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________________ १२२३/ १२३२ ,99009wwwar ०४ पहले | १२६६ १२७१ १२६६ इतिहास ३२३ ७. पट्टावलिये तथा गुर्वावलिये २. नन्दि संघ बलात्कारगण के आधारपर डा नेमिचन्दने इसकी अन्य गद्दियोसे सम्बन्धित प्रमाण-दृष्टि १-बि.रा स.-शक सवत, दृष्टि नं २=वि.रा स.. भी पट्टावलिये ती.४/४४१ पर भदी है-- थी नि ४८८। विधि मन भद्रबाहुके काल में १ वर्षकी वृद्धि करके उसके स० व नाम । वि० । वर्ष) स० व नाम ।वि० । वर्ष आगे अगले-अगले का पट्टकाल जोडते जाना तथा साथ-साथ उस पट्टकालमें यथोक्त वृद्धि भी करते जाना-(विशेष दे शीर्षक ५/२) | २ उज्जयनी गद्दी- | ७ ग्वालियर गही प्र. दृष्टि द्वि दृष्टि | २७ महाकीर्ति ६८६/१८६५ हेमकीर्ति १२०६७ नाम २८ विष्णुनन्दि ७०४ | २२६६ चारु कोति विरास | वी.नि १२१६ | बी नि | विशेषता | (विश्वनन्दि) ६७ नेमिनन्दि १ भद्रबाहु २ ४-२६ ६०६-६३१ २२ ४६२-५१४ | | २६ श्री भूषण ६८ नगभिकीर्ति १२३० ५१४-५१५ /मूलसंघक। ३० शीनचन्द १४६६१ नरेन्द्रकीति लोहाचार्य २ ३१ श्रीनन्दि ७० श्रीचन्द्र १२४१ २ गुप्तिगुप्त २६-३६ ६३१-६४।१०६५-७५ नन्दिसघो-] ३२ देशभूषण १० ७१ पद्मकीर्ति १२४८ ३ माघनन्दि त्पत्ति तक | ३३ अनन्तकीर्ति | ७२ वर्द्ध मानकीति प्र आचार्यत्व | ३६-४०६४१-६४५ ४ ५७५-५७६ भ्रष्ट होनेसे | | ३४ धर्मनन्दि २३७३ अकलंकचन्द्र १२५६ ३५ विद्यानन्दि ३२/ ७४ ललितकीर्ति १२५७ द्वि. आचार्यत्व ३५/५७१-६१४ पुन दोक्षाके ३६ रामचन्द्र ७५ केशवचन्द्र १२६१ बाद ३७ रामकोति ७६ चारुकीर्ति १२६२ ४ जिनचन्द्र ४०-४४६४५-६५४६६१४-६२३ ३८ अभय या ७७ अभयकीर्ति १२६४ ३१ ६२३-६५४ काल वृद्धि निर्भयचन्द्र १६/७८ वसन्तकीर्ति १२६४ ५ पद्यनन्दि ४९-१०१६५४-७०६२/६५४-७०६ अपर नाम ३६ नर चन्द्र १६ ८ अजमेर गही कुन्दकुन्द ४० नागचन्द्र ७६ प्रख्यातकीति ६ गृदपिच्छ १०१-१४२/७०६-७४७ ४१७०६-७४७ उमास्वामी ८० शुभकीर्ति २३/७४७-७७० 'का नाम १२६८ ४२ हरिनन्दि ८१ धर्मचन्द्र नोट- इसमे आगे शक संवत घटित हो जानेमे द्वि दृष्टिका प्रयोजन समाप्त |४३ महीचन्द्र ८२ रत्नकीर्ति हो जाता है ४४ माघचन्द्र ८३ प्रभाचन्द्र ७ लोहाचार्य ३ / ९४२-१५३ / ७४७-७५८) । । १३१० (माधवचन्द्र) २२१ ९. दिल्ली गद्दी ३ चन्देरी गद्दी ८४ पद्मनन्दि । १३८५/६५ क्रम नाम । १०२३ | १४८५ शुभचन्द्र शक स ई. सं. वर्ष विशेष ४५ लक्ष्मीचन्द १४५०५७ ४६ गुणनन्दि ८६ जिनचन्द्र (१५०७ : ७० लोहाचार्य ३ १४२-१५३ , २२०-२६१ / (गुणकीति) १०. चित्तौड़ गद्दी १०४८१८ | यशकीति१ ४७ गुण चन्द्र | १५३-२११ २३१-२८४ १३.