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________________ इतिहास नाम ३. नन्द वंश * सामान्य अनुरुद्ध नन्दिवर्द्धन (सुसुनाग) मुण्ड नव नन्द महानन्द महानन्दकेश्पुत्र महापद्मनन्द (तथा इनके ४ पुत्र) धनानन्द नाम जैन शास्त्र ( ति प ४) १५०६ प्रमाण वो नी ई. पू 1 बिन्दुसार अशोक ३२४ ६०-२१४ ४६७-३१२ १५५२ १०३ Jain Education International लोक इहिस |५२६-३२२ - २०४ मत्स्य पुराण | वर्ष वर्ष प्रमाण ४. मौवें या मुरुवंश सामान्य २१५-४७० ३१२-५७ २५५ चन्द्रगुप्त प्र. २१५-२५५ | ३१२-२७२ ४०० ३५८ ३३६ जेन शाखति प. ४/९२०६ बी नि. | ई. पू. वर्ष | प्रमाण कुनाल दशरथ सम्पति (चन्द्रगुप्त द्वि.) विक्रमादित्य * ४१०-४७० ११७-५७ ६० ३५६ ४० " ३५८ ४३ | ८८ |१२ ३३४ : : :: जैन इतिहास ई.पू. 11 २१३ . 'जैन शास्त्र के अनुसार पालकका काल ६० वर्ष और नन्द वंशका १५५ वर्ष है । तदनन्तर अर्थात् वी नि. २१५ में चन्द्रगुप्त मौर्यका राज्याभिषेक हुआ। भुकेली भद्रबाहु (बी.नि.१६२) के समकालीन बनाने के अर्थ थे आचार्य श्री हेमचन्द्र सुरिने इसे यो. नि. १२५ में राज्यारूढ होनेकी कल्पना की। जिसके लिए उन्हे नन्द वंशके कालको १५५ से घटा कर ६५ वर्ष करना पडा। इस प्रकार चन्द्रगुप्त मौर्य के कालको लेकर मतभेद पाया जाता है | २१३ | दूसरी ओर पुराणोमे नन्द वंशीय महापद्यनन्दिके कालको लेकर ६० वर्षका ममेद है वायु पुराण मे उसका काल २० वर्ष है और अन्य पुराणोंमें ८८ वर्ष ८८ वर्ष मानने पर नन्द का काल १३ वर्ष आता है और २८ वर्ष मानने पर १२३ वर्ष । इस कालमें उदयी (अजक) के अवन्ती राज्यवाले ३२ वर्ष मिलानेपर पालकके पश्चात् नन्द वंशका काल १५५ वर्ष आ जाता है। इसलिए उदयो ( अजक) तथा उसके उत्तराधिकारी नन्दिवर्द्धनकी गणना नन्द वशमे करनेकी भ्रान्ति चल पडी है । वास्तव मे ये दोनो राजा श्रेणिक वंशमे है, नन्द वशमे नहीं । नन्द बशमे नव नन्द प्रसिद्ध है जिनका काल महापद्मनन्दसे प्रारम्भ होता है । ३३१| 1 लोक इतिहास वर्ष जैन इतिहास 1 ४६७- ४५८ ६ ४५-४१८४० ४१८-४१० ८ ४१०-३२६ ८४ ४१०-३७४ ३६ ३७४-३६६ १८ २६६-३३८ २८ ३३८-३२६ १२ विशेषताएँ खारवेल शिलालेख के आधारपर क्योकि नदिवर्द्धनका राज्याभिषेक पू. ४५८ में होना सिद्ध होता है इस लिए जायसवाल जोने राजाओंके उपर्युक्त क्रममें कुछ हेर-फेर करके सगति बैठानेका प्रयत्न किया है | ३३४ | श्रेणिक वंशीय नामदासका मन्त्री ही नन्दिवर्द्ध नसे प्रसिद्ध हो गया था । (दे. ऊपर) । वास्तवमें यह नन्द वशके राजाओ मे सम्मिलित नहीं थे। इस वंशमें नव नन्द प्रसिद्ध है। जिनका उल्लेख आगे किया गया है । ३३१ | २२-२२० ८ २२०-२११ १ नन्दिवर्द्धनका उत्तराधिकारी तथा नन्द वंशका प्रथम राजा । ३३१| तथा २८ वर्ष की गणना में ६० वर्षका अन्तर है । इसके समाधान के लिए देखो नीचे टिप्पणी । भोग विलास में पड जानेके कारण इसके कुलको नष्ट कर के के मन्त्री शाकटालने चाणक्यको सहायतामे चन्द्र गुप्त मौर्यको राजा बना दिया । ३६४ | ३२६-२११११५३२२-१८५ १३७ ३२६-३०२ २४ ३२२-२६८ २४ ३ ऐतिहासिक राज्यवंश २५ ३०२-२७७ २५ २६८- २७३ २७७-२३६ ४१ २७३ - २३२ ४१ २३६-२२८८ २३२-१८५४७ जेनेन्द्र सिद्धान्त कोश For Private & Personal Use Only विशेष घटनाये जिन दोक्षा धारण करने वाले ये अन्तिम राजा थे । सि. ४/४ निर्वाण (ई पू. ५४४ ) से २१८ पगड़ी पर बैठे २०७१ भद्रबाहु (बी. नि. १६२ ) के साथ दक्षिण गये । (दे. इतिहास ४) । चन्द्रगुप्तका पुत्र । ३५८ । * कुनाल ज्येष्ठ पुत्र अशोकका पोता ॥२३१॥ कुनालका लघु पुत्र अशोकका पोता चन्द्रगुप्तके १०५ वर्ष पश्चात और अशोक्के १६ वर्ष पश्चात् गद्दी पर बैठा ३५६ यह नाम क्रमबाह्य है। www.jainelibrary.org
SR No.016008
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2003
Total Pages506
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size18 MB
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