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________________ अल्पबहुत्व २५८ ३. प्रकीर्णक प्ररूपणाएँ ८५ ४२/ नाम शरीर या मार्गणा अल्पबहुत्व । गुणकार सूत्र नाय शरीर या मार्गणा अनपबहुत्व । गुणकार २. औदारिक शरीर विशेष की अवगाहनाकी अपेक्षा | ७३/ पृथ्वी बा. प.की (ष.स.११/४,२,५/सू.३९-६६/५६-७०) (ध.१/१,३ ४/२५१/७) 1७४/मन, साधारण या निगोद या. प.. घ.४/१,३,२३/६४/७ (ध.६/४,१,२/१७/४) की ज. असं. गुणी | पल्य/असं. लब्ध्य पर्याप्तकके स्थान उपरोक्त बा. अप, की उ. | विशेषाधिक | अंगु./असं. ३१ निगोद या बन. साधारण सू. , प.की .. अप. की ज, अवगाहना बन प्रतिष्ठित प्रत्येक या भिगोद स्तोक अगु./पक्य-अस वायु प.की ज. असं गुणी पत्य/अस. सू. अप, की ज. अस गुणी | आ./असं, ७८ उपरोक्त अप. की उ. विशेषाधिक अंगु./असं. ३३ तेज , प.की , वन, अप्रतिष्ठित प्रत्येक प. की ज. पृथिवी . असं. गुणी पत्य/अस. द्वीन्द्रिय प. को ज, वायु मा. पल्य/असं त्रीन्द्रिय सं. गुणी सं. समय ३७ तेज , चतुरिन्द्रिय , पृथिवी , पंचेन्द्रिय " निगोद या बन. साधारण बा.अप त्रीन्द्रिय अप. की की ज. ८६ चतुरिन्द्रिय द्वीन्द्रिय ४१ निगोद प्रतिष्ठित प्रत्येक अप की ज| " अप्रतिष्ठित प्रत्येक बन अप. की ज. ८८, बन, अप्रतिष्ठित प्रत्येक ४३ द्वीन्द्रिय अप की ज. अप की उ. पंचेन्द्रिय अप की ४४| त्रीन्द्रिय " " त्रीन्द्रिय प.की ४५/ चतुरिन्द्रिय , " चतुरिन्द्रिय ४६ पंचेन्द्रिय द्वीन्द्रिय निवृत्ति पर्याप्तक व निवृत्यपर्याप्तक के स्थान " १३ वन, अप्रतिष्ठित प्रत्येक प. की उ.. ४७ बन. साधारण या निगोद ऊपर से ६४ पंचेन्द्रिय प.की उ. सू.प.की ज. असं, गुणी आ./असं. उपरोक्त अप, की उ. विशेषाधिक अगु./अस. १५ एक सूक्ष्म से अन्य सूक्ष्म = आ./असं. गुणी ६ सूक्ष्म से बादर = असा , प. की , - आ/असं., ५० वायु | १७ बादर सेक्ष्म म. प. की ज. अस. गुणी आ. असं. उ. बादर से बादर - पल्य/असं... ५१| " विशेषाधिक अप. की अंगु /असं. ६' बादर से दूसरा बादर = सं. समय , ५२ " प. की । तेज . असं.गुणी आ./असं. ३ पंचेन्द्रियों की अवगाहनाकी अपेक्षा__ अप. की उ. विशेषाधिक | अगु./असं. (ध.१/१,१,५/२३५/४) प की असं गुणी आ./अस. चक्षु इन्द्रिय अवगाहना स्तोक अप, की विशेषाधिक अंगु, असं, श्रोत्र सं.धुणी माण विशेषाधिक अस गुणी । आ./अर्स. जिह्वा असं. गुणी अप. की विशेषाधिक अगु./असं. स्पर्शन सं. गुणी प. की . ६.पाँचों शरीरोंके स्वामियोंको ओघ व आदेश प्ररूपणाप.की ज. असं. गुणी पक्य असं अप. की विशेषाधिक | अंगु./असं. (ष.ख.१४/५,६/सू.१६६-२३४/३०१-३१८) 4 उन का .4:4 E : PF :: :: :: :: : .4 मार्गणा शरीर । अल्पबहुत्व असं.गुणी विशेषाधिक गुणकार पत्य/असं. अंगु./अर्स. 14.4 असं. गुणी विशेषाधिक | पल्य/असं. अगु/असं. १६६/ १. ओघ प्ररूपणाजीव सामान्य अशरीरी (सिद्ध) जीव सामान्य प की 1990 ४ । स्तोक अनन्त गुणे | सिद्ध/असं. सर्वजीव/अनंत असं. गुणे । अन्तर्मुहूर्त पृथ्वी , , ज. असं. गुणी पल्य/अस. १७१ उ. | विशेषाधिक । अगु/असं. १७२० rar अप, की जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016008
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2003
Total Pages506
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size18 MB
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