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________________ इतिहास ३२९ ८. आचार्य समयानुक्रमणिका पर १२८ |१२६ ४३७ m Sex or १४० २४२, १४३ मयार संग्रह समय गुरु या नाम प्रधान कृति समय ई सन् नाम गुरु या विशेषता प्रधान कृति विशेषता १२६६५० ५ ईसवी शताब्दी ४ - । बलदेव कनकसेन १२६ ६६३-६७६ माणिक्यनन्दि | रत्ननन्दि पूर्व पाद | विमल सुरि पउमचरिउ १२७ ६७५ देवनन्दि धर्मसेन यशोनन्दि ६७७ रविषेण लक्ष्मण सेन । पद्म पुराण मध्यपाद श्री दत्त जल्प निर्णय ६७६-७०५ मेघचन्द्र माणिक्यनन्दि मल्लवादी द्वादशारनयचक्र १३० ६६ कुमारसंन प्रभाचन्द्र ४ | आत्म मीमांसा ३८६-४३६ । जयनन्दि देवनन्दि के गुरु विवृत्ति ६ ईसवी शताब्दी ५ - अन्तिम पाद | सिद्धसेन गणी | श्वेताम्बराचार्य | न्यायावतार ८८ | मध्यपाद | धरसेन २ दीपसेन ७०० बालचन्द्र धर्मसेन पूज्यपाददेवनन्दि सर्वार्थ सिद्वि ई.श.७-८ अर्चट (बौद्ध) हेतु बिन्दु टीका ४३६-४४२ गुणनन्दि | जयनन्दि सुमतिदेव सन्मतितर्कटीका अपराजित सुमति आचार्य जटासिंह नन्दि वराङ्गचरित ४४२-४६४ वज्रनन्दि गुणनन्दि चतुर्मुखदेव । अपभ्रशकवि ४४३ शिवशर्म मूरि कर्म प्रकृति ९. ईसवी शताब्दी ८ - (श्वेताम्बर) ११३७ ७०५-७२१ । शान्तिकीर्ति । मेधचन्द्र ४५३ देवाद्धि गणी दि के अनुसार व आगम ७१६ चन्द्रनन्दि २ ६५ ४५ सर्वनन्दि स, लोक विभाग ७२०-७५८ मेरुकीर्ति | शान्तिकोति ६६ ४६४-५१५ । कुमारनन्दि । वज्रनन्दि । ७२०-७८० पुष्पसेन अकलङ्कके सधर्मा १७। ४८०-५२८ । हरिभद्र सूरि (ताम्बर) | षट् दर्शन समु १४१ ७२३-७७३ __ जयसेन २ । शान्तिसेन ७. ईसवी शताब्दी ६ - ७२५-८२५ | जयराशि । तत्वोपप्लव८। पूर्व पाद । वज्रनन्दि । पूज्यपाद पूज्यपाद । (अजैन नैयायिक प्रमाण ग्रन्थ सिंह ६ ५०५.५३१ । लोक चन्द्र कुमारनन्दि मध्य पाद बुद्ध स्वामी बृ कथा श्लोक प्रभाचन्द्र १ । लोकचन्द्र १०१ उत्तरार्ध यागेन्दु | परमात्मप्रकाश १४४ हरिभद्र २ तत्त्वार्थाधिगम १०२ ५५६-५६५ नेमिचन्द्र १ प्रभाचन्द्र (याकिनीसुनु भाष्यकी टीका) १०३ ५६५-५८६ भानुनन्दि नेमि चन्द्र १ श्रीदत्त द्वि० जल्प निर्णय सिद्धसेन दिवा, (दिगम्बर) सन्मतितर्क १४६ काण भिक्षु चरित्रग्रंथ १०५ ५८३ ६२३ । दिवाकरसेन - इन्द्रसेन १४७ ७३६ विजयोदया १०६ ५८५-६१३ सिंहनन्दि २ . भानुनन्दि (भग.आ. टीका १०७ ५६३ जिनभद्र गणी विशेषावश्यक-१४८ ७३८-८४० पउमचरिउ स्वयम्भू (ताम्बराचायी भाष्य । १४४ ७४२-७७३ चन्द्रसेन पंचस्तूपसंघी ई. श.७सेपूर्व| तोलामुलितेवर अमितसेन चूलामणि पुन्नाटमधी अन्तिम पाद सिंह सूरि(व.) जिनसेन १ नयचक्र वृत्ति १५१ ७४८-८१८ हरिवंश पुराण शान्तिषण जिनसेन प्र. । चारित्रभूषण विद्यानन्दिके गुरु प्रामाण्य भंग पात्रकेसरी समन्तभद्र पात्रकेसरी स्तोत्र १५३ उत्तराध अनन्तकीर्ति | निमित्त शास्त्र १५४ ७६२ आविद्धकरण (नैयायिक) ८. ईसवी शताब्दी ७ -- ७६३-८१३ कीर्तिण जयसेन २ ११३ पूर्व पाद "५ सिंहमूरि (छ)। सिद्धसेन गणी दार सहारराव सदसन गणा द्वादशार नयचक्र ९५६ ७६७-७१८ आर्यनन्दि पंचस्तूपसंघी ७७०-८२७ १५७ | जयसेन ३ आर्यनन्दि ११४ वमुनन्दि ६०३-६१६ १ सिंहनन्दि ७७०-८६० १९८ अर्हत्सेन वादीभसिह पुष्पसेन ११५ ६०३-६४३ क्षत्रचूडामणि दिवाकरसेन ७७५-८४० विद्यानन्दि १ आप्त परीक्षा ११६ वोरनन्दि १ ६०६-६३६ वमनन्दि ७८३ उद्योतन सुरि ११७ कुवलय माला भक्तामर स्तोत्र १६० ६१८ मानतुङ्ग ७६७ प्रभाचन्द्र ३ तोरणाचार्य ११८ ६२०-६८० राजवातिका अकलङ्क भट्ट ७७० एलाचार्य ११६ ६२३-६६३ लक्ष्मणसेन अर्हत्सेन ७७०८२७ वीरसेन स्वामी एलाचार्य धवला १२० कनकसेन बलदेवके गुरु ई. श.८-६ धनब्जय दशरथ विषापहार १२१ ६२५-६५० धर्मकोति (बौद्ध) कुमारनन्दि चन्द्रनन्दि वादन्याय १२२ ६३६-६६३ रत्ननं दि वीरनन्दि १५६ महासेन सुलोचना कथा १२३ मध्य पाद तिरुतकतेवर ! जीवनचिन्तामणि श्रीपाल वीरसेन स्वामी १२४] उत्तराध । प्रभाचन्द्र २ । तत्त्वार्थसूत्र द्वि. १६८ श्रीधर १ गणितसार संग्रह १४५ १०४ १६८ अपराजित विजय ११० ७४३-७६३ १५२/ ७५७-८१६ के दादा गुरु । की वृत्ति 2. जैनेन्द्र सिदान्त कोश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016008
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2003
Total Pages506
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size18 MB
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