८७ प्रभाचन्द्र यशोनन्दि १ ४८ लोकचन्द्र २११-२५८ | २८६-३३६ १५७१ १० देवनन्दि ८८ धर्मचन्द्र | ४ भेलसा (भोपाल) गद्दी २५८-३०८३३६-३८६ | ५० जिनेन्द्रबुद्धि पूज्य-- १५८१ जयनन्दि [११८ ललितकीर्ति ४६ श्रुतकीर्ति २०८-३५८/ ३८६-४२६/५० पाद १२ गुगनन्दि |६० चन्द्रकीर्ति ५० भावचन्द्र 1३५८-३६४-४३६-४४२ १६२२ | बज्रनन्दिन १ ३६४-३८६ | ४४२-४६४ | २२ 'द्रविड संघके प्रवर्तक (भानुचन्द्र) १०६४/२१६१ देवेन्द्रकीर्ति १४ | कुमारनन्दि | ३८६-४२७ ४६४-५०५, ४१ ५१ महीचद्र १९१५ | २४/६२ नरेन्द्रकीर्ति १५ / लोकचन्द्र ४२७-४५३ | ५०५-५३१ / २६ ५ कुण्डलपुर (दमोह) गद्दी १३ सुरे द्रकीर्ति १४ जगत्कीति | प्रभाचन्द्र न.१ | ४५३-४७८५३१-५५६ / २५ १२ मोषचन्द्र १७३३ नेमीचन्द्र नं १ ४७८-४८७५५६-५६५६ (मेषचन्द्र) १७७० १६ महेन्द्रकीर्ति १८ | भानुनन्दि ४८७-५०८५६५-५८६ ६. वारा की गद्दी १७६२ ६७ क्षेमेन्द्रकीर्ति | सिंहनन्दि २ 1५०८-५२६८६-०३ १९१६ ५३ ब्रह्मनन्दि ११४४ | १८ सुरेन्द्रकीर्ति | वसुनन्दि १ १२५-५३१६०३-६०४ १८२२ ५४ शिवनन्दि २१ वीरनन्दि ६ सुखेन्द्रकीर्ति १ ५३१-५६१ [ ६०६-६३६ ५५ विश्वचन्द्र २२ | रत्ननन्दि ११०० नयनकीति ५६१-५८५६३६-६६३ १८७६ ५६ हृदिनन्दि १९५६ १०१ देवेन्द्र कीति २३ माणिक्यनन्दि १५८५-६०१ / ६६३-६७६ १६ १८८३४ ५७ भावनन्दि ११६० २४ मेषचन्द्र न १६०१-६२७/६७४-७०५ | २६ १०२ महेन्द्र कीति ११३८ । १८ सूर (स्वर) काति | १९६७ २५ शान्तिकीर्ति ६२७-६४२ / ७०५-७२० / १५ । ११. नागौर गही ५६ विद्याचन्द्र ११७० २६ मेरुकीति ६४२-६८० / ७२६-७५८, ३८. ६० सूर (राम) चन्द्र ११७६ ५ ६१ माघनन्दि २ भुवनकोति १५८६ ३ नन्दिसंघ बलात्कारगण को भट्टारक आ नाय । ६२ ज्ञाननन्दि १९८८ ११ ३ धर्मकीर्ति नोट ---इन्द्र नन्दिकृन श्रुतावतारको उपयुक्त पट्टावली इस संघकी भर ६३ गंगकीर्ति ११६६ ७ ४ विशालकीर्ति पुर या भहिलपुर गद्दीसे सम्बन्ध रखती है। इण्डियन एण्टीक्वेरी- | ६४ सिहकीर्ति | १२०६ । ३। ५ लक्ष्मीचन्द्र । ११४०/ ४६५ देवेन्द्रकीर्ति ११४८ ११५५ १ रत्नकीर्ति जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016008
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2003
Total Pages506
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size18 MB
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