. स /सं.४/८६-११); (शतक २६-३२), (ध. १५/४८-५०) सकेत -आ =आवली एक जीवापेक्षया काल एक जीवापेक्षया अन्तर स्थानका विवरणगुण स्थान गुण स्थानके अन्त तक या कुछ काल शेष रहते जघन्य उत्कृष्ट जघन्य उत्कृष्ट अतर्मुहूर्त ३३ सागर १ आवली अर्ध.पु. परि. | आठो कर्म |१-६ अन्त तक | १,२ समय३३ सागर-१आ । १ आवली | आयु बिना ७ कर्म (१,२,४,५,६ अन्तर्मुहूर्त शेष रहनेपर १आवली क्षुद्र भव १आवली यह गुण स्थान नहीं होता आयु व वेदनी बिना ६७-१० । अन्त तक १,२ समय अन्तर्मुहूर्त अन्तर्मुहुर्त | आयु वेदनी व मोहके । १० आ शेष रहनेपर बिना-कर्म । ११-१२ अन्त तक नाम ब गोत्र-२ कर्म आ. शेष रहनेपर अन्तर्मुहूर्त कुछ कम निरन्तर १ पूर्व कोडि अन्त तक ५ निरन्तर - नाना जीवापेक्षा अन्तर अल्प बहुत्व जघन्य १ समय । उत्कृष्ट । ६ मास सर्वत.स्तोक गुण स्थानके नाना जीवापेक्षया काल स्थानका विवरण | गुण स्थान अन्त तक या कुछ काल शेष रहते जघन्य उत्कृष्ट १ | आयु, मोह, वेदनीयके । ११-१२ १समय । अन्तर्मुहूर्त बिना ५ कर्म | नाम गोत्र २ कर्म सर्वदा सर्वदा ३ | आयु वेदनी बिनाकर्म | ७ आयु बिना ७ कर्म . सर्व ही८ कर्म ... । निरन्तर निरन्तर सं, गुणे अनन्त गुणे स. गुणे. जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016008
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2003
Total Pages506
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy